Thursday, October 24, 2019

Shabri Mata Mandir Kharod ( शबरी माता मंदिर – खरौद )


Ancient Shabri Mata Temple Kharod
खरौद एक प्राचीन नगरी है| यहाँ पर अनेको प्राचीन मंदिर विद्यमान है|इनमे से सबसे प्राचीन लक्ष्मनेश्वर महादेव मंदिर को माना गया है|
Shabri Mata Mandir
शबरी माता मंदिर – खरौद

इस शिवलिंग में एक लाख छिद्र है|जिसकी स्थापना त्रेता युग में,वनवास काल के दौरान भगवान लक्ष्मण ने किया गया था| इसे खर और दूषण नाम के दो दैत्यों कि नगरी कहा जाता है| जिसके कारण इस नगर का नाम खरौद पड़ा|
Shabri Mata Temple Chhattisgarh
Shabri Mata Mandir Kharod

भक्त माता शबरी कि प्रतिमा शिवरीनारायण के केशव नारायण मंदिर में स्थापिंत है| इसके आलावा खरौद ग्राम में जो कि शिवरीनारायण से 03 किलोमीटर कि दुरी पर है| यहाँ पर प्राचीन शबरी माता का मंदिर है| इस मंदिर का निर्माण कौन सी शताब्दी में हुवा है इसकी जानकारी नही है| मगर कुछ लोग इसे शिरपुर के लक्ष्मण मंदिर के समकालीन आस पास मानते है|




tourist place in Shabri Mata Temple

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मंदिर वर्गाकार उचे पत्तर के चबूतरे पर बना हुवा है|मंदिर का निर्माण लाल इटो के द्वारा किया गया है| सामने का जो भाग है|वह पत्थरो से बना है| ऊपर का भाग नष्ट गया है| गर्भ गृह पर माता शबरी कि प्रतिमा विराजमान है| गर्भ गृह के प्रवेश द्वार पर भगवान के द्वार पाल  का चित्रांकन किया गया है|साथ कि कई अन्य प्रकार कि बेल बुटो वाले आकृति  से प्रवेश द्वार को सजाया गया है| मंदिर में बेहद उन्नत किस्म कि नक्काशी देखि जा सकती है|मंदिर के बरामदे पर कुछ खण्डित प्रतिमा रखी गयी है|
Mata Shabri Mandir
Shabri Mata Temple

मंदिर का संरक्षण पुरातत्व विभाग द्वारा किया जा रहा है| पुरे परिसर में पर्यटकों के बैठने के लिए गार्डन का निर्माण कराया गया है| मंदिर को चारो तरफ से लोहे के एंगल द्वारा सुरक्षित किया गया है| जिसमे दो प्रवेश द्वार है| मंदिर प्राचीन तालाब के किनारे पर है| व तालाब में बीच में एक स्तम्भ है जिसमे एक छोटा सा मन्दिर बना हुवा है|जो पूरी तरह से पत्थर के स्तम्भ के सहारे टिका हुवा है| तालाब के मेड पर पत्थरों से निर्मित मंदिर है| जो एकदम जर्जर अवस्था में है| रोड के किनारे पर तालाब में मेड पर अनेको शिव मंदिर है|जो देख रेख के आभाव से एकदम खंडहर के सामान प्रतीत होता है|  

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Wednesday, October 23, 2019

Shiv Mandir Narayanpur - Baloda Bazar { शिव मंदिर नारायणपुर ,जिला – बलौदा बाजार }


Ancient Shiva Temple Narayanpur
छत्तीसगढ़ के बलौदा बाज़ार जिले के अंतर्गत कसडोल के समीप महानदी के तट पर प्राचीन और धार्मिक महत्व का स्थल है| जिसे नारायणपुर नामक ग्राम के नाम से जाना जाता है| यहाँ का प्रमुख आकर्षण का केंद्र भव्य प्राचीन शिव मंदिर है|
 शिव मंदिर नारायणपुर

