वनदेवी माँ अंगारमोती परम तेजस्वी ऋषि अंगीरा कि पुत्री थी जिसका आश्रम सिहावा के पास घठुला में है| देवी माता का मंदिर वर्तमान में गंगरेल बाध के तट पर स्थित है| माता खुले आसमान के नीचे अपना आसन स्थापित किया है|
माँ अंगार-मोती मंदिर, गंगरेल बाँध, धमतरी
प्रवेश द्वार - अंगार मोती मंदिर |
माता का मूल मंदिर वनग्राम चंवर ,बटरेल ,कोरमा और कोकड़ी कि
सीमा पर सुखा नदी
के पवित्र संगम पर स्थित है| माता को ५२ ग्रामों कि अधिष्ठात्री देवी है| माता
के दर्शन मात्र से सभी के दुख दूर हो जाती है| सभी के कष्टों को
हर लेती है ,माता के दर्शन मात्र से निसंतान दम्पति संतान सुख कि प्राप्ति कर लेती है
माता के दरबार में भक्तो का ताता लगी रहती है यहाँ पर क्वार व चैत्र पक्ष कि नवरात्रि में भक्तो के द्वारा मनोकामन ज्योति जलाई जाती है | यहाँ पर प्रती वर्ष दीपावली के प्रथम शुक्रवार को विशाल मेले का आयोजन किया जाता है|
इस मेले में ५२ ग्रामों के देवी देवता माता को अपनी उपस्थति देती है |मेला काफी विशाल होता है जिसमे दूर दरार के लोग माता के दरबार में आते है|
इन्हे भी जरूर देखे :-
इस मेले में ५२ ग्रामों के देवी देवता माता को अपनी उपस्थति देती है |मेला काफी विशाल होता है जिसमे दूर दरार के लोग माता के दरबार में आते है|
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Holy Place.. Amazing .. Spiritual Place Where U Feel Nirvana..
ReplyDeleteI live this place
ReplyDeleteJai Maa Angarmoti
ReplyDeleteJai mata angaarmoti
ReplyDeleteJai angaar moti ma
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर जानकारी महोदय
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर जानकारी महोदय
ReplyDeleteधन्यवाद मैडम
Deleteबहुत ही सुंदर जानकारी महोदय
ReplyDeleteHi I found here very Good Information thanks so much for sharing
ReplyDeleteYeh Rishta Kya Kehlata Hai
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ReplyDeleteYeh Rishta Kya Kehlata Hai
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ReplyDeleteYeh Rishta Kya Kehlata Hai