Friday, February 28, 2020

हथखोज मेला ,शक्ति लहरी माता मंदिर (Mata Shakti Lahri Devi Temple ,Hathkhoj - Mahasamund)

ग्राम हथखोज महासमुंद जिला से 14 km की दुरी पर स्थित है। यहाँ महानदी एवं अन्य 6 सहायक नदियों का संगम है इस कारण इसे सप्त धारा संगम भी कहा जाता है।
Mata Shakti Lahri Devi Temple ,Hathkhoj
शक्ति लहरी माता 

हथखोज तक सड़क मार्ग से पंहुचा जा सकता है। इस स्थान पर माता शक्ति की मंदिर स्थापित है, प्रत्येक वर्ष की मकर सक्रांति को यहाँ मेले का आयोजन होता है। जहां दूर दूर से लोग आते है। मेला पुरे नदी स्थल पर ही आयोजित होता है।
HATHKHOJ MELA MAHASMUND
मंदिर परिसर 
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सात धाराओ का दिशा चित्र

मंदिर से जुडी एक अति विश्वसनीय मान्यता यह है की मकर सक्रांति त्यौहार के दिन जो भी भक्त श्र्द्धा भाव से मेला स्थल पर माता शक्ति को दंडवत प्रणाम करता है माँ शक्ति उसपर सवार होती है और वह व्यक्ति उसी (दंडवत) मुद्रा में जमीन पर लोटने लगता है, 
Mata Shakti Temple ,Hathkhoj
मुख्य मंदिर 

मंदिर परिसर का मनोरम दृश्य 
और तब तक लोटता ही रहता है जब तक उसके हाथ छूट न जाये। जब व्यक्ति लोटना बंद करता है तब वह कुछ देर मूर्छा में चला जाता है। गौर करने वाली बात ये होती है इन सब गतिविधियों के बारे में उस व्यक्ति को कुछ पता नहीं होता। 


पुरे मेला स्थल पर आपको इस दिन जहां तहाँ इस तरह लोटते हुए लोग दिखाई पड़ेंगे। लोगो का मानना है की ये माँ का आशीर्वाद है और इस तरह उनके पापों का प्रायश्चित होता है। इस मान्यता के कारण पुरुष ही नहीं माताएँ बहनें भी निःसंकोच माँ शक्ति की वंदना कर प्रक्रिया में भाग लेते है। निचे दिए हुए link पर जाकर मेला वीडियो देखें।(कैसे जमीन पर लोटते है श्रद्धालु )

Thursday, February 13, 2020

सम्पूर्ण दर्शन माँ खल्लारी मंदिर भीमखोज महासमुन्द Maa Khallari Mandir Sampurn Darshan (2021)

माँ खल्लारी मंदिर महासमुंद से 23 km दूर बागबाहरा मार्ग पर ग्राम भीमखोज में स्थित है।जिला महासमुंद में कई पर्यटन स्थल जैसे बागबाहरा चंडी, कोसरंगी के सिद्ध बाबा व स्वप्न देवी महामाया,मामा भांजा मंदिर, सिरपुर, बेमचा खल्लारी, बिरकोनी चंडी, शक्ति माता हथखोज आदि अनिके दर्शनीय स्थल है।साथ ही यहाँ से राजीव लोचन मंदिर राजिम 30 km, चम्पारण 25 km की दुरी पर है।
खल्लारी मंदिर  
Source :- माँ खल्लारी मंदिर समिति द्वारा ड्रोन से लि गयी फोटो 

भीमखोज तक पहुचने के लिए सड़क एवम् रेलमार्ग दोनों की सुविधा है रेलवे स्टेशन से मंदिर की दुरी लगभग 2 km है। भीमखोज खल्लारी प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है। माँ खल्लारी जी की मंदिर ऊपर पहाड़ी में स्थित है।


khallari mata bhimkhoj
माँ खल्लारी 
पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है यहाँ कुल 842 सीढ़िया है। संगमरमर और ग्रेनाइट पत्थरो से निर्मित मंदिर देखकर आँखे ठहर जाती है। खल्लारी में पहाड़ी से निचे छोटी खल्लारी व् मंदिर के ऊपर पहाड़ी वाली बड़ी खल्लारी माता विराजमान है।

