Thursday, August 17, 2017

Siva Temple Fingeshwar - Chhattisgarh (छः मासी रात का बना है यह शिव मंदिर)

अति प्राचीन है फिंगेश्वर का फनिकेश्वर नाथ शिव मंदिर छः मासी रात का बना है यह मंदिर बिना कलश का है यह मंदिर कलश स्थापित करने से पहले ही भोर  हो गया था इसलिए कलश को मंदिर के अंदर स्थापित कर  दिया गया है  : खजुराहो के सामान ही इसमें महीन से महीन नक्क्सी व  कामुक प्रतिमा का निर्माण किया गया है  इस मंदिर की निर्माण शैली भी अदभुद है| इस मंदिर को बनाने में विशाल चट्टानों को तरास कर इसमें प्रयोग किया गया है| यह मदिर अपने अंदर अनेको राज छुपाये हुवे है| इसे स्थानीय लोग  फिंगेश्वर का खजुराहो मंदिर भी कहते है|  
Siva Temple Fingeshwar

Fanikeshwar Nath - Siva Temple  Fingeshwar

Siva Temple Fingeshwar

Siva Temple Fingeshwar







इस मंदिर के सामने बेहद अधभुद पांच शिखरों  वाला मंदिर  है  मंदिर के अंदर राम जानकी ,हनुमान मंदिर अनेको देवी - देवताओ का मंदिर है  इस मंदिर परिसर में  जमीन के अंदर राजमहल  किला नुमा मिलता है जिसे उस समय के तात्कालिक राजा ने निर्माण करवाया था  अब उसमे   हमेश जल भरा रहता है | जो उस मंदिर का मुख्य आकर्सन का केंद्र है| मंदिर से थोड़ी दूर आपको जर्जर हालत में राज महल देखने को मिलता है|जिसे राजा का दरबार कहा जाता है  जो पुराने ज़माने की याद दिलाती है| यहा  दशहरा काफी हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है| जिसमे भव्य शोभा यात्रा निकाली जिसमे राजा के वंशज आज भी अपनी कुल देवी देवता की पूजा अर्चना करते है| जिसे शाहि  दशहरा कहा जाता है| 
   
फनिकेश्वर  नाथ  मंदिर को को पाच कोसी धाम के रूप में पूजा जाता है | इस स्थान पर वनवास के समय माता सीता ने शिव जी की पूजा अर्चना किया था | 
दूर दूर से भक्त सावन मॉस में यहाँ बाबा को जल से अभिषेक करने के लिए आते है| 

Ramai Path Temple Sorid khurd - Gariaband (रमई पाठ गादी माई मंदिर सोरिद अंचल )

दभुद है माँ सीता की प्रतिमा राम के परित्याग के बाद इस स्थान पर माँ का निवास था माता के दर्शन को भगवन राम,विष्णु,हनुमानजी ,गरुड़ जी ,शिव जी ,कालभैरो यहाँ पर आये थे ओर यही पर सब रम गए इसलिए इसका नाम रमई पाठ पड़ा |इस स्थान पर कुछ दिनों के पश्चात वाल्मीकि आये ओर माता को अपने आश्रम (तुरतुरिया ) ले गए वही पर लव - कुश की जन्म स्थली है|   

रमई पाठ सीता माई का मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के सोरिद ग्राम में स्थित है|
माता का मंदिर घने जंगल व विशाल पहाड़ो के बीच में स्थित है भक्तो को माता के प्रती अटूट आस्था व प्रेम है
ramai path mandir sorid khurd

  6 वी सदी कि है यहाँ कि मुर्तिया  माता को किसने स्थापित किया इसका रहस्य अभी तक पता नही चल पाया है| स्थानीय लोगो कि जानकारी के अनुसार इस स्थान पर कभी किशी ऋषि ने यहा पर तप किया और माता कि आराधन किया था| फिर माता के आशीर्वाद से पवित्र छोटी गंगा का यहाँ उद्गम हुवा|
gadi mai mandir sorid anchal