इस नगर कि प्राचीनता यहाँ के मंदिरों में स्पस्ट देखी जा सकती है| यहाँ पर स्थित शिव मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए मशहुर है| स्थानीय लोगो कि माने तो, इस मंदिर का निर्माण कलचुरी कालीन राजा के द्वारा 7 वी से आठवी शताब्दी के बीच कराया गया था|
History of Narayanpur Shiv Temple
मंदिर कि कारीगरी काफी उन्नत है| यह पूर्वाभिमुखी शिवमंदिर ,जिसका निर्माण,लाल और काले बलुवा पत्थरो के इस्तेमाल से इस मंदिर का निर्माण किया गया है| पत्थरो को तराश कर बेहतरीन से बेहतरीन प्रतिमा को उसमे उकेरा गया है| जो उस समय कि उन्नत कारीगरी को बाया करती है|
Narayanpur Shiv Mandir
Narayanpur Shiv Temple

यह मंदिर एक बड़े से चबूतरे पर 16 स्तंभों पर टिका हुवा है| मंदिर के गर्भ गृह में प्राचीन शिवलिंग विद्यमान है|जो किसी मंदिर के शिखर के सामान दिखता है| प्रवेश द्वार पर अनेक देवी देवतावो कि प्रतिमा का चित्रांकन किया गया है| मंदिर के बाहरी दीवारों पर विष्णु के अवतारों का बारी- बारी से वर्णन किया गया है| साथ ही यक्ष गन्धर्व ,पशु पक्षी ,बेलबूटे के साथ कामुक प्रतिमा को पत्थरो में तरासा गया है|जो खजुराहो के मंदिर के सामान लगता है|
Temple of Narayanpur


Ancient Shiva Temple Narayanpur -Baloda Bazar
मुख्य मंदिर के बगल में एक और मंदिर है जो उचाई में थोडा कम है| जिसका प्रवेश द्वार मुख्य मंदिर से ठीक  विपरीत है| जिसके अन्दर अब कोई मूर्ति नहीं है|



मंदिर के आसपास खुदाई से प्राप्त हुई मूर्तियों को एक छोटा से संग्रहालय बना कर रखा गया है| इस संग्रहालय में एक बड़े से मानव के आकार कि प्रतिमा है| जिसे स्थानीय निवासी राजा कि मूर्ति बताते है|
इस मंदिर पर कभी भूकम्प के झटके आया रहा होगा जिसके कारण मंदिर का कुछ भाग जमीन कि सतह कि ओर धस चूका है| इसके बावजूद मंदिर कि स्थति बेहद अच्छी है| लेकिन दुर्भाग्य वह इस मंदिर पर पूजा पाठ नही होता|कुछ लोग सावन माश में भगवान को जल चडाने आते है|यह मंदिर उपेक्षा का शिकार हो गया है|   
यह शिव मंदिर:- {{ पुरातत्व विभाग(छत्तीसगढ़ )}} द्वारा संरक्षित ईमारत है|सूर्योदय से सूर्यास्त तक मंदिर के दर्शन कर सकते है|
Ancient Shiva Temple Narayanpur

tourist place of baloda bazar







इसको सुरक्षित तथा आकर्षक बनाने के लिए मंदिर के चारो तरफ गार्डन बनाया गया है| तथा लोहे के ऐगल द्वार चारो तरफ से घेरा करके रखा गया है| यहाँ का वातावरण बेहद शांत है| यहाँ आके कुछ पल सुकन के बिता सकते है|    
Shiv Mandir  Narayanpur
Shiv Mandir Narayanpur
  
कैसे पहुचे :- राजधानी रायपुर से 102 कि.मी,कसडोल से 12 किलोमीटर .तथा जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर एवम सिरपुर से 40 कि मी कि दुरी पर स्थित है|रास्ते पक्की बनी हुई है|साथ ही महासमुंद से कसडोल तक बस सुविधा है| यह मंदिर मुख्य मार्ग से २ कि मी कि दुरी पर विद्यमान है| यह प्राचीन धरोहर प्रचार- प्रसार के आभाव के चलते , लोग इस मंदिर के बारे में नहीं जानते है|लेकिन जब से इसे पर्यटक ग्राम घोषित किया है| तब से कुछ लोग मंदिर तक आ रहे है| मंदिर का प्रचार प्रसार होना अभी बाकी है|
बलौदा बाज़ार व उसके आसपास के दर्शनीय स्थल:-
पलारी का प्राचीन शिव मंदिर                                      
ये सभी धार्मिक स्थल बलौदा- बाज़ार के आसपास स्थित है|  

Saturday, October 19, 2019

Lakshmaneshwar Mahadev Temple Kharod ( लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर खरौद )