Maa Khallari Bhimkhoj Khallari
माता खल्लारी 

mata khallari
पहाड़ी पर विराजित माँ खल्लारी 

Maa Khallari Temple Khallari
निचे वाली माँ खल्लारी 



माँ खल्लारी का आगमन यहाँ महासमुंद के समीप स्थित ग्राम - बेमचा से हुआ है। यह स्थान अनेक पौराणिक कथाओ को समेटे हुए है।

प्रथम दर्शन खल्लारी धाम - मेघा ऋषि 

प्रवेश द्वार - ऊपर वाली खल्लारी माता 


महाबली हनुमान खल्लारी धाम 

महर्षि वेदव्यास 

माँ अन्नपूर्णा देवी मंदिर 

गुफा वाली दंतेश्वरी माई 


यहाँ गुफा वाली माँ दंतेश्वरी, शिव दर्शन, भागीरथी दर्शन, बटुक भैरव, भीम पाँव, भीम चुल, व डोंगा पत्थर आदि देखने योग्य है। उची पहाड़ी पर चारो ओर बिखरी हरियाली मन मोह लेती है।


वही लगभग 10 फिट उची और 20 फिट लंबी डोंगा पत्थर लोगो का ध्यान आकर्षित करती है डोंगा पत्थर की स्थिति देखने में ही असहज है।
डोंगा पत्थर खल्लारी 


पहाड़ी पर जगह जगह छोटे गड्ढे देखने को मिलते है ये गड्ढे कोई सामान्य गड्ढे नहीं बल्कि पांडव पुत्र भीम के पावँ के निशान है इनके आकर 2 फुट से लेकर 8 फुट तक लंबाई के, 5 फुट तक चौड़े और 6 से 8 फुट तक गहराई के देखने को मिलते है। ऐसा कहा जाता है की अज्ञात वास के समय भीम इन पहाड़ियों पे विचरण किया करते थे ये उन्ही के पाव के निशान है । भीम की विशालता और शारीरिक क्षमताओं के बारे में हमें अकसर कई कथाओ में सुनने को मिलते है इन बातो से इस मान्यताओ को और भी बल मिलता है।यही पर एक लंबी चौड़ी चूल्हे की आकर की चट्टान है जिसे भीमचुल कहा जाता है इसी पत्थर पर भीम खाना बनाया करते थे ऐसी मान्यता है ।पहाड़ी पर और भी कई चीजे धयान आकर्षित करती है यहाँ से आसपास का नजारा भी शानदार होता है सीढ़ियों पर झुण्ड में बैठे बंदर भी कहि न कहि दिख ही जाते है इनकी उछाल कूद पूरी पहाड़ी पर जब तब दिखती ही रहती है।

माँ खल्लारी के अनन्य भक्त 

भागीरथी दर्शन 


शिव दर्शन 

भगत  के वश में है भगवान 
  
खल्लारी मंदिर 

सिद्ध बाबा दर्शन खल्लारी डोंगरी 




खोखला पठार 




नायक व बंजारा की श्रापित प्रतिमा 

निचे वाली खल्लारी माता ,माता राउर 

जगन्नाथ मंदिर 
साल के दोनों नवरात्रो में श्रद्धालु यहाँ मनोकामना पूर्ति हेतु ज्योत जलाते है।साथ ही नवरात्र में यहाँ बड़ी संख्या में लोगो की भीड़ माँ के दर्शन के लिए उमड़ती है नवरात्र में कई आयोजन भी कराये जाते है।चैत्र मास की पूर्णिमा में यहाँ मेला लगता है।

माँ काली प्रतिमा - खल्लारी धाम 

पहाड़ी से निचे करीब 800 मिटर की दुरी पर माँ काली की लगभग १२ फिट ऊची विशाल प्रतिमा और भगवान् जगन्नाथ जी की प्राचीन मंदिर स्थित है। जगन्नाथ जी का यह मंदिर 8वीं सदी में बनाया गया था।पत्थरो से बने इस मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है मंदिर प्रांगण का महौल बहुत शांत है साथ ही मंदिर में जगन्नाथ जी की बहुत सुंदर प्रतिमा स्थापित है। जगन्नाथ यात्रा में यहाँ विशेष आयोजन होता है।



