वैसे तो पूरा भारत कई अनेक मान्यताओ और सभी धर्मो के प्रति धार्मिक आस्था के लिए पूरे विश्व मे अलग ही पहचान रखता है परंतु यदि बात की जाए हमारे छत्तीसगढ़ की तो इस मामले मे भी हम किसी से कम नहीं
वो कहते है न “ सौ सुनार की तो एक लुहार की ” चाहे प्रकृतिक विविधता की बात हो या यहा बसने वाले अनेकों सम्प्रदायो के लोगो की हमारा छत्तीसगढ़ इन सभी मामलो में “ अनेकता मे एकता यही भारत की विशेषता ” के इस कथन को सत्यापित करने मे देश का गौरव है । तो आइये यहा हम इन्ही धार्मिक मान्यताओ और आस्था पर प्रकाश डालते हुए जानते है छत्तीसगढ़ के एक अन्य छोटी से धरोहर और हिन्दू आस्था के केंद्र “ चण्डी माता मंदिर ” के बारे में :-
चण्डी माता |
चण्डी माता मंदिर ग्राम बिरकोनी-
प्रिय पाठको माँ दुर्गा को हम अनेक नामो से जानते है वैसे तो अगर बात हो चण्डी माता मंदिर की तो सर्वप्रथम नाम आता है बागबाहरा स्थित चण्डी माता मंदिर जो की जिला महासमुंद मे ही स्थित है। पर हम अभी यहाँ जानेंगे जिला महासमुंद के ही एक अन्य गाँव बिरकोनी में स्थित चण्डी माता मंदिर की । ग्राम बिरकोनी जिला महासमुंद से महज 10 km. की दूरी पर स्थित है। बिरकोनी स्थित चण्डी माता मंदिर एक शक्तिपीठ है जिसे माँ चण्डी का वाश माना जाता है। यह मंदिर हजारो स्थानीय निवासियों के आस्था का केंद्र है। समय समय के अनुसार मंदिर का अनेक बार निर्माण एवं जीर्णोद्धार किया गया है वर्तमान समय मे भी मंदिर मे हनुमान मंदिर, शिव मंदिर एवं ज्योत कक्ष का निर्माण कार्य चल रहा है जिसके वर्ष 2016 के मध्य तक पूर्ण होने की संभावना है । इस समय यहा 4 ज्योत कक्ष है जिनमे लगभग 2000 ज्योत साल की दोनों नवरात्रियों मे जलाए जाते है।
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मंदिर का बाहरी दृष्य |
आकर्षण :-
मंदिर परिषर मे अनेक साज सज्जा के कार्य हुए है जो मंदिर की सुंदरता मे चार चाँद लगा देते है, एक चबूतरे के ऊपर है प्रांगण मे विशाल वट-वृक्ष है लोग यहाँ मनोकामना पूर्ति हेतु श्रीफल (नारियल) बांधते है व परिक्रमा । मुख्य मंदिर के दाहिनी ओर दो अन्य विशाल नवनिर्मित हनुमान जी व शिव जी की मंदिर है मंदिरो का आकर्षण देखते ही बनता है। द्वार पर दो बड़े शेरो की प्रतिमाएँ है जिनकी भूमिका द्वार पहरी की है।
यज्ञ शाला - चंडी मंदिर |
धार्मिक मान्यता :-
माँ चण्डी की अनेक किवंदतियाँ यदा-कदा सुनने को मिलते रहती है जिनमे से माँ चण्डी के बिरकोनी आकार निवास करने की कथा बहुप्रचलित है। कहा जाता है की माँ चण्डी पहले बिरकोनी से लगभग 15 km दूर स्थित ग्राम भोरिंग मे निवास किया करती थी। इस प्रकार उनका मूल ग्राम अब भी भोरिंग को ही माना जाता है, परंतु ग्रामीणो से मान न मिलने के कारण माँ खुद को अपमानित महसूस करने
लगी व रुष्ठ होकर अपने दो बालकों के साथ गाँव से चली गई गंतव्य के पूर्व निर्धरित न होने के व आकस्मिक ग्राम छोडने के कारण माँ ने निर्णय किया की चलते चलते जहां शाम ढलेगी वो वही निवास करेंगी इस तरह विचार कर वे ग्राम भोरिंग से घनघोर जंगलो की ओर निकल पड़ी और जहां शाम ढाली वही पाषाण रूप मे अपने 2 छोटे बालकों के संग स्थापित हो गई बाद मे यही स्थान बिरकोनी के रूप मे प्रचारित हुआ। ग्रामीणो की माने तो जब ग्राम भोरिंग के लोगो ने माँ से वापस ग्राम आ जाने का निवेदन किया तो इसके लिए माँ ने एक शर्त रखी थी वो ये की “यदि कोई साधक पैदल यात्रा कर भोरिंग से बिरकोनी माँ के दर्शन हेतु आता है व जीतने कदम से चलकर वह आया हो उतने श्रीफल (नारियल) माँ को भेंट करे तो माँ फिर से भोरिंग आ सकती है” परंतु आज तक ऐसा हो न सका। माँ चण्डी निःसंतान स्त्रियों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है ऐसा माना जाता है की माँ चण्डी के आशीर्वाद से हर निःसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है।
मनोकामना पूर्ति वट वृक्ष |
विशेष :-
वर्ष की दोनों पक्षों की नवरात्रियों मे मंदिर विशेष आकर्षण का केंद्र होता है पूरे नौ दिनो तक मंदिर परिषर मे ही झांकियों व देवी जसगीतों का आयोजन होता है पंचमी व अष्टमी मे बड़ी संख्या मे श्रद्धालु दर्शन लाभ हेतु पहुँचते है। साथ ही यहा छत्तीसगढ़ मे मनये जाने वाले पर्व छेरछेरा पुन्नी () मे विशाल मेले का आयोजन होता है। अन्य दिनो मे भी माँ के दर्शन हेतु श्रद्धालु आते है, मंदिर प्रातः 6 बजे से रात्री 10 बजे तक श्रद्धालुओ के दर्शन हेतु खुले होते है।
(नोट :- दोपहर 1 बजे से 2 बजे के बीच माँ चण्डी को प्रशाद का भोग लगाने व विश्राम के लिए मंदिर के पट बंद रहते है। )
संकलन
हेमकुमार सिन्हा
ग्राम-तुमगांव (महासमुंद छ.ग.)
तो दोस्तो अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी और आपका कोई सवाल हमसे है तो हमे जरूर नीचे दिये comment बॉक्स मे पूछे ......
धन्यवाद !..............
आपने बड़े ही सुन्दर ढंग से मा चंडी के बारे में जानकारी दी है।
ReplyDeleteमै हमेशा यहां जाता रहता हूं।
मां चंडी सभी भक्तो की मनोकामना पूर्ण करे।
#जय मा चंडी.......
मै माता के दरबार मे प्रतिवर्ष जाता हूँ।
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