छत्तीसगढ़ के सबसे प्राचीन देवरानी जेठानी मंदिर ,अमेरी कांपा - तालागांव
प्राचीन काल में दक्षिण कोसल के शरभपुरीय राजावो के राजत्वकाल में मनियारी नदी के तट पर ताला नामक स्थल पर अमेरि काँपा गाव के समीप दो शिव मंदिर का निर्माण कराया गया था जिसका संशिप्त विवरण निम्नानुसार है :-
देवरानी मंदिर :- इस मंदिर में प्रस्तर निर्मित अर्ध भग्न देवरानी मंदिर ,शिव मंदिर है|जिसका मुख पूर्व दिशा कि ओर है | इस मंदिर के पीछे कि तरफ शिवनाथ कि सहायक नदी मनियारी प्रावाहित हो रही है | इस मंदिर का माप बहार कि ओरसे ७५ *३२ फिट है जिसका भू – विन्याश अनूठा है |इसमें गर्भगृह , अंतराल एवं खुली जगह युक्त संकरा मुखमंडप है |मंदिर में पहुच के लिए मंदिर द्वार कि चंद्रशिलायुक्त देहरी तक सीढ़िय
निर्मित है |मुख मंडप में प्रवेश द्वार है |मंदिर कि द्वारशाखाओ पर नदी देवियों का अंकन है | सिरदल में ललाट बिम्ब में गजलक्ष्मी का अकन है |इस मंदिर में उपलब्ध भित्तियों कि उचाई १० फिट है इसके शिखर अथवा छत आभाव है | इस मंदिर स्थली में हिन्दू मत के विभिन्न देवी – देवताओ ,व्यन्तर देवता पशु ,पौराणिक आकृतिया ,पुष्पांकन एवं विविध ज्यमितिक एवं अज्यमितिक प्रतिको के अंकलनयुक्त प्रतिमाये एवं वास्तुखंड प्राप्त हुवे है | उनमे रूद्रशिव के नाम से सम्भोधित कि जाने वाली एक प्रतिमा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है| या विशाल
एकाश्मक द्विभुजी प्रतिमा समभगमद्रा में खड़ी हुई है तथा इसकी उचाई २.७० मीटर है| यह प्रतिमा शास्त्र के लक्षणों कि दृष्टी से विलक्षण प्रतिमा है| इसमें मानव अंग के रूप में अनेक पशु मानव अथवा देवमुख एवं सिह मुख बनाये गए है| इसके सिर का जटामुकुट(पगड़ी )जोड़ाशर्पो से निर्मित है| ऐसा प्रतीत होता है यहाँ के कलाकार को सर्प – आभूषण बहुत प्रिय था क्योकि प्रतिमा में रूद्रशिव का कांटे हात एवं उंगलियों को सर्प कि भांति आकर दिया गया है|
इसके अतिरिक्त प्रतिमा के उपरी भाग पर दोनों ओर एक – एक सर्पफन छत्र कंधो के ऊपर प्रदर्शित है|इसी तरह बाये पैर में लिपटे हुवे फणयुक्त सर्प का अंकन है| दुसरे जीव जन्तुवो में मोर से कान एव कुंडल ,आखो कि भोहे एव नाक छिपकली से मुख कि ठुड्डी केकड़ा स निर्मित है| तथा भुजाये मकरमुख से निकली है| सात मानव अथवा देवमुख शरीर के विभिन्न अंगो से निर्मित है| ऊपर बतलाये अनुसार अद्वितीय होने के कारण विद्वानों के बीच इस प्रतिमा कि सही पहचान को लेकर अभी भी विवाद बना हुवा है|
शिव के किसी भी ज्ञात स्वरुप के शास्त्रोक्त प्रतिमा लक्षण पूर्ण रूप से न मिलने के कारण इसे शिव के किसी स्वरुप विशेष कि प्रतिमा के रूप में अभियान सर्वमान्य नहीं है| निर्माण शैली के आधार पर ताला क पुरावशेषो को छठी ईस्वी के पूर्वाद्ध में रखा जा सकता है|
जेठानी मंदिर :- दक्षिणाभिमुखी यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है| भग्नावशेष के रूप में ज्ञात सरंचना उत्खनन अनावृत किया गया है| किन्तु कोई भी इसे देखकर इसकी भू – निर्माण योजना के विषय में
रूद्रशिव मंदिर तालागाव बिलासपुर छत्तीसगढ़
जान सकता है| सामने इसमें गर्भगृह एवं मण्डप है| जिसमे पहुचने के लिए दक्षिण , पूर्व एवं पश्चिम दिशा से प्रविष्ट होते है| मंदिर का प्रमुख प्रवेश द्वार चौड़ी सीढियों से सम्बद्ध था| इसके चारो ओर बड़े एवं मोटे स्तंभों कि यष्टिया बिखरी पड़ी हुई है और यहाँ अनेक प्रतितो के अन्कंयुक्त है स्तम्भ के निचले भाग पर कुम्भ बने हुए है स्तंभों के उपरी भाग पर आमलक घट पर आधारित दर्शाया गया है जो कीर्तिमुख से निकली हुई लतावल्ली से अलंकृत है| मंदिर का गर्भगृह वाला भाग बहुत ही अधिक क्षतिग्रस्त है| और मंदिर के ऊपरी शिखर भाग के कोई प्रमाण प्राप्त नहीं हुई है| दिग्पाल देवता या गजमुख चबूतरे पर निर्मित किये गए है| निसंदेह ताला स्थित स्मारकों के अवशेष भारतीय स्थापत्यकला के विलक्षण उदाहरण है| छत्तीसगढ़ के स्थापत्य कला कि मौलिकता इसके पाषाण खंड से जीवित हो उठी है
