दुनिया की सबसे ऊंची अखण्ड प्रतिमा है बाहुबली की |
श्रवणबेलगोल कर्नाटक राज्य में दक्षिण-रेल्वे की बंगलोर-हरिहर-पूना लाइन के आरसीकेरे स्टेशन से 67 किमी., मैसूर से 99 किमी., बंगलोर से 164 किमी. और हासन से 49 किमी दूर यह स्थान है ।इन सभी स्थानों से श्रवणबेलगोल के लिये सीधी मोटर-बस से चलती हैं। इसे ‘‘गोम्मट-तीर्थ‘‘ भी कहा जाता है । यहाँ जैन-धर्मशाला है । यहाँ से जैन-तीर्थ मूलबदरी, हालेविद, वेणूर, कारकल को मोटर-बस से जाती हैं ।
एक ही पर्वत को काटकर बनाया गया है यह नायाब प्रतिमा
यहाँ अन्तिम श्रुतकेवली श्रीभद्रबाहु स्वामी ने समाधि धारण किया था । यहाँ श्रीभद्रबाहु स्वामी( बाहुबलीजी ) की 57 फुट ऊँची मूर्ति पर्वत के शिखर पर है, जो कई किमी. दूर से दिखती है ।
भगवान बाहुबली और श्रवणबेलगोल
श्रवणबेलगोल गाँव दो पर्वतों के बीच में बसा है । एक ओर विन्ध्यगिरि (इन्द्रगिरि) है और दूसरी ओर चन्द्रगिरि । पर्वतों के नीचे गाँव में एक झील है । दोनों पर्वतों में से विन्ध्यगिरि कुछ अधिक ऊँचा है ।
पर्वत पर चढ़ने समय पहले एक मन्दिर आता है, उसमें ऊपर के खण्ड में पाश्र्वनाथ स्वामी की मूर्ति है । पर्वत के ऊपर पहुँचने पर एक पुरानी दीवार का घेरा मिलता है । उस घेरे के भीतर कई मन्दिर हैं । पहले ही एक छोटा मन्दिर ‘चैबीस तीर्थकर बसती‘ मिलता है । इसके उत्तर -पश्चिम एक कुण्ड है । कुण्ड के पास ‘चेन्नण्ण बसती‘ नाम का दूसरा मन्दिर है । इसमें चन्द्रनाथ स्वामी की मूर्ति है । उससे आगे चबूतरे पर एक सुन्दर मन्दिर है । उसमें आदिनाथ, शान्तिनाथ तथा नेमिनाथ की मूर्तियाँ हैं ।
पर्वत पर चढ़ने समय पहले एक मन्दिर आता है, उसमें ऊपर के खण्ड में पाश्र्वनाथ स्वामी की मूर्ति है । पर्वत के ऊपर पहुँचने पर एक पुरानी दीवार का घेरा मिलता है । उस घेरे के भीतर कई मन्दिर हैं । पहले ही एक छोटा मन्दिर ‘चैबीस तीर्थकर बसती‘ मिलता है । इसके उत्तर -पश्चिम एक कुण्ड है । कुण्ड के पास ‘चेन्नण्ण बसती‘ नाम का दूसरा मन्दिर है । इसमें चन्द्रनाथ स्वामी की मूर्ति है । उससे आगे चबूतरे पर एक सुन्दर मन्दिर है । उसमें आदिनाथ, शान्तिनाथ तथा नेमिनाथ की मूर्तियाँ हैं ।
भारत के 7 आश्चर्यजनक अजूबो में प्रथम स्थान है बाहुबली की प्रतिमा का
इस स्थान से आगे घेरे में ऊपर जाने का द्वार है । यहाँ द्वार के पास बाहुबली जी का छोटा मन्दिर तथा उनके भाई भरत का मन्दिर है । कुछ और मूर्तियाँ भी हैं । आगे एक घेरे के भीतर श्रीबाहुबलीजी (भद्रबाहु स्वामी ) की विशाल मूर्ति है । यह 57 फुट ऊँची दिगम्बरमूर्ति विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति है । मूर्ति पर्वत-शिखर को काटकर बहुत सुडौल बनायी गयी है और भव्य है । यह मूर्ति चामुण्डरायजी द्वारा बनवायी गयी थी ।
Hii there
ReplyDeleteNice blog
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Gomateshwara Temple in Karnataka
हूं शुद्ध निराकुल सिद्धोसम,भवलोक हमरा वासा ना,।रिपू रागरु द्वेष लगे पीछे,याते
ReplyDeleteशिवपद को पाया ना।। निज के गुण निज में पाने को,प्रभू अर्ध्य सँजोकर लाया हूं।
हे बाहुबली तुम चरणों मे,सुख संमति पाने आया हूं।।
Amazing Statue for Gomteshwar Bahubali &
ReplyDeleteNice place
कर्नाटक राज्य में बैंगलोर से 120 किलोमीटर पश्चिम में श्रवणबेलगोला की पहाड़ी, जैनियों का तीर्थ स्थान है। श्री गोमतेश्वर की मूर्ति श्रवणबेलगोला ५ 8 फीट, 978 इंच की प्रतिमा दुनिया में सबसे ऊंची मुक्त खड़ी प्रतिमा है।श्रवणबेलगोला के मुख्य त्योहार को महा मस्तका अभिषेक या 'प्रमुख अभिषेक समारोह' कहा जाता है। त्योहार से पहले एक विशाल लकड़ी का मचान श्री गोमतेश्वर की प्रतिमा के चारों ओर बनाया गया है
ReplyDeleteVery good website, thank you.
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