छत्तीसगढ़ कि इस पावन धरा में ऐसे अनेको तीर्थ स्थल जो रहस्य से भरा पड़ा है| उसी में से एक तीर्थ स्थल है|
Lakshmaneshwar Mahadev Mandir Kharod
लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर- खरौद
Lakshmaneshwar Mahadev Temple, Kharod ,Janjgir Champa-Chhattisgarh 
जिसे खरौद कहा जाता है|यह एक प्राचीन और ऐतिहासिक नगरी है | खरौद को छत्तीसगढ़ का काशी कहा गया है| यह वह स्थान है जिसका सम्बन्ध भगवान राम से जुडा हुवा है| भगवान राम ने यही पर खर और दूषण नाम के दो दैत्यों संघार किया था| और लक्ष्मण के द्वार शिवलिंग कि स्थापना कि गयी थी| इस शिवलिंग में एक लाख छिद्र है| जिसमे एक लाख 
Lakshmaneshwar shivling
लक्ष्मणेश्वर महादेव


Kharod Mandir Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ का काशी नगरी -खरौद 
शिवलिंग के दर्शन होते है|इस शिवलिंग में आप जीतन जल डालोगे वह अन्दर समा जाता है| और जितना निकालो ख़त्म नहीं होता है| लोगो कि मानो तो इस शिवलिंग का जो पानी है वह पाताल लोक में जाता है| लक्ष्मण के द्वारा स्थापित होने के कारण इसे लक्ष्मणेश्वर महादेव ,लखनेश्वर महादेव (""लक्ष लिंग "")के नाम से जाना जाता है|  
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Kharod


Lakshmaneshwar Mahadev Temple Kharod

सवा  लाख छिद्र वाला अनोखा शिवलिंग 
इस शिवलिंग में सवा लाख चावल के दाने अर्पण करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है| 
मंदिर के अन्दर दो शिलालेख है| गर्भ गृह से पहले दो स्तंभ है जिसमे| रामायण के कई प्रसंगों का चित्रांगन किया


 गया है| मंदिर उचे पत्थर के चबूतरे पर स्थित है| मंदिर परिसर पर अनेक प्राचीन मुर्तिया है| मंदिर परिसर पर वहा की पुजारी की वंशावली लिखी गयी है|  मंदिर के पीछे एक कुण्ड है|मान्यता है कि इसमें स्नान करने से सभी रोग दूर हो जाते है|सावन सोमवारी और महाशिवरात्रि में भारी जन सैलाब उमड़ता है| जिसमे अलग अलग क्षेत्र के लोग भगवान को जल अर्पण करने को आते है|यहाँ पर खर और दूषण कि नगरी होने के कारण इसे खरौद नगर कहा जाता है| यहाँ पर अनेक मंदिर है |तथा कई प्राचीन तालाब है| माता शबरी का प्राचीन मंदिर यही पर स्थित है| यह मंदिर संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वार संरक्षित ईमारत है | 

कैसे पहुचे :- रायपुर से इसकी दुरी 119 किलोमीटर ,बिलासपुर से 62 कि.मी.,कसडोल से 29 किलोमीटर  और शिवरीनारायण से  02  किलोमीटर की दुरी पर स्थित  है|यह जांजगीर – चापा जिले के अन्दर आता है|नियमित रूप से बस ऑटो टैक्सी की सुविधा है| नजदीक ही निशुल्क शिवरीनारायण धर्म शाला है|   

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Wednesday, October 16, 2019

Guru Ghasidas Baba Temple Giroudpuri - Baloda Bazar ( गुरु घासीदास मंदिर गिरौदपुरी )


गिरौदपुरी धाम के दर्शन / बाबा का जीवन परिचय 
छत्तीसगढ़ के इस पावन धरा पर, गिरौदपुरी नामक ग्राम में सन 1756 ईसवी में एक निर्धन परिवार के बीच गुरु घासीदास बाबा का जन्म हुआ था ,बाबा साहब का परिवार कृषि कार्य करके जीवन यापन किया करते थे , 
girodpuri jaitkham  chhattisgarh

आगे चलकर छत्तीसगढ़ में सतनाम पंथ के संस्थापक बने ,बाबा उत्तर प्रदेश में जन्मे श्री जगजीवन दास से प्रेरणा पाकर छत्तीसगढ़ में सतनाम पंथ को विकसित किया|

