Tuesday, February 11, 2020

माँ रमई पाठ मंदिर ग्राम - सोरिद खुर्द Ramai Path Temple Village - Sorid Khurd

माता सीता का पावन धाम रमई पाठ, आदिवाशी अंचल में पहाडियों एव वन अच्छादित स्थल पर प्राक्रतिक प्रदत्त निर्मल पावन गंगा कि धारा कि तरह आम वृक्ष से अविरल कलरद करती निरंतर बारहमास प्रवाहित होती रहती है| यहाँ प्राचीन देव प्रतिमाये विराजमान है|
पेट पर हाथ रखे माँ सीता 

यहाँ स्वयम्भू शिवलिंग रमई माता ,विष्णु जी ,काल भैरव ,नरसिंह भगवान ,हनुमान जी का विशाल प्रतिमा |प्राकृतिक स्थल को और निखारने एव दर्शनार्थियों के भावनावो के अनुरूप श्री राघवेन्द्र सरकार कि मंदिर एव बजरंग बली का मंदिर तथा शेष शैय्या पर भगवान विष्णु कि प्रतिमा विराजमान कि गयी | इस घनघोर वन पहाड़ पर अदभूद दुःख हरण करने वाली औषधिय एव जड़ी बूटि से भरा है| ममता कि मूर्ति मनोकामना कि पूर्ति करने वाली माता के आशीर्वाद से हजारो माताओ के गोद पर आज बाल किलकारिया सुनाई देती है|
भगवान राम ,माता सीता, विष्णु जी 

 जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण हजारो कि संख्या में चढ़ावे का संकल्प हमारा ध्यान आकृष्ट करता है|अत: यह स्थल नि:संतान दाम्पत्य के लिए वरदान स्थल है| यहाँ शारदीय नवरात्र एवं चैत्र नवरात्र पर मनोकामन ज्योति प्रज्वलित कि जाती है|तथा चैत्र पूर्णमाशी पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है|इस स्थल को ऋषि मुनियों का तपो स्थली होने का गौरव प्राप्त हुवा है| 
पवित्र गंगा का उद्गम 

स्त्री वेश में हनुमान जी 

वृक्ष से गणेश की आकृति बनती हुई 

जगन्नाथ प्रतिमा - रमई पाठ 

काल भैरव - रमई पाठ सोरिद अंचल 

स्व्यंभू शिव जी - रमई पाठ 

रमई पाठ का मनोरम दृश्य 

ज्योति कक्ष रमई पाठ 

नरसिंघ नाथ - रमई पाठ 

भगवान गरूड की प्राचीन प्रतिमा 

पौराणिक कथावो व बड़े बुजुर्ग के बताये अनुसार कहा जाता है| कि भगवान श्री राम के द्वारा माता सीता का परित्याग के उपरांत,रामआज्ञा से लक्ष्मण ने माता सीता को रमई पाठ के इन्ही जंगलो में छोड़ कर निकल गए, उस समय माता सीता गर्भ अवस्था में थी| माता सीता को घने जंगलो में प्याश लगी होगी जानकर माता गंगा स्वयं आम वृक्ष के निचे प्रकट हो गई| और पतित पावन जल कि धारा अविरल बहने लगी| इसके कुछ दिनों के उपरांत महर्षि वाल्मीकि ने माता सीता को बड़े ही आदर भाव से अपने आश्रम तुरतुरिया ले गयी जहा पर लव कुश का जन्म हुवा| रमई पाठ में माता सीता कि गर्भ अवस्था कि प्रतिमा विराजमान है| व भगवान राम विष्णु कि प्रतिमा साथ में है| यह स्थल कई रहष्यो से भरा पड़ा है| यहाँ कि पहाडियों में खजाना छुपा होने का दावा किया जाता है|यहाँ कई निर्माधीन मंदिर का निर्माण किया गया है| पूरा मंदिर परिसर प्राकृतिक सुन्दरता से भरा पड़ा है| यहाँ पर आके भक्त जन परम आनंद कि अनुभुती महसूस करते है|

रमई पाठ सोरिद खुर्द - कैसे पहुंचे :-
रमई पाठ फिंगेश्वर से छुरा मार्ग पर फिंगेश्वर से  10 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है |रायपुर से 84 कि.मी की दुरी व्  सोरिद से उत्तर दिशा की ओर 1/2  किलोमीटर की दुरी पर रमई पाठ धाम स्थित है|  सड़के उत्तम है|  

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