Monday, January 27, 2020

चण्डी माता मंदिर (ग्राम- बिरकोनी महासमुंद) (CHANDI MATA TEMPLE VILL.- BIRKONI MAHASAMUND)

वैसे तो पूरा भारत कई अनेक मान्यताओ और सभी धर्मो के प्रति धार्मिक आस्था के लिए पूरे विश्व मे अलग ही पहचान रखता है परंतु यदि बात की जाए हमारे छत्तीसगढ़ की तो इस मामले मे भी हम किसी से कम नहीं
वो कहते है न “ सौ सुनार की तो एक लुहार की ” चाहे प्रकृतिक विविधता की बात हो या यहा बसने वाले अनेकों सम्प्रदायो के लोगो की हमारा छत्तीसगढ़ इन सभी मामलो में “ अनेकता मे एकता यही भारत की विशेषता ” के इस कथन को सत्यापित करने मे देश का गौरव है । तो आइये यहा हम इन्ही धार्मिक मान्यताओ और आस्था पर प्रकाश डालते हुए जानते है छत्तीसगढ़ के एक अन्य छोटी से धरोहर और हिन्दू आस्था के केंद्र “ चण्डी माता मंदिर ” के बारे में :-

चण्डी माता 
चण्डी माता मंदिर ग्राम बिरकोनी-
प्रिय पाठको माँ दुर्गा को हम अनेक नामो से जानते है वैसे तो अगर बात हो चण्डी माता मंदिर की तो सर्वप्रथम नाम आता है बागबाहरा स्थित चण्डी माता मंदिर जो की जिला महासमुंद मे ही स्थित है। पर हम अभी यहाँ जानेंगे जिला महासमुंद के ही एक अन्य गाँव बिरकोनी में स्थित चण्डी माता मंदिर की । ग्राम बिरकोनी जिला महासमुंद से महज 10 km. की दूरी पर स्थित है। बिरकोनी स्थित चण्डी माता मंदिर एक शक्तिपीठ है जिसे माँ चण्डी का वाश माना जाता है। यह मंदिर हजारो स्थानीय निवासियों के आस्था का केंद्र है। समय समय के अनुसार मंदिर का अनेक बार निर्माण एवं जीर्णोद्धार किया गया है वर्तमान समय मे भी मंदिर मे हनुमान मंदिर, शिव मंदिर एवं ज्योत कक्ष का निर्माण कार्य चल रहा है जिसके वर्ष 2016 के मध्य तक पूर्ण होने की संभावना है । इस समय यहा 4 ज्योत कक्ष है जिनमे लगभग 2000 ज्योत साल की दोनों नवरात्रियों मे जलाए जाते है।


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मंदिर का बाहरी दृष्य 

आकर्षण :- 

मंदिर परिषर मे अनेक साज सज्जा के कार्य हुए है जो मंदिर की सुंदरता मे चार चाँद लगा देते है, एक चबूतरे के ऊपर है प्रांगण मे विशाल वट-वृक्ष है लोग यहाँ मनोकामना पूर्ति हेतु श्रीफल (नारियल) बांधते है व परिक्रमा । मुख्य मंदिर के दाहिनी ओर दो अन्य विशाल नवनिर्मित हनुमान जी व शिव जी की मंदिर है मंदिरो का आकर्षण देखते ही बनता है। द्वार पर दो बड़े शेरो की प्रतिमाएँ है जिनकी भूमिका द्वार पहरी की है। 
यज्ञ शाला - चंडी मंदिर 
धार्मिक मान्यता :-


माँ चण्डी की अनेक किवंदतियाँ यदा-कदा सुनने को मिलते रहती है जिनमे से माँ चण्डी के बिरकोनी आकार निवास करने की कथा बहुप्रचलित है। कहा जाता है की माँ चण्डी पहले बिरकोनी से लगभग 15 km दूर स्थित ग्राम भोरिंग मे निवास किया करती थी। इस प्रकार उनका मूल ग्राम अब भी भोरिंग को ही माना जाता है, परंतु ग्रामीणो से मान न मिलने के कारण माँ खुद को अपमानित महसूस करने 


