Sunday, November 6, 2022
Saturday, February 19, 2022
चण्डी माता मंदिर बागबाहरा (CHANDI MATA TEMPLE BAGBAHRA MAHASAMUND)
चंडी
माता मन्दिर महासमुंद
जिला अंतर्गत ग्राम घुंचापाली में स्थित
है। ग्राम घुंचापाली - बागबाहरा
प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण
है।चारो ओर से जंगलो
और पहाड़िओ से
घिरे ग्राम में
विराजमान है माँ
चंडी।
पहाड़ी पर चढ़ने हेतु सीढ़ियों की कोई आवश्यकता नहीं है लंबे ढलान के होने से चढ़ाई अत्यंत सुगम हो जाती है अतः बुजुर्गों और अस्वस्थ लोगो जिन्हे सीढिया चढ़ने में कोई तकलीफ हो वे भी माँ के दर्शन हेतु जा सकते है।
माता
चंडी रूप देखते
ही बनता है
लगभग 9 फिट ऊची
माँ की विशालकाय
भूगर्भित प्रतिमा स्वयं में
अद्वितीय है।
माता चंडी का मंदिर पहाड़ी के ऊपर स्थित है मंदिर जिला महासमुंद से 38 km की दुरी पर स्थित है। मंदिर तक जाने हेतु सड़क मार्ग के साथ साथ रेलमार्ग की भी सुविधा है , बागबाहरा रेलवे स्टेशन से मंदिर की दुरी 4 km है।
माता चंडी का मंदिर पहाड़ी के ऊपर स्थित है मंदिर जिला महासमुंद से 38 km की दुरी पर स्थित है। मंदिर तक जाने हेतु सड़क मार्ग के साथ साथ रेलमार्ग की भी सुविधा है , बागबाहरा रेलवे स्टेशन से मंदिर की दुरी 4 km है।
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माँ चण्डी |
पहाड़ी पर चढ़ने हेतु सीढ़ियों की कोई आवश्यकता नहीं है लंबे ढलान के होने से चढ़ाई अत्यंत सुगम हो जाती है अतः बुजुर्गों और अस्वस्थ लोगो जिन्हे सीढिया चढ़ने में कोई तकलीफ हो वे भी माँ के दर्शन हेतु जा सकते है।
मंदिर
की बनावट बहुत
सुन्दर है, यहाँ
बटुक भैरव, महावीर
हनुमान जी, गुफा
के अंदर स्थित
माँ काली व शिव जी
की मंदिर दर्शनीय
है। जंगलो में
जंगली जानवर भी
है।
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मुख्य मंदिर - पिछे से |
माँ
की प्रत्यक्छ महिमा
तब देखने को
मिलती है जब
प्रषाद लेने वालो
की भीड़ में
भालू महाराज भी
शामिल होते है।
जी हाँ आश्चर्य की
बात तो है
की यहां एक
मादा और उसके
दो शावक भालू
रोज शाम को
आरती के बाद
माँ का प्रशाद
लेने यहाँ आते
है, लेटकर दंडवत
प्रणाम करते है,
पुजारी से प्रशाद
लेकर खाते है
और चुपचाप अपने
रास्ते लौट जाते
है। ये भालू
बहुत पहले से
यहाँ आ रहे
है इनमे बड़े
नर भालू भी
शामिल थे पर
अब उनकी मृत्यु
हो चुकी है
उनकी इस परम्परा
को अब उनके
नन्हे शावक आगे
आगे बढ़ा रहे
है। खुले में
आने वाले इन
भालुओं से अब
तक किसी भी
आगंतुकों को कोई
हानि नहीं हुई
है श्रद्धालु आपने हाथो
से इन्हे प्रशाद
खिलाते है। हालाकिं
किसी भी अप्रिय
घटना होने की
स्थिति में मंदिर
ट्रस्ट ने अपनी जवाबदारी
न होने के
पक्ष में जगह
जगह नोटिस बोर्ड
लगा रखे है।
माँ
चंडी से जुडी
एक और खास
बात यह भी
है की माँ
की प्रतिमा निरंतर
बढ़ रही है
मंदिर ट्रस्ट कई
बार मंदिर को
बना चूका है
पर माँ कुछ
ही सालो में
माँ छत को
छू जाती है
और मंदिर फिर
से तोडना पड़ता
है। वर्त्तमान में
माँ की प्रतिमा लगभग 9 से 10 फिट
ऊची है।
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चण्डी माता मंदिर बागबाहरा |
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चण्डी मंदिर प्रांगण |
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माँ खल्लारी भीमखोज |
प्रत्येक
वर्ष की दोनों
नवरात्री में यहाँ
लोगो का तांता
लगता है मंदिर