घासीदास बाबा को ज्ञान प्राप्ति के संबंध में प्रचलित कथा ?
कथा के अनुसार एक बार घासीदास बाबा अपने भाई के साथ पैदल तीर्थ यात्रा के लिए जगन्नाथ पुरी जा रहे थे, चलते चलते  सारंगढ़ रियासत के  ग्राम {{"कोसीर"}} में  पेड़ के नीचे विश्राम करने के लिए रुके, तभी उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई ,

Ghasidas Baba Mandir,Giroudpuri

History of giroudpuri dham in Hindi
बाबा के मुख से एकाएक <<“सतनाम”>> शब्द प्रकट हुआ ,उसके पश्चात उन्होंने, अपनी जगन्नाथ पुरी की यात्रा, स्थगित कर दी, इन्हीं क्षेत्र में सर्वप्रथम अपनी वाणी से उपदेश देना आरम्भ किया ,बाबा के अमूल्य वचन सुनकर लोग मंत्र मुक्त रह गए, सामाजिक कुरीतियों ,छुआछूत पाखण्ड वाद के चलते, असंख्य दलित, शोषित व्यक्तियों में आस्था प्रेम विश्वास शांति और अपने मानव जन्म का महत्व समझ में आया, बाबा के अनुसार प्रकृति किसी से भेदभाव नहीं करती सूर्य ,चन्द्रमा ,आकाश भेदभाव नहीं करती तो ,इस मिट्टी की नस्वर काया कैसे मानव मात्र में भेद कर सकती है| बाबा के अनमोल वचन से लोगो में बाबा के प्रति आस्था जगी 
औरा धौरा का पेड़ गिरौदपुरी



गुरु घासीदास बाबा का शिक्षा सिद्धांत

(पहला)   सतनाम पर विश्वास करो|
(दूसरा)      जाती भेद के प्रपंच में ना पड़ो|
(तीसरा)   मांस भक्षण ना करो|
(चौथा)       पर नारी को माता समान मनो |
(पांचवा)     मूर्ति पूजा मत करो|
(छठवां)     शराब तथा अन्य प्रकार के मादक वस्तुओं का सेवन मत करो|
(सातवा)    गाय भैंस पर जुवा ना रखो अपरांत के पश्चात खेत ना जोतो |
(आठवां)    सत्य आचरण करो तथा सत्य बात को स्वीकार करो|

 baba Gaddi girodhpuri
गुरु गद्दी 

घासीदास बाबा की तपोभूमि है गिरौदपुरी  
आत्मज्ञान से <<"सतनाम">> शब्द पाकर बाबा ने कृषि कार्य का, परित्याग कर "तपस्वी "बन गए, वर्तमान समय में आज भी गिरौध नामक ग्राम से 1 मील दूरी पर एक चबूतरा स्थित है| जिस पर तेंदू का वृक्ष विद्यमान है| बाबा उसी पेड़ के छाया तले बैठकर सतनाम का चिंतन किया करते थे, बाबा का चमत्कार देखकर लोग उसको संत के पद पर आसीन कर दिए आज उस स्थान पर अनेक भव्य मंदिर का निर्माण किया जा चुका है | संत श्री गुरु घासीदास सोनाखान के घने जंगलों पर 6 माह तक अंतर्ध्यान  रहकर तप किया करते थे|

 
अमृत ​​कुंड गिरौदपुरी
अमृत ​​कुंड गिरौदपुरी

चरण कुंड गिरौदपुरी
चरण कुंड गिरौदपुरी


chhata pahad girodhpuri
छाता पहाड़ 

नारी जाति के प्रथम उद्धारक संत शिरोमणि श्री गुरु घासीदास बाबा ?

घासीदास बाबा के, आदेश अनुसार  इस क्षेत्र की ,सतनामी महिलाएं  घर में काम करने वाली ग्रहणी धान कटाई का हसिया हाथ में लेकर खेत खलिहान में उतरती है| इस स्वाधीनता कर्मठता का अधिकार दिलाने के लिए बाबा ने प्रथम झंडा उठाया , धार्मिक कार्यों पर पुरुष के समान अधिकार एवं विधवा स्त्री का पुनर्विवाह और एक स्त्री के विवाह आदि संबंधित हक के लिए उसने अपने जीवन में कठोर संघर्ष किए बाबा के इस कार्य से छत्तीसगढ़ के सभी पिछड़ी जाति को लाभ मिला तथा ,पुरुष प्रधान समाज की तरह स्त्री को हक प्राप्त हुआ जिसके चलते ,घर परिवार की उन्नति में नारी हाथ बटाने लगी| 

