ग्राम हथखोज गरियाबंध जिले के राजिम के अन्तर्गत आता है। यह महासमुंद से 14 कि.मी की दुरी पर स्थित है। यहाँ पहुचने के लिए उत्तम रास्ते है यहाँ की नदी पर पूल का निर्माण भी हो गया है । यही रास्ते से राजिम। ,टीला एनिकट ,चम्पारण पंहुचा जाता है।
यहाँ पर प्रत्येक वर्ष मकर सक्रांति का मेला अत्यधिक प्रसिद्ध है।और काफी फलदाई माना गया है जो लोगो के दिलो में अपना एक अलग महत्व रकता है। यहाँ दूर दराज से लोग भारी मात्रा में आते है । यहाँ पर शक्ति माता का प्रसिद्ध मंदिर 7 नदियो के संगम के तट पर स्थित
है। यहाँ का संगम स्थल काफी विशाल है। जिसे देखकर लोग हैरान हो जाते है। यह एक ऐसा स्थान है जहा पर सप्त धारा बहती है। यहाँ का मेला काफी विशाल होता है।
मंदिर का स्थान प्रकृतिक हरियाली से परी पूर्ण है चारो तरफ घने वृक्ष लगे हुवे है
मंदिर परिसर पर प्रथम दर्शन विशाल नंदी से होता है उसके बाद माता का मंदिर स्थित है माता के मंदिर के सामने शिव जी का मंदिर है । ठीक परिसर पर ज्योति कक्ष स्थित है । इस स्थान पर माता की प्रतिमा को देखकर लगता है की यह हजारो वर्ष पुराना हो सकता है ।
इस स्थान का महत्व :- यहाँ पर मकर सक्रती के दिन जो भी भक्त सच्ची मन से माता को श्रद्धा भाव से दंडवत प्रणाम करता है माता उसमे सवार हो जाती है । और वह व्यक्ति दंडवट मुद्रा में जमीन पर लोटते रहती है जब
तक की उसकी हात छूट ना जाये। उस समय वह कुछ समय के लिए मूर्छित अवस्था में चला जाता है। और वह जब होश में आता है तो उसे उस अवस्था के बारे में उसको कुछ पता नहीं रहता है और वह कितना भी लोट जाये उसको तनिक
भी खरोच नहीं आती है। यह सब माता के चमत्कार से ही सम्भव होता है। माँ शक्ति उसकी सभी मनोकामना पूरी करती है। लोगो की मान्यता है की ऐसा करने से उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है मेले के समय यहाँ पर लोगो को भारी मात्रा में लोटते हुवे देख सकते है
पूरा मेला नदी स्थल पर होता है।
इन्हें भी पड़े :-
शक्ति माता |
मुख्य मंदिर |
मंदिर का स्थान प्रकृतिक हरियाली से परी पूर्ण है चारो तरफ घने वृक्ष लगे हुवे है
मंदिर परिसर पर प्रथम दर्शन विशाल नंदी से होता है उसके बाद माता का मंदिर स्थित है माता के मंदिर के सामने शिव जी का मंदिर है । ठीक परिसर पर ज्योति कक्ष स्थित है । इस स्थान पर माता की प्रतिमा को देखकर लगता है की यह हजारो वर्ष पुराना हो सकता है ।
सप्त धारा का दिशा चित्र |
इस स्थान का महत्व :- यहाँ पर मकर सक्रती के दिन जो भी भक्त सच्ची मन से माता को श्रद्धा भाव से दंडवत प्रणाम करता है माता उसमे सवार हो जाती है । और वह व्यक्ति दंडवट मुद्रा में जमीन पर लोटते रहती है जब
तक की उसकी हात छूट ना जाये। उस समय वह कुछ समय के लिए मूर्छित अवस्था में चला जाता है। और वह जब होश में आता है तो उसे उस अवस्था के बारे में उसको कुछ पता नहीं रहता है और वह कितना भी लोट जाये उसको तनिक
भी खरोच नहीं आती है। यह सब माता के चमत्कार से ही सम्भव होता है। माँ शक्ति उसकी सभी मनोकामना पूरी करती है। लोगो की मान्यता है की ऐसा करने से उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है मेले के समय यहाँ पर लोगो को भारी मात्रा में लोटते हुवे देख सकते है
पूरा मेला नदी स्थल पर होता है।
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हतखोज मेला व माता शक्ति के बारे में काफी रोचक जानकारी व सुन्दर तस्वीर डाली है आपने...........
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