Superb and Interesting blog. Thanks for sharing this information, because it is very valuable and useful blog for everyone. Thank you for share beautiful and wonderful pictures.
ReplyDeletemujhe history bhut pasand hai
ReplyDeletekash us time pe mai bhi hote aur ye sab dekhte
i wish
Right
DeleteThere are Ruins of 5th-6th Century Temples, this place is very good for History lovers and for those who are interested in archaeology.
ReplyDeleteThere is Maniyari river flowing beside these temples and there is also a small garden but these place is not that good for picnic like stuffs.
It's very good place if you are philosopher and want to feel the nostalgia of old days it's one of the oldest man made temple of cf and made of bricks must visit. Names Tala and Malhar make you think of places with some musical legacy but here lies the architectural heritage of the Chhattisgarh region. This particular place around the meeting point of Maniyari and Shivnath rivers seems to be dominated by the Shaivites. Though the region as a whole is dominated by the legends of Ramayana. We were told that Tala, in particular, is known for Tantric practices. Here are two temples of Devrani Jethani.There are remains of two ancient temples here. Both lie at a distance of few meters from each other and are popularly known as Devrani Jethani temples. Legend is that they were built for the wives of two royal brothers.The Jethani or the Elder sister-in-law temple has completely fallen. Stones that would have stood as temple once are now piled upon one another with their carvings peeping out at various angles. You can see the elephants that would have been at the entrance. You can see the carved pillars that would have supported the ceiling. And you can see the ceiling itself has fallen for the gravity
ReplyDeleteHistorical place to visit..Need more facilities more cleaniness ..its a monumental place to visit but there is no care what so ever..they need to develop it as a tourist spot..
ReplyDeleteRudra Shiva sculpture almost 1500 years old with animated figures, a great creation of this kind. Only one in the World at Pala at east side of Bilaspur-Raipur Rajmarg in CG, India, amongst many other scattered ancient sculptures of Jethani & Deorani temples.
ReplyDeleteAwesome place for holidays must go with family and frds it's a religious place. No. of temple is here. It is mostly known for Shiv mandir
ReplyDeleteprefer to visit here in winter beautiful nature
Very quite and beautiful place . after my experience from this historical place i will suggest everyone who has problem with life to visit here and spend some time with friends,family or by himself and enjoy the beauty, the texture of the temples sit on the grass of a beautiful lush garden and enjoy the scenic view of the beautiful river. Trust me you will never regret this just go to this place and enjoy your quality time here at the end when you return home you will realize something that you have left all your problems behind and arrived home with a bunch of happy feelings that will fill your sad soul with the right amount of happiness
ReplyDeleteGreat sculptures, proud ancient history of devrani jithani. Must visit place if you like history.
ReplyDeleteअतिसुन्दर हमेशा की तरह ! मेरा Article भी पढ़े आप सभी
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