Wednesday, March 18, 2020

चम्पारण श्री चंपेश्वर नाथ मंदिर व वल्लभाचार्य बैठकी जिला रायपुर (CHAMPARAN SHIR CHAMPESHWAR NATH MANDIR RAIPUR)

वैष्णव समुदाय के प्रमुख आस्था का केंद्र है चंपारण.....

श्री चम्पेश्वरनाथ मन्दिर ग्राम चम्पारण मे स्थित है महासमुन्द जिला से इसकि दुरी लगभग 25 कि.मी. कि है वहीं रायपुर जिला से राजीम होते हुए इसकि दुरी लगभग 55 कि.मी. है। चंपारण रायपुर जिला अंतर्गत आता है 
champaran mahaprabhuji mandir
श्री महाप्रभुजी  वल्लभचार्य प्राकट्य बैठकजी  मंदिर
यहाँ चंपेश्वर महादेव मंदिर व श्री महाप्रभु वल्लभचार्य बैठक विशेष आकर्षण का केंद्र है। यहाँ जाने के लिए रायपुर से नियमित बसें चलती है साथ ही रायपुर ही निकटतम रेल्वे स्टेशन भी है। चम्पारण का एक और भी नाम चांपाझर भी है, छत्तिसगढ़ के पर्यटन स्थलों कि बात आये और चम्पारण का जिक्र ना हो ऐसा संभव हि नहीं है। 
Mahaprabhuji Pragatya Sthal Champaran
श्री महाप्रभु जी 
चम्पारण हर तरह कि खुबियाँ समेटे हुये है चाहे वह प्राकृतिक सौन्दर्य़ कि बात हो या मानवनिर्मित कलाकृतियों कि और तो और मन्दिर ट्रस्ट के लोगों कि सेवा भावना भी काबिले तारिफ है। मन्दिर से जुडि कई प्राचिन कथाएँ है जिनमे श्री वल्लभ जी के जन्म कि कथा बहुप्रचलित है ।
श्री वल्लभ जी की प्रतिमा 
महाप्रभु वल्लभ जी के जन्म कि कथा कुछ इस प्रकार प्रचलित है :-
14वी. – 15वी. सदी कि बात है, दक्षिण भारत के आन्ध्रप्रदेश मे कृष्णा नदी बहति थी इस नदी के किनारे कांकरपादु नामक सुन्दर गांव बसा हुआ था। इस गांव मे यज्ञनारायण भट्ट नामक एक ब्राम्हण निवास करते थे।
महाप्रभु जी 
एक बार यज्ञनारायण भट्ट यज्ञ कर रहे थे तभी वहाँ विष्णुमुनि जी का आगमन हुआ यज्ञनारायण द्वारा मुक्ति का मार्ग पुछ्ने पर मुनि ने उन्हे गोपाल नाम मंत्र दिया यज्ञनारायण भट्ट ने अपने जीवनकाल मे 32 सोमयज्ञ पुरे किये, एक बार यज्ञनारायण वृद्धावस्था मे यज्ञ कर रहे थे तभी उन्होने यज्ञ कुण्ड में श्रीफल कि आहुति दी उसी समय यज्ञ मे से साक्षात भगवान विष्णु प्रकट हुए उन्होने यज्ञनारायण से कहा कि जब तुम्हारे कुल मे 100 सोमयज्ञ पुरे हो जायेंगे तब मै तुम्हारे कुल में स्वयं वैष्णव रुप मे जन्म लुंगा। यज्ञनारायण भट्ट के एक पुत्र ग़ंगाधर भट्ट हुए उन्होने 28 सोमयज्ञ पुरे किये। गंगाधर के पुत्र गणपति भट्ट हुए उन्होने 30 सोमयज्ञ पुरे किये। गणपति भट्ट के पुत्र वल्लभ भट्ट हुए जिन्हे बालम भट्ट के नाम से भी पुकारा जाता था, इन्होने 5 सोमयज्ञ पुरे किये। 
वल्लभ जी की प्रतिमा - मंदिर परिसर 
