कभी यह स्थान देवल ऋषि का बसेरा था.....
ज़िला महासमुन्द से केवल 8 कि.मी. कि दुरी पर स्थित है ग्राम बम्हनि, ग्राम बम्हनि स्थानिय शिवभक्तो के लिये प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है। इसकि खास वजह है यहा स्थित श्री ब्रम्ह्नेश्वरनाथ मन्दिर। यह मन्दिर कितना पुराना है इस कोई साफ अनुमान है। परंतु मन्दिर से मिले लेखो से इस बात का अन्दाजा लगाया जा सकता है की इस मन्दिर का निर्माण विक्रम संवत 1960 के आसपास पंचवटी परिवार के द्वारा बनवाया गया था ।
ब्रम्ह्नेश्वरनाथ |
उस समय यह क्षेत्र सघन वन था, तथा पंचवटी खन्दान के श्री अर्जुन प्रशाद जी इस वन क्षेत्र मे रोज सुबह विचरण के लिये आते थे । यहि उनकि मुलकात तपश्या मे लिन देवल ऋषि से हुई थी तथा उन्हि कि प्रेरणा से यहा श्वेतगंगा का आगमन व श्री ब्रम्ह्नेश्वरनाथ का प्राकट्य सम्भव हो पाया था ।
मन्दिर का प्रमुख आकर्षण यहा का कुंड है इस कुण्ड से निरंतर गर्म जल कि धारा निकलति है । मन्दिर परिषर मे एक विशालकाय वट वृक्ष है कहते है ऋषि देवल इसी पेड के निचे तपश्या किये थे इस कारण यह वट वृक्ष और निचे बना आसन पुज्यनिय है। यहाँ एक छोटि नहर बहति है जिसे श्वेत्गंगा के नाम से पुकारा जाता है । श्री ब्रम्ह्नेश्वरनाथ मन्दिर वर्तमान मे निर्मानाधिन है साथ हि यहाँ केवट समाज का बनाया गया अन्य शिव मन्दिर भी है अध्यात्मिलक एव्ँ पौराणिक दृष्टि से इस मन्दिर कि कोई खास महत्वता नहि है परंतु मन्दिर कि साज-सज्जा एवं बनावट बहुत अच्छी है साथ हि इसी मन्दिर मे एक हनुमान मन्दिर भी है।
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