में लगभग 8000 से
10000 ज्योत हर नवरात्री
में श्रद्धालु मनोकामना
पूर्ति हेतु जलाते है।पुरे नौ दिनों
तक दिनरात विभिन्न
आयोजन व जसगीतों
व् सेवागीतों की
प्रस्तुति होती है
भंडारों का आयोजन
होता है ।
श्रद्धालु परिवार सहित आकर
माहौल का लुफ्त
उठाते है।
यहाँ से भीमखोज स्थित खल्लारी माता मंदिर केवल 15 km. दूर है इसलिए जब भी आप बागबाहरा स्थित चंडी माता के दर्शन के लिए आयें तो ग्राम कोसरंगी के सिद्ध बाबा व भीमखोज स्थित खल्लारी माता के दर्शन जरूर करते जाये।
यहाँ से भीमखोज स्थित खल्लारी माता मंदिर केवल 15 km. दूर है इसलिए जब भी आप बागबाहरा स्थित चंडी माता के दर्शन के लिए आयें तो ग्राम कोसरंगी के सिद्ध बाबा व भीमखोज स्थित खल्लारी माता के दर्शन जरूर करते जाये।
Friday, December 25, 2020
सिद्ध बाबा मंदिर ग्राम कोसरंगी (Siddha Baba Temple Kosrangi Mahasamund)
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वह पहाड़ी जहा सिद्ध बाबा मंदिर स्थित है |
सिद्ध बाबा मंदिर, महासमुंद से बागबाहरा मार्ग पर ग्राम कोसरंगी में स्थित है। महासमुंद से इसकी दुरी महज 10 km. है। ग्रामीणो के अनुसार मंदिर करीब 150 से 200 साल पुराना है मंदिर उची पहाड़ी पर स्थित है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थान आकर्षण का केंद्र है।
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सिद्ध बाबा मंदिर ग्राम कोसरंगी |
मंदिर में सिद्ध बाबा की भूगर्भित प्रतिमा है वही रिच्छिन माई की भी मंदिर स्थापित है जहाँ नवरात्र में ज्योत जलाया जाता है। मंदिर में अभी अनेक निर्माण कार्य चल रहे है। यहाँ से करीब 01 km. दूर पहाड़ी के निचे स्वप्न देवी महामाया जी की भी मंदिर है यहाँ भी नवरात्र में विशेष आयोजन होते है।
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Siddha Baba Temple Kosrangi Mahasamund |
सिद्ध बाबा मंदिर में हर वर्ष अश्र्विन मास की पूर्णिमा में मेला लगता है जिसमे बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ उपस्थित होते है।
यहाँ से भीमखोज स्थित खल्लारी माता मंदिर केवल 13 km. दूर है इसलिए जब भी आप खल्लारी माता व बागबाहरा स्थित चंडी माता के दर्शन के लिए आयें तो सिद्ध बाबा के दर्शन जरूर करते जाये।
Thursday, February 13, 2020
सम्पूर्ण दर्शन माँ खल्लारी मंदिर भीमखोज महासमुन्द Maa Khallari Mandir Sampurn Darshan (2021)
माँ खल्लारी मंदिर महासमुंद से 23 km दूर बागबाहरा मार्ग पर ग्राम भीमखोज में स्थित है।जिला महासमुंद में कई पर्यटन स्थल जैसे बागबाहरा चंडी, कोसरंगी के सिद्ध बाबा व स्वप्न देवी महामाया,मामा भांजा मंदिर, सिरपुर, बेमचा खल्लारी, बिरकोनी चंडी, शक्ति माता हथखोज आदि अनिके दर्शनीय स्थल है।साथ ही यहाँ से राजीव लोचन मंदिर राजिम 30 km, चम्पारण 25 km की दुरी पर है।
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खल्लारी मंदिर |
Source :- माँ खल्लारी मंदिर समिति द्वारा ड्रोन से लि गयी फोटो
भीमखोज तक पहुचने के लिए सड़क एवम् रेलमार्ग दोनों की सुविधा है रेलवे स्टेशन से मंदिर की दुरी लगभग 2 km है। भीमखोज खल्लारी प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है। माँ खल्लारी जी की मंदिर ऊपर पहाड़ी में स्थित है।
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माँ खल्लारी |
पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है यहाँ कुल 842 सीढ़िया है। संगमरमर और ग्रेनाइट पत्थरो से निर्मित मंदिर देखकर आँखे ठहर जाती है। खल्लारी में पहाड़ी से निचे छोटी खल्लारी व् मंदिर के ऊपर पहाड़ी वाली बड़ी खल्लारी माता विराजमान है।
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माता खल्लारी |
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पहाड़ी पर विराजित माँ खल्लारी |
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निचे वाली माँ खल्लारी |
माँ खल्लारी का आगमन यहाँ महासमुंद के समीप स्थित ग्राम - बेमचा से हुआ है। यह स्थान अनेक पौराणिक कथाओ को समेटे हुए है।
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प्रथम दर्शन खल्लारी धाम - मेघा ऋषि |
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प्रवेश द्वार - ऊपर वाली खल्लारी माता |
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महाबली हनुमान खल्लारी धाम |
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महर्षि वेदव्यास |
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माँ अन्नपूर्णा देवी मंदिर |
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गुफा वाली दंतेश्वरी माई |
यहाँ गुफा वाली माँ दंतेश्वरी, शिव दर्शन, भागीरथी दर्शन, बटुक भैरव, भीम पाँव, भीम चुल, व डोंगा पत्थर आदि देखने योग्य है। उची पहाड़ी पर चारो ओर बिखरी हरियाली मन मोह लेती है।
वही लगभग 10 फिट उची और 20 फिट लंबी डोंगा पत्थर लोगो का ध्यान आकर्षित करती है डोंगा पत्थर की स्थिति देखने में ही असहज है।
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डोंगा पत्थर खल्लारी |
पहाड़ी पर जगह जगह छोटे गड्ढे देखने को मिलते है ये गड्ढे कोई सामान्य गड्ढे नहीं बल्कि पांडव पुत्र भीम के पावँ के निशान है इनके आकर 2 फुट से लेकर 8 फुट तक लंबाई के, 5 फुट तक चौड़े और 6 से 8 फुट तक गहराई के देखने को मिलते है। ऐसा कहा जाता है की अज्ञात वास के समय भीम इन पहाड़ियों पे विचरण किया करते थे ये उन्ही के पाव के निशान है । भीम की विशालता और शारीरिक क्षमताओं के बारे में हमें अकसर कई कथाओ में सुनने को मिलते है इन बातो से इस मान्यताओ को और भी बल मिलता है।यही पर एक लंबी चौड़ी चूल्हे की आकर की चट्टान है जिसे भीमचुल कहा जाता है इसी पत्थर पर भीम खाना बनाया करते थे ऐसी मान्यता है ।पहाड़ी पर और भी कई चीजे धयान आकर्षित करती है यहाँ से आसपास का नजारा भी शानदार होता है सीढ़ियों पर झुण्ड में बैठे बंदर भी कहि न कहि दिख ही जाते है इनकी उछाल कूद पूरी पहाड़ी पर जब तब दिखती ही रहती है।
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माँ खल्लारी के अनन्य भक्त |
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भागीरथी दर्शन |
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शिव दर्शन |
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भगत के वश में है भगवान |
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खल्लारी मंदिर |
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सिद्ध बाबा दर्शन खल्लारी डोंगरी |
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खोखला पठार |
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नायक व बंजारा की श्रापित प्रतिमा |