यहाँ से ग्राम कोसरंगी के सिद्ध बाबा मंदिर केवल 13 km. दूर है इसलिए जब भी आप खल्लारी माता के दर्शन के लिए आयें तो ग्राम कोसरंगी के सिद्ध बाबाचंडी माता मन्दिर बागबाहरा के दर्शन जरूर करते जाये।

Tuesday, February 11, 2020

माँ रमई पाठ मंदिर ग्राम - सोरिद खुर्द Ramai Path Temple Village - Sorid Khurd

माता सीता का पावन धाम रमई पाठ, आदिवाशी अंचल में पहाडियों एव वन अच्छादित स्थल पर प्राक्रतिक प्रदत्त निर्मल पावन गंगा कि धारा कि तरह आम वृक्ष से अविरल कलरद करती निरंतर बारहमास प्रवाहित होती रहती है| यहाँ प्राचीन देव प्रतिमाये विराजमान है|
पेट पर हाथ रखे माँ सीता 

यहाँ स्वयम्भू शिवलिंग रमई माता ,विष्णु जी ,काल भैरव ,नरसिंह भगवान ,हनुमान जी का विशाल प्रतिमा |प्राकृतिक स्थल को और निखारने एव दर्शनार्थियों के भावनावो के अनुरूप श्री राघवेन्द्र सरकार कि मंदिर एव बजरंग बली का मंदिर तथा शेष शैय्या पर भगवान विष्णु कि प्रतिमा विराजमान कि गयी | इस घनघोर वन पहाड़ पर अदभूद दुःख हरण करने वाली औषधिय एव जड़ी बूटि से भरा है| ममता कि मूर्ति मनोकामना कि पूर्ति करने वाली माता के आशीर्वाद से हजारो माताओ के गोद पर आज बाल किलकारिया सुनाई देती है|
भगवान राम ,माता सीता, विष्णु जी 

 जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण हजारो कि संख्या में चढ़ावे का संकल्प हमारा ध्यान आकृष्ट करता है|अत: यह स्थल नि:संतान दाम्पत्य के लिए वरदान स्थल है| यहाँ शारदीय नवरात्र एवं चैत्र नवरात्र पर मनोकामन ज्योति प्रज्वलित कि जाती है|तथा चैत्र पूर्णमाशी पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है|इस स्थल को ऋषि मुनियों का तपो स्थली होने का गौरव प्राप्त हुवा है| 
पवित्र गंगा का उद्गम 

स्त्री वेश में हनुमान जी 

वृक्ष से गणेश की आकृति बनती हुई 

जगन्नाथ प्रतिमा - रमई पाठ 

काल भैरव - रमई पाठ सोरिद अंचल 

स्व्यंभू शिव जी - रमई पाठ 

रमई पाठ का मनोरम दृश्य 

ज्योति कक्ष रमई पाठ 

नरसिंघ नाथ - रमई पाठ 

भगवान गरूड की प्राचीन प्रतिमा 

पौराणिक कथावो व बड़े बुजुर्ग के बताये अनुसार कहा जाता है| कि भगवान श्री राम के द्वारा माता सीता का परित्याग के उपरांत,रामआज्ञा से लक्ष्मण ने माता सीता को रमई पाठ के इन्ही जंगलो में छोड़ कर निकल गए, उस समय माता सीता गर्भ अवस्था में थी| माता सीता को घने जंगलो में प्याश लगी होगी जानकर माता गंगा स्वयं आम वृक्ष के निचे प्रकट हो गई| और पतित पावन जल कि धारा अविरल बहने लगी| इसके कुछ दिनों के उपरांत महर्षि वाल्मीकि ने माता सीता को बड़े ही आदर भाव से अपने आश्रम तुरतुरिया ले गयी जहा पर लव कुश का जन्म हुवा| रमई पाठ में माता सीता कि गर्भ अवस्था कि प्रतिमा विराजमान है| व भगवान राम विष्णु कि प्रतिमा साथ में है| यह स्थल कई रहष्यो से भरा पड़ा है| यहाँ कि पहाडियों में खजाना छुपा होने का दावा किया जाता है|यहाँ कई निर्माधीन मंदिर का निर्माण किया गया है| पूरा मंदिर परिसर प्राकृतिक सुन्दरता से भरा पड़ा है| यहाँ पर आके भक्त जन परम आनंद कि अनुभुती महसूस करते है|