माँ गादी माई सोरिद खुर्द-सोरिद कला

ramai path fingeshwar-Gariaband

sorid temple fingeshwar

sorid mandir chhattisgarh




इस स्थान कि महत्व :-
यहाँ पर माता रानी कि प्रतिमा 6वी  सदी का है| माता रानी को किसी ने स्थापित नहीं किया माता स्वयम्भू है| माता के मंदिर के समीप प्राचीन हनुमान जी कि प्रतिमा काले रंग कि शिला पर है उसके आगे भैरव बाबा कि प्रतिमा है| जो माता के सेवा मे तत्पर दिखाई देते है| इस स्थान को तपस्या स्थली के रूप में भी पूजा जाता है| यहाँ पर विशाल आम्र वृक्ष के निचे पवित्र गंगा का उद्गम हुवा है| जो सभी भक्तो कि प्याश बुझती है इसके जल को बहुत्र पवित्र माना गया है| इसी कि जल से माता रानी कि पूजा किया जाता है| साथ ही इसके जल को पीने के लिए उपयोग किया जाता है| यहा का जो जल श्रोत है वह भीषण गर्मी में भी नहीं सूखता है निरंतर बहती रहती है| यहा पर चैत्र क्वार कि नवरात्रि में माता को प्रसन्न करने के लिए भक्तो के द्वारा मनोकामना ज्योति जलाई जाती है साथ ही भंडारे का आयोजन किया जाता है|
 यहा पर माता के सम्मान में प्रती वर्ष मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे भारी संख्या में लोग इस मेले में सामील होते है| यहाँ पर मन्दिर परिसर पर अनेक निर्माधीन मंदिर का निर्माण किया गया है जिसमे राम जानकी मन्दिर , दुर्गा माता मंदिर ,महादेव का मंदिर गंगा माता का मंदिर आदि प्रमुख है|
यहा पर एक विशाल वृक्ष पर गणेश भगवान कि प्रतिमा स्वयं अंकित होती जा रही है| जो काफी अदभुद है|
ganesh pratima ramai path

यहाँ पर अनेक मंदिर व सामाजिक भवन का निर्माण कार्य चल रहा है|

इस स्थान पर कैसे पहुचे :-

यह मंदिर राजिम से 33 कि.मी कि दूरी पर फिंगेश्वर से होते हुवे छुरा मार्ग पर सोरिद अंचल ग्राम पर ग्राम से १ कि.मी कि दूरी पर स्थित है| यह स्थान महासमुन्द से भी काफी नजदीक है महासमुन्द से राजिम फिंगेश्वर छुरा मोड़ मार्ग होते हुवे माता के दरबार में पंहुचा जा सकता है| अब यह स्थान पर्यटन स्थान के रूप में उभरता नजर आ रहा है इसका श्रेय वहा कि मंदिर समीतियो को जाता है| जो माता कि सेवा मे हमेश जुटे रहते है तथा निस्वार्थ भाव से माता कि सेवा करते आ रहे है|
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Wednesday, August 16, 2017

Bhuteshwar Nath Mahadev Shivling - Gariaband (भूतेश्वर नाथ शिवलिंग गरियाबंद- छत्तीसगढ़ )

Bhuteshwar Nath Mahadev Shivling-Gariaband-chhattisgarh
विश्व का यदी कोई सबसे बड़ा शिवलिंग है तो वह भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले के मरौद ग्राम के भूतेश्वर नाथ शिव लिंग है|
Bhuteshwar Nath Gariaband
भूतेश्वर नाथ शिवलिंग 