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निचे वाली खल्लारी माता ,माता राउर |
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जगन्नाथ मंदिर |
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माँ काली प्रतिमा - खल्लारी धाम |
पहाड़ी से निचे करीब 800 मिटर की दुरी पर माँ काली की लगभग १२ फिट ऊची विशाल प्रतिमा और भगवान् जगन्नाथ जी की प्राचीन मंदिर स्थित है। जगन्नाथ जी का यह मंदिर 8वीं सदी में बनाया गया था।पत्थरो से बने इस मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है मंदिर प्रांगण का महौल बहुत शांत है साथ ही मंदिर में जगन्नाथ जी की बहुत सुंदर प्रतिमा स्थापित है। जगन्नाथ यात्रा में यहाँ विशेष आयोजन होता है।
यहाँ से ग्राम कोसरंगी के सिद्ध बाबा मंदिर केवल 13 km. दूर है इसलिए जब भी आप खल्लारी माता के दर्शन के लिए आयें तो ग्राम कोसरंगी के सिद्ध बाबा व चंडी माता मन्दिर बागबाहरा के दर्शन जरूर करते जाये।
Monday, February 10, 2020
महादेवघाट ग्राम कनेकेरा महासमुंद (MAHADEV GHAT KANEKERA MAHASAMUND)
श्री शिव जी मंदिर महासमुंद जिला अंतर्गत ग्राम कनेकेरा में स्थित है, महादेवघाट ।महादेवघाट की दुरी महासमुंद जिला से 10 km की है। महासमुंद से फिंगेश्वर मार्ग में स्थित इस मंदिर के नाम से ही स्पष्ट है की यहाँ भगवान शिव जी का मंदिर है।
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Swayambhu Mahadev -Kanekera |
महानदी की सहायक नदी के तट पर विराजमान भगवान शिव के इस मंदिर का इतिहास सदियो पुराना है।यह मंदिर यहाँ कब से है इसका कोई स्पष्ट उल्लेख कहि भी नहीं है।इतिहास के धुंधले पन्नों को खुरेदने से पता चलता है, की पूर्व में इस स्थान पर कोरिया नामक दो वृक्ष थे इन दोनो वृक्ष की जड़े एक ही स्थान पर थी। इन दोनों वृक्ष के बिच से शिवलिंग का उदभव हुआ।तब शिवलिंग का आकर बहुत छोटा था और यह छेत्र मैदान था जहाँ घास फुस और ऊची झाड़िया थी लोगो का यहाँ आना जाना बहुत कम था पतली पगडण्डी के किनारे भगवान शिव विराजमान थे ।
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शिव मंदिर महादेवघाट |
शिवलिंग समय बदलता गया और अपने साथ बहुत कुछ बदलता चला गया, आज इस मंदिर की शोभा देखते ही बनती है।शिव जी के मंदिर के साथ साथ यहाँ केवट समाज का राम मंदिर, दुर्गा मंदिर, व् शनिदेव मंदिर भी है। वही नाग देवता की बड़ी बाम्बी है जहाँ बनी नागदेवता की आकृति सहज ही सजीव प्रतीत होती है।
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महादेव घाट कनेकेरा महासमुंद |
कहते है शिवलिंग की आकृति पहले बहुत छोटी थी अब ये काफी बड़ी हो चुकी है। मंदिर की बनावट साज-सज्जा बहुत ही अच्छी है शिव जी के मंदिर के सामने नंदी की विशाल प्रतिमा विराजमान है।
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राम जानकी मंदिर - निषाद समाज द्वारा निर्मित |
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भगवान राम की प्रतिमा |
बाहर प्रांगण में केवट समाज का राम मंदिर है जहाँ भगवान राम, लक्षमण, और जानकी जी की अति सुंदर मुर्तिया है। वही दूसरी ओर माँ दुर्गा जी की मंदिर भी देखने योग्य है । इस मंदिर का निर्माण सन् 2011-2012 में हुआ है।यहाँ माँ दुर्गा की करीबन 5 फिट ऊची माँ दुर्गा की संगमरमर से बनी मूर्ति स्थापित है।मंदिर की भीतरी दीवारों में चारो ओर माँ दुर्गा के नव रूपो को उकेरा गया है । नवरात्र में श्रद्धालुगण मनोकामना पूर्ति हेतु यहाँ ज्योत भी जलाते है, पिछले वर्ष चैत्र मास की नवरात्री में यहाँ 272 ज्योत जले थे।