लगी व रुष्ठ होकर अपने दो बालकों के साथ गाँव से चली गई गंतव्य के पूर्व निर्धरित न होने के व आकस्मिक ग्राम छोडने के कारण माँ ने निर्णय किया की चलते चलते जहां शाम ढलेगी वो वही निवास करेंगी इस तरह विचार कर वे ग्राम भोरिंग से घनघोर जंगलो की ओर निकल पड़ी और जहां शाम ढाली वही पाषाण रूप मे अपने छोटे बालकों के संग स्थापित हो गई बाद मे यही स्थान बिरकोनी के रूप मे प्रचारित हुआ। ग्रामीणो की माने तो जब ग्राम भोरिंग के लोगो ने माँ से वापस ग्राम आ जाने का निवेदन किया तो इसके लिए माँ ने एक शर्त रखी थी वो ये की “यदि कोई साधक पैदल यात्रा कर भोरिंग से बिरकोनी माँ के दर्शन हेतु आता है व जीतने कदम से चलकर वह आया हो उतने श्रीफल (नारियल) माँ को भेंट करे तो माँ फिर से भोरिंग आ सकती है” परंतु आज तक ऐसा हो न सका। माँ चण्डी निःसंतान स्त्रियों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है ऐसा माना जाता है की माँ चण्डी के आशीर्वाद से हर निःसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है।
मनोकामना पूर्ति वट वृक्ष 


विशेष :-

वर्ष की दोनों पक्षों की नवरात्रियों मे मंदिर विशेष आकर्षण का केंद्र होता है पूरे नौ दिनो तक मंदिर परिषर मे ही झांकियों व देवी जसगीतों का आयोजन होता है पंचमी व अष्टमी मे बड़ी संख्या मे श्रद्धालु दर्शन लाभ हेतु पहुँचते है। साथ ही यहा छत्तीसगढ़ मे मनये जाने वाले पर्व छेरछेरा पुन्नी () मे विशाल मेले का आयोजन होता है। अन्य दिनो मे भी माँ के दर्शन हेतु श्रद्धालु आते है, मंदिर प्रातः 6 बजे से रात्री 10 बजे तक श्रद्धालुओ के दर्शन हेतु खुले होते है।

(नोट :- दोपहर 1 बजे से 2 बजे के बीच माँ चण्डी को प्रशाद का भोग लगाने व विश्राम के लिए मंदिर के पट बंद रहते है। )
                                            संकलन

                                   हेमकुमार सिन्हा 
                             ग्राम-तुमगांव (महासमुंद छ.ग.)


तो दोस्तो अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी और आपका कोई सवाल हमसे है तो हमे जरूर नीचे दिये comment बॉक्स मे पूछे ......
धन्यवाद !..............

Wednesday, January 8, 2020

श्री ब्रम्ह्नेश्वरनाथ मन्दिर (बम्हनि महासमुन्द) ।(BRAMHANESHWARNATH TEMPLE MAHASAMUND)

कभी यह स्थान देवल ऋषि का बसेरा था..... 

ज़िला महासमुन्द से केवल 8 कि.मी. कि दुरी पर स्थित है ग्राम बम्हनि, ग्राम बम्हनि स्थानिय शिवभक्तो के लिये प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है। इसकि खास वजह है यहा स्थित श्री ब्रम्ह्नेश्वरनाथ मन्दिर। यह मन्दिर कितना पुराना है इस कोई साफ अनुमान है। परंतु मन्दिर से मिले लेखो से इस बात का अन्दाजा लगाया जा सकता है की इस मन्दिर का निर्माण विक्रम संवत 1960 के आसपास पंचवटी परिवार के द्वारा बनवाया गया था ।
Shwet Ganga (Bamhni)
ब्रम्ह्नेश्वरनाथ 
उस समय यह क्षेत्र सघन वन था, तथा पंचवटी खन्दान के श्री अर्जुन प्रशाद जी इस वन क्षेत्र मे रोज सुबह विचरण के लिये आते थे । यहि उनकि मुलकात तपश्या मे लिन देवल ऋषि से हुई थी तथा उन्हि कि प्रेरणा से यहा श्वेतगंगा का आगमन व श्री ब्रम्ह्नेश्वरनाथ का प्राकट्य सम्भव हो पाया था ।
Swethganga Bamhini  Mahasamund