रमई पाठ सोरिद खुर्द - कैसे पहुंचे :-
रमई पाठ फिंगेश्वर से छुरा मार्ग पर फिंगेश्वर से  10 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है |रायपुर से 84 कि.मी की दुरी व्  सोरिद से उत्तर दिशा की ओर 1/2  किलोमीटर की दुरी पर रमई पाठ धाम स्थित है|  सड़के उत्तम है|  

Monday, February 10, 2020

महादेवघाट ग्राम कनेकेरा महासमुंद (MAHADEV GHAT KANEKERA MAHASAMUND)

श्री शिव जी मंदिर महासमुंद जिला अंतर्गत ग्राम कनेकेरा में स्थित है, महादेवघाट ।महादेवघाट की दुरी महासमुंद जिला से 10 km की है। महासमुंद से फिंगेश्वर मार्ग में स्थित इस मंदिर के नाम से ही स्पष्ट है की यहाँ भगवान शिव जी का मंदिर है।
 Swayambhu Mahadev -Kanekera
महानदी की सहायक नदी के तट पर विराजमान भगवान शिव के इस मंदिर का इतिहास सदियो पुराना है।यह मंदिर यहाँ कब से है इसका कोई स्पष्ट उल्लेख कहि भी नहीं है।इतिहास के धुंधले पन्नों को खुरेदने से पता चलता है, की पूर्व में इस स्थान पर कोरिया नामक दो वृक्ष थे इन दोनो वृक्ष की जड़े एक ही स्थान पर थी। इन दोनों वृक्ष के बिच से शिवलिंग का उदभव हुआ।तब शिवलिंग का आकर बहुत छोटा था और यह छेत्र मैदान था जहाँ घास फुस और ऊची झाड़िया थी लोगो का यहाँ आना जाना बहुत कम था पतली पगडण्डी के किनारे भगवान शिव विराजमान थे । 
शिव मंदिर महादेवघाट
शिवलिंग समय बदलता गया और अपने साथ बहुत कुछ बदलता चला गया, आज इस मंदिर की शोभा देखते ही बनती है।शिव जी के मंदिर के साथ साथ यहाँ केवट समाज का राम मंदिर, दुर्गा मंदिर, व् शनिदेव मंदिर भी है। वही नाग देवता की बड़ी बाम्बी है जहाँ बनी नागदेवता की आकृति सहज ही सजीव प्रतीत होती है। 

महादेव घाट कनेकेरा महासमुंद 
कहते है शिवलिंग की आकृति पहले बहुत छोटी थी अब ये काफी बड़ी हो चुकी है। मंदिर की बनावट साज-सज्जा बहुत ही अच्छी है शिव जी के मंदिर के सामने नंदी की विशाल प्रतिमा विराजमान है। 

राम जानकी मंदिर - निषाद समाज द्वारा निर्मित  

भगवान राम की प्रतिमा 

बाहर प्रांगण में केवट समाज का राम मंदिर है जहाँ भगवान राम, लक्षमण, और जानकी जी की अति सुंदर मुर्तिया है। वही दूसरी ओर माँ दुर्गा जी की मंदिर भी देखने योग्य है । इस मंदिर का निर्माण सन् 2011-2012 में हुआ है।यहाँ माँ दुर्गा की करीबन 5 फिट ऊची माँ दुर्गा की संगमरमर से बनी मूर्ति स्थापित है।मंदिर की भीतरी दीवारों में चारो ओर माँ दुर्गा के नव रूपो को उकेरा गया है । नवरात्र में श्रद्धालुगण मनोकामना पूर्ति हेतु यहाँ ज्योत भी जलाते है, पिछले वर्ष चैत्र मास की नवरात्री में यहाँ 272 ज्योत जले थे। 