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माँ दुर्गा मंदिर - सिन्हा (कलार )समाज |
श्रावण मास में यहाँ शिवभक्तो का विशाल जनसंग्रह उपस्थित होता है पूरा मंदिर परिसर भगवा रंग से रंग जाता है ग्राम बोल बम! के नारों से गूंजता है। अलग अलग स्थानों से श्रद्धालु कावर में जल लेकर दूर दूर से पैदल यात्रा करते हुए यहाँ आकर अपने आराध्य भगवान् शिव को जलार्पण करते है। यहाँ खास बात ये है की यहाँ माघ मास की पूर्णिमा में प्रतिवर्ष 2 से 3 दिनों तक मेले का आयोजन होता है जिसमें दूर दूर से लोग आते है दो दिनों तक आयोजित होने वाले इस मेले में ग्रामीणों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन भी होते रहते है। इसी समय से राजिम कुम्भ मेले का भी आरम्भ होता है जो महाशिवरात्रि तक चलता है। शिवरात्रि में भी लोग दर्शन के लिए आते है ।
संकलन
ओमप्रकाश भाई नवरत्न
ग्राम-टीला (चंपारण)
Sunday, February 9, 2020
नागिन डोंगरी जुनवानी कला ( Nagin Dongari Junwani Kala - Bagbahra C:G)
नागिन डोंगरी की दुर्दशा - ग्राम जुनवानी कला, तहसील - बागबाहरा- जिला - महासमुंद (छः ग़)
जुनवानी कला ,बागबाहरा से 08 कि.मी की दुरी पर स्थित है व चंडी मंदिर घुंचापाली से 03 किलोमीटर पर यह ग्राम विद्यमान है इन्ही ग्राम में अति प्राचनी नागिन डोंगरी है| यहा लगभग 50 फिट लम्बा एक ऐसा स्थान है मानो वहा कोई सर्प पड़ा हो और जिसे किसी ने धारदार हथियार से टुकड़े - टुकड़े कर दिया हो | जुनवानी के ग्रामीण श्रावण के महीने में इसकी (ग्राम - रसिका )के रूप में पूजा करते है|
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नागिन पत्थर |
यहाँ पड़े अनेक निशान ऐसा आभास देता है की कोई सर्प अभी - अभी ही वहा से गुजरा है| यहाँ कुछ ऐसे बिंदु है| जहा पत्थरो के टुकड़े मारने से वहा मधुर ध्वनि निकलती है | ऐसा प्रतीत होता है ,मानो इस डोंगरी के गर्भ में कुछ छिपा है|यह स्थल प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है|
यहाँ पर प्राचीन सील लोढहा भी देखने को मिलता था मगर आसमाजीक तत्व के द्वारा इसे चुरा लिया गया है|
नागिन डोंगरी की वर्तमान स्थिति :- आज नागिन डोंगरी समाप्त होने के कागार पर आ चुकी है| पूरा परिसर अतिक्रमण का शिकार हो गया है | ऐसा लगता है मानो कुछ वर्ष उपरांत यह स्थान खेत में तब्दील हो जायेगा यहाँ पर मंदिर बनाने के लिए लोहे के बीम दिए गए है, मगर लगता है| की कई वर्ष के पश्चात भी यहाँ मंदिर निर्माण नहीं किया गया जिसके चलते लोहे के राड चोरी होती जा रहे है| और जो बचे है वह जंख खाते नजर आ रहा है| ग्राम वालो की लापरवाही के चलते यह स्थान कुछ वर्ष उपरांत विलुप्त हो जाएगा |
मेरा सभी से निवेदन है की ऐसी प्राचीन स्थली को बड़े ही प्रेम भाव से संजो के रखना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी अपनी वैभव शाली इतिहास को जान सके | इस नागिन डोंगरी की संरक्षण की तरफ ग्रामवासी एवं प्रशासन को ध्यान देना चाहिए तथा पुरे परिसर को अतिक्रम मुक्त कर पर्यटन स्थल घोसित करना चाइये |
आपका एक सहयोग इस प्राचीन स्थल को तबाह होने के कागार से बचा सकता है | बाकि माँ चंडी की ईच्छा
संकलन
देवेन्द्र कुमार चन्द्राकर
ग्राम - बोरियाझर ,महासमुंद (छः ग:)