छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक स्थल,Historical sites of Chhattisgarh
राजिम
छ. ग. का प्रयाग काहा जाता है| माघपुर्णिमा से महाशिवरात्री तक मेला लगता है| राजिम को पाँच मंदिर कुलेश्वर चम्पकेंष्वर ब्रम्हेंष्वर फिगेंष्वर पटेश्वर के कारण पंचकोषी धाम भी काहा जाता है|
निर्माणकर्ता नलवशी शासक विलासतुंग जिर्णोद्वार जगतपाल कल्चुरी शासक पृथ्वीदेव का सेनापति ने किया है |
कुलेश्वर महादेव मंदिर
बलौदाबजार जिला शिवरीनारायण
माता शबरी की पावन धरा भुमि जिसें छ ग का जगन्नाथ पुरी भी कहा जाता है| इस स्थान पर भगवान राम ने शबरी के जूठे बेर खाये ते | और नवधा भक्ति प्रदान किया था| महानदी शिवनाथ तथा जोंक के प्रयाग संगम पर स्थित है।
खरौद - छत्तीसगढ़ का काशी
इसे छत्तीसगढ़ का काशी कहा जाता है | लक्ष्मनेश्वर मंदिर काफी प्राचीन है| शिवरात्रि मे मेले का आयोजन किया जाता है|
गिरौदपुरी
संत घासीदास का जन्म स्थली यहा स्थित जैतखाम की उचाई 77 मीटर हैं ।जिसकी तुलना कुतुममीनार से की जाती है।
दामाखेडा
शिवनाथ तथा खारुण नदी के संगम पर सोमनाथ में स्थित हैं ।कबीर पंथीयो का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है|1903 में की गई है कबीर पंथीयो के 12 वें वंश गुरु उग्रनाम साहब कें द्वारा की गई है|
रायपूर जिला ,चन्दखुरी
भगवान राम की माता कौशल्या का मंदिर स्थित है। रामायण काल के वैद्धय सुषेन का निवास क्षेत्र था ।
आंरग
चम्पारण
महाप्रभु संत वल्लभाचार्य की जन्म स्थली है | और चम्पेश्वर नाथ शिव मंदिर है मंदिर काफी भव्य है| छत्तीसगढ़ मे शायद इससे वर्तमान निर्माधीन मंदिर नहीं है | चंपाझर (चम्पारण )के सभी आसपास ग्राम के लोग होलिका दहन नहीं करते है | तथा यहाँ के वन मे बिना चप्पल जुते के जाया जाता है |
बिलासपुर
रतनपुर 1050 ई में कल्चुरी शासक रत्नदेव प्रथम ने यह नगर बसाया ।तलाबो की नगरी कहा जाता हैं।
महामाया मंदिर
निर्माणकर्ता रत्नदेव प्रथम स्थापना 11 सदी में
रामटेंकरी मंदिर
निर्माण कर्ता बिम्बाजी भोसलें नें 18 वी सदी में कराया था।
सती चैरा
भैरव बाबा मन्दिर
लखनी मन्दिर
तुलजा भवानी मन्दिर
तलागाव
रूद्रशिव की प्रतिमा की अस्ठमुखी प्रतीमा लाल बलुआ पत्थर सें निर्मित 11 जीवो प्रणियो के अंगो सें निर्मित है| निर्माणकर्ता शरभपुरीय शासक
देवरानी जेठानी मंदिर
छ. ग.का प्राचीन मंदिर गुप्तकालीन स्थापत्य कला का प्रतिनिधित्व करता है निर्माण 5वी सें 6वी शताब्दी में
लाल बलुआ पत्थर से निर्मित।
अमेंरीकापा
मनियारी नदी के तट पर शिवनाथ और मनियारी के संगम पर स्थित हैं । पुरातात्विक स्थल है।
मल्हार बिलासपुर
शरभपुरी राजा प्रसन्नमात्र द्वारा लीलागर नदी के समीप स्थित है। यहा डिंडेश्वर मंदिर पतालेश्वर मंदिर
चतुर्भुजी नारायण की प्रतीमा सर्व प्राचीन मुर्ति मौर्य कालीन मुर्ति है।
छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल संपर्क सूत्र
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Bhahut hi badhiya information di hai aap ne..
ReplyDeleteIt's really awesome on historical places in Chattisgarh. All the places are amazing as well as you have mentioned the gorgeous pictures.
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