Baba Ghasidas's birthplace
बाबा घासीदास की जनम स्थली


सतनाम का प्रसार प्रचार
बाबा के द्वारा सतनाम का प्रचार बढ़ी दूर-दूर तक किया गया एवं पैदल ही बालाघाट लांजी, मंडला जबलपुर अमरकंटक बस्तर तथा दंतेवाड़ा कि यात्रा कि ,रास्ते में असंख्य रोगियों को अपने  चमत्कार से रोग मुक्त किया. जिसके प्रभाव से लोग बाबा से प्रभावित हो गए|

jaitkham Giroudpuri.Chhattisgarh
 

गुरु घासीदास बाबा जिस समय बस्तर की यात्रा कर रहे थे तब कुछ लोगों ने  राजआज्ञा से बाबा को बंधक बनाकर मा दंतेश्वरी के मंदिर में बली देने के लिए पकड़ कर ले गए, जैसे ही बाबा को बली दि जाने वाली थी|  तभी मां दंतेश्वरी रौद्र रूप हो गई, राजा एवं पुजारी मां के क्रोध से थर- थर कांपने लगे तथा बाबा के चरणों में गिरकर अपनी गलती कि क्षमा मांगी तब से लेकर आज तक दंतेश्वरी मंदिर में बलि प्रथा का समापन हुवा, इस चमत्कार स्वरूप पूरे बस्तर में बाबा के प्रति अटूट आस्था और श्रद्धा पैदा हुई|

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गुरु घासीदास का समाज सुधार का कार्य एवं आंदोलन 1820 से 1830 तक निरंतर चलता रहा सन 1836 में निर्वाण प्राप्त किया ,उसके पश्चात -कबीर पंथ की भांति सतनाम में भी गुरु प्रणाली आरम्भ हुई ,गुरु घासीदास के मृत्यु के पश्चात उसके जेष्ठ बालक दास महंत गुरु  हुए सन 1860 में बालक दास की मृत्यु पश्चात गुरु गद्दी के लिए संघर्ष छिड़ गया।

Temple of girodhpuri


गुरु घासीदास बाबा के सम्मान में राज्य सरकार के द्वारा 14 करोड़ रुपए की लागत से कुतुम मीनार से भी ऊंचे जैतखाम का निर्माण करवाया गया है| 
girodhpuri jaitkham image
girodhpuri jaitkham image

इस पवित्र धाम में विशाल जैतखाम पूरी दुनिया में शांति का संदेश देने के लिए श्वेत पताका फहराया जाता है| इस तीर्थ स्थल पर फागुन सुक्ल पक्ष पंचमी से सप्तमी तक तीन दिवसीय गिरौद का भव्य मेला लगता है| मेले की भव्यता देखते ही बनती है| पहाड़ों की गोद में बसे होने के कारण इसे गिरौध कहा जाता है| यहां पर बाबा के चरण कुंड, अमृत कुंड ,कुछ ही दूरी पर स्थित है| बृहद जैतखाम से छाता पहाड़ की दूरी 7: 30 किलोमीटर है| जो कि  प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है।
भंडारपुर तेलासी खड़वा , चटुवा, खपरी बोडसराधाम, चक्रवाय अमरताल जैसे सतनाम धर्म स्थल में अलग अलग तिथियों में मेले का आयोजन होता है|

girodhpuri  temple


इस पावन गिरौधपूरी नगरी में बाबा के दर्शन के लिए सभी धर्म के लोग दूर दूर से आते हैं।

गिरौदपूरी धाम कैसे पहुंचे:-
छत्तीसगढ़ी की राजधानी रायपुर से 135 किलोमीटर ,बलौदा बाजार होते हुए सड़क मार्ग से सीधे गिरोदपुरी पहुंचा जा सकता है| बिलासपुर से 80 किलोमीटर एवं शिवरीनारायण से 16 किलोमीटर दूरी पर स्थित है| महासमुंद से सिरपुर के रास्ते कसडोल होते  हुए भी बड़ी सुगमता से  इस धाम में पहुंचा जा सकता है। यहां आस-पास अनेक तीर्थ स्थल है जिसके दर्शन किया जा सकता है|

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इन्हे भी जरूर देखे :-