वल्लभ भट्ट के दो पुत्र लक्ष्मण भट्ट और जनार्दन भट्ट हुए। लक्ष्मण भट्ट का विवाह विध्यानगर के राजपुरोहित सुशर्मा कि दो बेटियों खल्लामागारु और इल्लामागारु के साथ हुआ। कांकरपादु गाँव नष्ट हो ज़ाने के कारण लक्ष्मण भट्ट अपनी दोनो पत्नियों के साथ अग्रहार नगर कि ओर निकल पडे। लक्ष्मण भट्ट के यहाँ पुत्र रामकृष्ण और पुत्रियाँ सुभद्रा और सरस्वती का जन्म हुआ। इसके बाद लक्ष्मण भट्ट ने 5 सोमयज्ञ पुरे किये और इसी तरह 100 सोमयज्ञ भी पुरे हो गये उसी समय भविष्यवाणी हुई “आपके कुल मे 100 सोमयज्ञ पुरे हुए आपके कुल मे स्वयं पुरुषोत्तम पुत्र रुप में जन्म लेंगे ”। 100 सोमयज्ञ पुरे होने पर लक्ष्मण भट्ट ने वाराणसी में ब्राम्हण भोज कराया। सन 1479 की बात है वाराणसी मे मुगल सेना के आक्रमण के भय से लक्ष्मण भट्ट जी अपनी पत्नि इल्लामागारु को लेकर दक्षिण मे अपने यतंत कि ओर रवाना हुए, इल्लामागारु जी ने चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी की रात्री को रास्ते मे हि चम्पारण के घने जंगल् मे निश्चेतन बच्चे को जन्म दिया, इल्लामागुर जी ने बच्चे को मृत मानकर समी के पेड के निचे सुखे पत्तों में ढंककर छोड दिया। 
मंदिर का भव्य सजावट 
लक्ष्मण भट्ट और इल्लामागारु चम्पारण के जंगलों मे रात के अन्धेरे में रास्ता ढुंढते ढुंढते पास के चौडानगर जा पहुचे, दोनों चौडानगर कि एक धर्मशाला में रात व्यतित करते रहे। रात को स्वप्न मे भगवान विष्णु ने भट्ट को कहा के मैनें तुम्हारे पुत्र के रुप में चम्पारण के जंगलो में जन्म लिया है मुझे ले जाओ, जब लक्ष्मण भट्ट और इल्लामागारु उस स्थान पर पहुचे तो उन्होने देखा कि उन्होने जिस पुत्र को मृत समझकर छोड दिया था वह तो जिवित है। इस प्रकार “1479 की चैत्र मास कृष्ण पक्ष की एकादशी की रात्री को जन्मे इस बालक का नाम वल्लभ” रखा गया, इस दिन को श्री वल्लभ जयंती के रूप मे मनाया जाता है आगे चलकर श्री वल्लभ वैष्णव समुदाय के महान ज्ञाता और मार्गदर्शक बने।
मंदिर परिसर 
विशेष :-
महाप्रभु वल्लभाचार्य ने सम्पूर्ण भारत की 3 बार पैदल यात्राएं की और कुछ स्थानो पर रुककर भागवत सप्ताह का पठन किया जिन स्थानो पर उन्होने भागवत पठन किया वहा उनकी बैठकिया है जिनमे से 2 बैठकिया चंपारण मे है पूरे भारत मे इस तरह के 84 बैठकिया है।...........
मुख्य द्वार 
इस प्रकार महाप्रभु वल्लभाचार्य जी कि जन्म स्थली होने से चम्पारण वैष्णव समुदाय के लोगों के लिये प्रमुख आस्था का केन्द्र है। यहाँ प्रभु वल्लभाचार्य जी की 2 बैठकी है। जो अत्यंत सुंदर और चारो ओर से विभिन्न कलाकृतियों से सुसज्जित है छतों और दीवारों पर विभिन्न सुंदर आकृतीया बनाई गई है। परिषर में प्रथम तल पर चित्र प्रदर्शनि शाला भी बनाया गया है जहाँ वल्लभ जी के सम्पुर्ण जीवन काल कि घटनाओं का सचित्र वर्णन किया गया है जहाँ लगभग 100 से भी अधिक चित्रों की प्रदर्शनि लगी है चित्रों का समायोजन यहा बहुत अच्छे ढंग से किया गया है सम्पुर्ण चित्रशाला का रंगरोगन व साज-सज्जा भी ध्यान आकर्षित करती है। जगह जगह आगन्तुको के विश्राम के लिए बैठने की व्यवस्था व विश्रामगृहो का निर्माण किया गया है। यहा यमुना घाट भी महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है साथ ही घाट के किनारे यमुना जी की मंदिर भी निर्मित है।
चम्पेश्वर नाथ महादेव मंदिर चम्पारण 