जो घने जंगल के बीच स्वयम्बू प्रकट हुवे है | इश शिवलिंग कि खासियत कि बात करे तो यह हर वर्ष नित – नित बड रही है जो अब काफी विशाल काय हो गई है जो अपने आप में यह सिद्ध करता है कि भोले बाबा स्वयं लिंग रूप में इस पावन धरा पर विराजमान है | इस कारन यहाँ करोडो भक्तो का आस्था का केंद्र बना है बाबा के दर्शन के लिए भक्त जन दूर – दूर से बाबा के दरबार में आते है|
Bhuteshwar Nath Mahadev Shivling
भूतेश्वर नाथ महादेव शिवलिंग 

सबसे ज्यादा भीड़ आपको तब देखने को मिलता है जब भोले बाबा का सावन मास चालू होता भक्त जन बाबा को जल अर्पण करने के लिए दूर दूर से आते है और बाबा का जल से अभिषेक करते है पूरा वातावरण  शिव मई हो जाता है और बोल बम के नारे से पूरा जंगल गूंज उठता है | जिधर देखो भोले बाबा के ही भक्त दिखाई देते है|

Bhuteshwar Nath shiv temple Gariaband

यह विश्व का सबसे विशाल और प्राकृतिक शिवलीग के रूप में जाना जाता है| यह जमीन से लगबग 19 फिट उचा और 21 फिट गोलाकार में है| शिवलिंग के समीप के प्राकृतिक जलहरी है|
शिवलिंग के पीछे बाबा कि प्रतिमा है जिसमे भोले बाबा माता पार्वती तथा गणेश ,कार्तिके नंदी के साथ विराज मान है| वहा  पर पंच मुखी शिवलिंह के भी दर्शन होते है| बाबा के समीप एक गुफा है जिसमे तपस्वी साधू कि चित्र अंकित किया गया है यहाँ पर कभी कोई साधू ने भोले बाबा के लिए ताप किया था| मंदिर के समीप कई अन्य मंदिर बनी हुई है | जो उस स्थान को चार चार लगा देता है|
बाबा के अन्य नाम:-   
भक्त जन भोले बाबा को भूतेश्वर नाथ तथा भकुरा महादेव के नाम से बाबा को पुकारते है| यह शिव लिंग आस पास कि निवासियों के लिए बड़ी ही आस्था का केंद्र है| स्थानीय लोग  इस धाम को पावन तथा काशी जैशा पवित्र मानते है| और किसी भी कार्य हो या अनुष्ठान पहले बाबा कि पूजा कि जाती है  तब लोग अन्य पूजा अर्चना  करते है|
इस स्थान पर कैसे पहुचे :-

इसकी दूरी रायपुर से लगभग 120 कि. मी है| राजिम से गरियाबंद होते हुवे यह पंहुचा जाता है महासमुन्द  से फिंगेश्वर होते हुवे जतमई घटारानी के रास्ते होते हुवे  भी पंहुचा जाता है|  रास्ते पक्की है घने जंगल का आनंद उठाते यहाँ पंहुचा जाता है पक्की रास्ते बनी हुई है| यह जिला मुख्यालय से महज 2 कि. मी कि दूरी पर स्थित है|
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Tuesday, August 15, 2017

Jatmai Ghatarani Temple,Gariyaband,Chhattisgarh (जतमई माता मंदिर गरियाबंद छत्तीसगढ़ )

जतमई माता मंदिर गरियाबंद छत्तीसगढ़ 
घने जंगलो चट्टानों झरनो के बीच में निवास करती है | माँ जतमई ,
jatmai temple
मुख्य मंदिर 