 मन्दिर का प्रमुख आकर्षण यहा का कुंड है इस कुण्ड से निरंतर गर्म जल कि धारा निकलति है । मन्दिर परिषर मे एक विशालकाय वट वृक्ष है कहते है ऋषि देवल इसी पेड के निचे तपश्या किये थे इस कारण यह वट वृक्ष और निचे बना आसन पुज्यनिय है। यहाँ एक छोटि नहर बहति है जिसे श्वेत्गंगा के नाम से पुकारा जाता है । श्री ब्रम्ह्नेश्वरनाथ मन्दिर वर्तमान मे निर्मानाधिन है साथ हि यहाँ केवट समाज का बनाया गया अन्य शिव मन्दिर भी है अध्यात्मिलक एव्ँ पौराणिक दृष्टि से इस मन्दिर कि कोई खास महत्वता नहि है परंतु मन्दिर कि साज-सज्जा एवं बनावट बहुत अच्छी है साथ हि इसी मन्दिर मे एक हनुमान मन्दिर भी है।

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  1. ग्राम हथखोज मेला महासमून्द
श्री ब्रम्ह्नेश्वरनाथ मन्दिर (बम्हनि महासमुन्द) 

श्रावण मास मे मन्दिर मे श्रद्धालु यहां भगवान शिव को जल अर्पण करने आते है तो वहिं स्थानिय ग्रामीण यहां से श्वेतगंगा का जल लेकर राजीम, चम्पारण, और सिरपुर तक भगवान शिव को अर्पण करने जाते है। साथ हि माघ मास कि पुर्णिमा को यहाँ प्रतिवर्ष मेला लगता है, और महाशिवरात्रि मे पंचकोशि साधुओं द्वारा विशाल यज्ञ का अयोजन होता है जिसमे बडी संख्या में ग्रामिण उपस्थित होते है ।

संकलन
मनीष भाई देवांगन
ग्राम- बरोण्डा बाजार जिलामहासमुंद   

Tuesday, January 7, 2020

बड़ी खल्लारी माता मंदिर बेमचा (महासमुंद)। (KHALLARI MATA TEMPLE MAHASAMUND)

ये स्थान है माँ खल्लारी का प्रथम निवास....

महासमुंद से मात्र 4 कि.मी. कि दूरी पर ग्राम बेमचा मे स्थित है बड़ी खल्लारी माता मंदिर इस मंदिर कि ग्रामीणो मे बहुत मान्यता है कहते है सबसे पहले खल्लारी माता का आगमन इसी गाँव मे हुआ था। इसके बाद माँ भीमखोज स्थित पहाड़ी पर जाकर निवास करने लगी। 
KHALLARI MATA TEMPLE MAHASAMUND
बड़ी खल्लारी माँ 

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बड़ी खल्लारी मंदिर बेमचा (महासमुंद )

चूंकि माँ का अवतरण यहा पहले हुआ इस कारण से इन्हे बड़ी खल्लारी के नाम से जाना जाता है। मंदिर छोटी सी बस्ती के बीच महासमुंद से सिरपुर कि ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित है। खल्लारी माता मंदिर के साथ साथ यहा केवट समाज का सन 2016 मे निर्मित राम मंदिर व साहू समाज का माता कर्मा मंदिर भी है, प्रांगण मे श्री भैरवनाथ जी कि लगभग 10 फिट ऊंची प्रतिमा स्थापित है।
Khallari Mahasamundmahasamund Bemcha

मंदिर मे विशेष आकर्षण तो कुछ नहीं है पर मान्यता है कि छोटी खल्लारी के दर्शन के साथ साथ इनका भी दर्शन करना चाहिए। मंदिर मे दोनों पक्ष कि नवरात्रियों मे श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति हेतु ज्योत जलते है तो वही चैत्र पक्ष कि पुर्णिमा मे यहा स्थानीय लोगो द्वारा बकरे कि बली भी दी जाती है। रामनवमी और हनुमान जयंती पर यहा विशेष आयोजन होता है। 

                                        संकलन 
                                     नरेन्द्र देवांगन