MAHADEV GHAT KANEKERA MAHASAMUND
माँ दुर्गा मंदिर - सिन्हा (कलार )समाज 
श्रावण मास में यहाँ शिवभक्तो का विशाल जनसंग्रह उपस्थित होता है पूरा मंदिर परिसर भगवा रंग से रंग जाता है ग्राम बोल बम! के नारों से गूंजता है। अलग अलग स्थानों से श्रद्धालु कावर में जल लेकर दूर दूर से पैदल यात्रा करते हुए यहाँ आकर अपने आराध्य भगवान् शिव को जलार्पण करते है। यहाँ खास बात ये है की यहाँ माघ मास की पूर्णिमा में प्रतिवर्ष 2 से 3 दिनों तक मेले का आयोजन होता है जिसमें दूर दूर से लोग आते है दो दिनों तक आयोजित होने वाले इस मेले में ग्रामीणों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन भी होते रहते है। इसी समय से राजिम कुम्भ मेले का भी आरम्भ होता है जो महाशिवरात्रि तक चलता है। शिवरात्रि में भी लोग दर्शन के लिए आते है । 


                                                                                                                        संकलन 
                                                                                                          ओमप्रकाश भाई नवरत्न 
                                                                                                             ग्राम-टीला (चंपारण) 

Sunday, February 9, 2020

नागिन डोंगरी जुनवानी कला ( Nagin Dongari Junwani Kala - Bagbahra C:G)

नागिन डोंगरी की दुर्दशा - ग्राम जुनवानी कला, तहसील - बागबाहरा- जिला - महासमुंद (छः ग़) 

जुनवानी कला ,बागबाहरा से 08  कि.मी  की दुरी पर स्थित है व चंडी मंदिर घुंचापाली से 03 किलोमीटर  पर  यह  ग्राम विद्यमान है इन्ही ग्राम  में अति प्राचनी नागिन डोंगरी है| यहा  लगभग 50 फिट लम्बा एक ऐसा स्थान है मानो वहा  कोई सर्प पड़ा हो और जिसे किसी ने धारदार हथियार से टुकड़े - टुकड़े कर दिया  हो | जुनवानी के ग्रामीण श्रावण के महीने में इसकी (ग्राम - रसिका )के रूप में पूजा करते है| 
नागिन पत्थर 
यहाँ पड़े अनेक निशान ऐसा आभास देता है की कोई सर्प अभी - अभी  ही वहा से गुजरा है| यहाँ कुछ ऐसे बिंदु है| जहा पत्थरो के टुकड़े मारने से वहा मधुर ध्वनि निकलती है | ऐसा प्रतीत होता है ,मानो इस डोंगरी के गर्भ में कुछ छिपा है|यह स्थल प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है|  
 यहाँ पर प्राचीन सील लोढहा भी देखने को मिलता था मगर आसमाजीक  तत्व के द्वारा इसे चुरा लिया गया है|          

नागिन डोंगरी की वर्तमान स्थिति :- आज नागिन डोंगरी समाप्त होने के कागार पर आ चुकी है| पूरा परिसर अतिक्रमण का शिकार हो गया है | ऐसा लगता है मानो कुछ वर्ष उपरांत यह स्थान खेत में तब्दील हो जायेगा यहाँ पर मंदिर बनाने के लिए लोहे के बीम दिए गए है, मगर लगता है| की कई वर्ष के पश्चात भी यहाँ मंदिर निर्माण नहीं किया गया जिसके चलते लोहे के राड चोरी होती जा रहे है|  और जो बचे है वह जंख खाते नजर आ रहा है| ग्राम वालो की लापरवाही के चलते यह स्थान कुछ वर्ष उपरांत विलुप्त हो जाएगा | 
मेरा सभी से निवेदन है की ऐसी प्राचीन स्थली को बड़े ही प्रेम भाव से संजो के रखना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी अपनी वैभव शाली इतिहास को जान सके | इस नागिन डोंगरी की संरक्षण की तरफ ग्रामवासी एवं प्रशासन को ध्यान देना चाहिए तथा पुरे परिसर को अतिक्रम मुक्त कर पर्यटन स्थल घोसित करना चाइये |
 आपका एक सहयोग इस प्राचीन स्थल को तबाह होने के कागार  से बचा सकता है | बाकि  माँ चंडी की ईच्छा 

                                                                                                       संकलन 
                                                                                            देवेन्द्र कुमार चन्द्राकर 
                                                                                   ग्राम - बोरियाझर ,महासमुंद (छः ग:)