श्री चम्पेश्वरनाथ महादेव जी
यहाँ श्री चम्पेश्वरनाथ महादेव जी का भी मन्दिर है, इस मन्दिर मे गर्भवति महिलाओं का जाना वर्जित है साथ हि महिलाओं को यहाँ प्रवेश के पहले बाल खोल लेने कि भी सलाह दी जाती है अर्थात बाल बाँधकर अन्दर प्रवेश करना भी मना है। कहा जाता है की आज से 1250 वर्ष पहले चम्पारण सघन वन क्षेत्र था जहाँ लोगो का आना जाना संभव नहीं था तभी यहाँ भगवान त्रिमुर्ति शिव का अवतरण हुआ। लोगों का आवगमन ना होने से भगवान शिव ने एक गाय को अपना निमित्त बनाया यह गाय रोज अपना दुध त्रिमुर्ति शिव को पिलाकर चली जाती थी। जब ग्वाला दुध लेता था तब दुध नहि आता था इस बात से ग्वाले को सन्देह हुआ और उसने एक दिन गाय का पिछा किया तो देखा कि गाय अपना दुध शिवलिंग को पिला रही है, उसने यह बात राजा को बताई और इस तरह यह बात पुरे विश्व में फैल गई और दुर-दुर से लोग भगवान श्री त्रिमुर्ति शिव के दर्शन के लिए आने लगे। इसे त्रिमुर्ति शिव पुकारे जाने का भी एक कारण यह है की यह शिवलिंग तीन रुपों का प्रतिनिधित्व करता है उपरी हिस्सा गणपति का, मध्य भाग शिव का और निचला भाग माँ पार्वती का इस कारण इसे त्रिमुर्ति शिव के नाम से पुकारा जाता है।
श्री वल्लभ गौशाला 

गौशाला चम्पारण 
साथ ही यहाँ एक गौ शाला भी संचालित है, जहाँ बडी संख्या में गौ पालन किया जा रहा है। गायों के लिये यहाँ बहुत अच्छी व्यवस्था है, उनके स्वस्थ्य एवं खान-पान का भी यहाँ पुरा ध्यान रखा जाता इसका अन्दाजा यहाँ पल रहे हष्ट-पूष्ट गायों को देखकर हि लगाया जा सकता है। यहाँ गर्भवति गायों, नवजात बछडों, व बिमार गायों के लिये अलग-अलग रहने कि व्यवस्था कि गई है। साथ हि हर एक गाय के लिये अलग-अलग चारे व पानी का बन्दोबस्त है, गायों के लिए पर्याप्त पंखे लगे हुए है, यही नहीं यहाँ गायों का भोजन तैयार करने के लिये एक बडी रसोई भी है। मन्दिर ट्रस्ट के सेवादारों कि सेवाभावना की प्रत्यक्ष झलक यहाँ देखने को मिलती है ।

इन्हे भी पढे :-

पेड़ो को बिना काटे किये गए भवन निर्माण
एक और ध्यान आकर्षित करने वाली बात ये है कि पुरे चंपारण और निकटवर्ति गावों मे होलि के पहले दिन मनाया जाने वाला होलिका दहन उत्सव का आयोजन नहिं होता इसका मुख्य कारण यह है की यहाँ पेड़ो की कटाई करना वर्जित है किसी भी स्थिति मे पेड़ो की कटाई यहा पाप माना जाता है साथ ही ऐसे मान्यता यह भी है की पेड़ो की कटाई से यहा प्रकृतिक आपदा भी आ सकती है, इसका सबसे अच्छा उदाहरण आपको तब देखने को मिलेगा जब आप ये देखेंगे की मंदिर के निर्माण क्षेत्र मे कुछ पेड़ बीच बीच मे आए है पर उन्हे काटने के बजाय ऐसी व्यवस्था से निर्माण कार्य किया गया है की पेड़ भी काटना न पड़े और निर्माण भी न रुके....