माता के दर्शन तथा झरनो का आनंद लेने के लिए लाखो कि संख्या में भक्त गन आते है | यह स्थान पर एक प्राकृतिक झरना है जो यहाँ का मुख्य आकर्षण का केंद्र है| इसी के चलते यहाँ हर समय भक्तो का ताता लगा रहता है 
jatmai waterfalls gariyabandh
जतमई माता मंदिर 


jatmai temple chhattisgarh
 मंदिर के पास झरना 


jatmai temple chura

इस स्थान पर आके लोग एक अलग ही अनुभव का अहसास करते है | तथा प्रकृति से  रूबरूब होते है यह पर झरनो पर लोग स्नान करते है तथा जल क्रीडा का लुप्त उठाते है इस स्थान पर भक्त सहज ही खीचे चले आते है | इस स्थान के आस पास जंगली जानवर का निवास स्थान है | और जानवर इसी के जल से अपनी प्यास बूझाते है
यहाँ पर माता को वनदेवी के नाम से जाना जाता है माता का मंदिर विसाल चट्टान के उपर बनी हुई है जो काफी अधभुद है माता रानी एक चट्टान मे खोल के नीचे निवास करती है उसके निवास स्थान से जल की धारा निकलती रहती है यही मंदिर प्रांगन  के समीप एक भव्य गुफा है गुफा के अंदर  माँ काली अपनी दो बहनों के साथ विराज मान है | यहाँ  पर एक विशाल शिव मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है | मंदिर से आगे यदि आप जाते हो तो आपको एक विशाल हनुमान जी कि प्रतिमा मिलती  है जिसमे हनुमान जी  भगवान राम और लक्ष्मण को अपने हातो पर उठाये हुवे है |
विशाल हनुमान प्रतिमा 

temple in chhattisgarh
प्रवेश द्वार 

jatmai mata
वनदेवी  माँ  जतमई 

यहाँ पर साल के दोनो नवरात्रि मे भक्तो के द्वारा मनोकामना ज्योति जलायी जाती है माता के इन नव दिनों में माता के भजन कीर्तन से पूरा वातावरण गूंज  उठता है भक्त अपनी मुरादे लेके यहाँ  आते है और झोली भरकर वापस जाते है
यही मंदिर के समीप एक शेर गुफा है जिसमे कभी शेर का निवास स्थान रहा होगा लेकीन पर्यटक तथा आवागमन  के कारन वह अब इस स्थान को छोड़ कर कही दूर चला गया है |
सिद्ध बाबा
माता रानी के मंदिर से ठीक पहले एक स्थान है जिसे सिद्ध बाबा का स्थान कहा जाता है कहते है आज से 400 से 500 पहले एक साधू रहते थे और आज भी उसका एक चिमटा उस स्थान पर है | जिसे लोग बड़ी श्रधा के साथ पूजा अर्चना  करते है|
कैसे पहुचे :- रायपुर से इसकी दूरी लगभग 76 कि.मी हैयह पहुचने के लिए उत्तम सडक मार्ग निर्मित है| यह स्थान पर पिकनिक आदि मनाने के लिए उत्तम स्थान हैयह क्षेत्र गरियाबंद जिले के छुरा ब्लाक के अंतर्गत आता है |
पास के अन्य तीर्थ यहाँ से आगे घटारानी के दरबार पंहुचा जाता उस स्थान पर प्राकृतिक झरना है| गरियाबंद के रास्ते कचना ध्रुवा के दर्शन किया जाता है  पैरी नदी के समीप  होते हुवे गरियाबंद पंहुचा  जाता है | जिला मुख्यालय  से 2 कि.मी बगल  में विशाल शिवलिंग है  जिसे भूतेश्वर नाथ कहा जाता है उसके दर्शन किया जा सकता है|

भक्तो से निवेदन :- है कि इन प्राकृतिक स्थान पर ज्यादा कूड़े करकट प्लास्टिक कि थैलिलो का प्रयोग ना करे तथा कूड़े करकट का उचित प्रबंधन करना चाहिए यत्र तत्र फेकना नहीं चाहीये तथा किसी प्रकार का तोड़ फोड़ नहीं करना चाहेए तथा अपनी मर्यादा में रहना चाहिये आनैतीक कार्य नही करना चाहिए रास्ता बड़ा दुर्गम है धीमी गति में चलना चाहिए|

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