चण्डी माता का मंदिर महासमुंद जिले के घुचापाली ग्राम मे स्थित है| जो बागबाहरा से काफी नजदीक है| माता के दरबार तक जाने के लिए उत्तम सड़क मार्ग निर्मित है। भव्य पहाड़ के ऊपर माता विराजमान है| माता की मूर्ति स्वयम्भू है। व नित -नित बड़ रही है| जिसके चलते कई बार मंदिर को तोडना पड़ा था | चैत्र पक्ष व क्वार पक्ष मे भारी मात्रा में भक्तो द्वारा मनोकामना ज्योति जलायी जाती है| भक्तो के ठहरने के लिए उत्तम विश्राम भवन की व्यवस्था कि गयी है। मुख्य मंदिर पहाड़ी के ऊपर स्थित व मुख्य मंदिर से आगे पहाडी के ऊपर छोटी चण्डी माता गुफा के अन्दर विराजमान है|
चण्डी माता |
चण्डी प्राँगण की रुपरेखा :- माँ चण्डी के दरबार में आते हो तो सबसे पहले माता का भव्य प्रवेश द्वार मिलता है जिसमे माता की प्रतिमा अंकित है| थोड़ी आगे ध्रुव समाज का नवनिर्मित शिव मंदिर व विशाल नंदी की निर्माधीन प्रतिमा के भव्य दर्शन होते है|
ज्योति कक्ष |
चण्डी माता |
माता तक पहुचना बड़ा आसान है, रास्ते में कोई सीढ़िया नहीं बनी है क्योंकि जो पर्वत है वह ढलान है। जिसके चलते बड़े बुजुर्ग आसानी से माता के दरबार में पहुच सकते है| रास्ते में भैरव बाबा जी का मंदिर हनुमान मंदिर के दर्शन होते है | पर्वत पर विशाल काय हनुमान कि प्रतिमा भक्तो को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करती है माता के मंदिर के आस पास पिने तथा चरण धोने के लिए उचित जल का प्रबंध किया गया है| उसके बाद माता कि भूगर्भीत विशाल काय प्रतिमा के भव्य दर्शन होते है माता की विशाल काय प्रतिमा से निगाहे नहीं हटती है। ऐसा लगता है की माता रानी सभी भक्तो को अपने पास बुला रही हो | माता के दरबार में सच्ची मन से मांगी मुराद जरूर पूरी होती है। मंदिर के पीछे गुफा के अंदर माँ भद्रकाली विराजमान है।व ठीक सामने ज्योति कक्ष है जिसमे मनोकामना ज्योति जलाये जाती है । इस ज्योति कक्ष कुछ जोत हमेशा जलती रहती है (भक्त जन ज्योति कक्ष की परिक्रमा करते है )हवन कार्य के लिए बड़ा सा हवन कुंड मंदिर प्रांगण में बना हुवा है बड़े से चट्टान में विशाल नगाड़ा का चिन्ह बनाया गया है जो पुरे परिसर को चार चार लगा देता है मंदिर परिसर के पीछे छोटे उद्यान का निर्माण किया गया है| उसी के रास्ते पर लगभग आधा कि. मी. पहाड़ की चोटी पर छोटी चंडी माता विराजमान है| इसके भी दर्शन करने को जाना चाहिऐ छोटी चण्डी माता पहाड़ की चोटी पर गुफा में होने के कारण व सघन वन जंगली जानवर के भय से लोग पर्वत की चढाई नहीं करते है| मगर नवरात्रि के समय लोगो की भीड़ बड़ जाती है| तब लोग अधिक मात्रा में ऊपर चढ़ते है। गुफा के अंदर माता के दर्शन होते है। ऊपर पर्वत का जो नजारा दिखता है वह देखने लायक होता है माता के गुफा के सामने विशाल पत्थर दो भागो में टुटा हुवा है|
विशेष :- यहाँ पर माता की जैसे आरती की घंटी बजती है माता के दरबार में भालू प्रसाद के लिए आते है अभी तक किसी को कोई नुकसान नही पहुचाया है इसे माता का चमत्कार भी कहा जाता है|
टिप :- पास में ही जुनवानी ग्राम पर एक अति प्राचीन महाभारत कालीन एक समतल चारो तरफ से चट्टान से घिरा हुवा पठारी मैदान है जिसमे एक शिव मंदिर है और नागिन का पत्थर में परिवर्तीत एक लंबा सा पत्थर है जिसे बिच -बिच से काटा हुवा मालूम पड़ता है (जिसे नागिन का पत्थर कहा जाता है वही समीप में चट्टान है जिसमे पत्थर मारने पर चट्टान से विषेस प्रकार की ध्वनि निकलती जो वहा का प्रमुख आकर्षण का केंद्र है और वहा पर कई सारी प्राचीन राजो से रुब - रु होने का मौका मिलता है उस पठारी मैदान को नागिन पठार कहा जाता है उसे भी एक बार देखते हुवे वहा से प्रस्थान करना चाहिए ।
नमामि शक्ति स्वरूपा....
ReplyDeleteJai Mata di pls mujh pr apni kripa banaye rakhna
ReplyDeleteSuperb place and very high spiritual energy revolving around this place... The interesting part is when u reach there its a very neat, nice n clean temple.. Though the people working in the temple push u to give money in donation way which is not good buy rest of things are nice..
ReplyDeleteVery good place, temple over mountain, the best thing is that during evening time bears are come to temple reason
ReplyDeleteIf you want to see the nature's real beauty. Visit here .. such an amazing place. I just loved it specially the bears moments arounds you.. hehehe you really enjoy this place.
ReplyDeleteहमको था इंतजार वो घड़ी आ गई,
ReplyDeleteहोकर सिंह पर सवार माता रानी आ गई,
होगी अब मन की हर मुराद पूरी,
हरने सारे दुख माता अपने द्वार आ गई।
जय माता दी।
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🙏🙏jai maa chandi 🙏🙏🙏
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