हवेली मंदिर चम्पारण 
यहाँ माघ मास की पुर्णिमा में बड़ी संख्या मे लोग श्री च्ंपेश्वरनाथ महादेव के दर्शन के लिए आते है तब से महाशिवरात्री तक यहा लोगो की अच्छी भीड़ होती है इस दिन प्रतिवर्ष 30 से 50 हजार श्रद्धालु यहा आते है। साथ ही चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को यहा बड़े धूम-धाम से श्री वल्लभचार्य जयंती मनाया जाता है। सामान्य दिनो मे मंदिर का द्वार दर्शन के लिए सुबह 8 से 1 बजे तक व शाम 3 से 7 बजे तक ही खुला रहता है।

अन्य आकर्षण :-

यहाँ से लगभग 11 कि.मी. दूर टीला एनिकट है यह एनीकट महानदी पर बना है इसकी लंबाई लगभग 1300 मी. कि है इस एनिकट मे कुल 116 गेट है। यहाँ नदी के किनारे एक सुव्यवस्थित उद्यान है साथ ही 81 फिट ऊंचा हनुमान जी कि मूर्ति निर्मित है जो यहा का मुख्य आकर्षण है।


तो ये थी छत्तीसगढ़ के रायपुर जिला स्थित चंपारण की पूरी जानकारी
अगर ये जानकारी आपको अच्छी लगी तो एक बार जरूर जाए चंपारण और एहसास करे उन खूबियों का जो आपने यहा पढ़ा।
और हा अगर आपका इस पोस्ट से संबन्धित कोई भी सवाल हो तो Comment मे जरूर पूछे

13 comments:

  1. Useful post of champaranmahaprabhuji

    ReplyDelete
  2. Nice information
    Good work

    ReplyDelete
  3. We have given you great information, we hope that you will continue to provide such information even further. Read More...Lepakshi Mandir Ki Jankari लेपाक्षी मंदिर की जानकारी हिन्दी में

    ReplyDelete
  4. Thank you for giving the best travel updates about Taj Mahal Day Tour by Train. If you can plan to visit heritage sites and visit some of the major famous tourist places of Agra like Taj Mahal, Baby Taj and Fatehpur Sikri. To find out more about it, click here Tajmahaldaytour.

    ReplyDelete
  5. Thank You for giving the best travel updates about Taj Mahal Day Tour From Delhi. If you can plan to visit heritage sites and visit some of the attractive monuments like Taj Mahal, Fatehpur sikri. To find out more about it, Click Here

    ReplyDelete

  6. I am from agra and I'm currently writing a short story related to the agra and reading this made me so incredibly happy. Thank you for grasping the concept, facts, and myths of the monument so beautiful. I wish you the best on all your travels.
    Hire Taxi In Agra
    Same Day Agra Tour By Car

    ReplyDelete
  7. The milder months from October to March are the ideal time to visit theTaj Mahal because the temperature is nice. Avoid going there in the sweltering summer months when temperatures might soar.

    ReplyDelete
  8. Superb Information On Shri Champeshwar Nath Temple Thanks For Sharing

    ReplyDelete
  9. Agra Taj City Tour is a leading destination management company in Agra India Since 2007. With a vision to provide tourism services that exceed customer expectations. We are specialized in providing various Taj Mahal Tour From Delhi as well as Multi-Day Tours. We ensure an extremity of quality in our services. We also have a well-qualified devoted team with a professional approach that is ideally formed to cater to all the traveling requirements of respected individuals and a well-established company to ensure a hassle-free journey.

    ReplyDelete
  10. Thank You for giving the best travel udates about Taj Mahal Day Tour from Delhi

    ReplyDelete
  11. Thanks for sharing such a informative and useful post. Excellent Explanation.

    ReplyDelete