Gandheshwar Shivling Sirpur सिरपुर जहा शैव, एवं वैष्णव, धर्म के मिलन का प्रतीक प्राचीन नगरी सिरपुर जिसे शैव व बुद्ध की नगरी भी कहा जाता है | यहाँ पर साईड नंबर 15 में उत्खनन के उपरांत एक ऐसा शिवलिंग प्राप्त हुवा है | जिसमें तुलसी के पौधे के सराखे की खुशबु निकलती रहती है |
Thursday, May 31, 2018
Wednesday, May 23, 2018
Thursday, May 17, 2018
Chhattisgarh tourist places with photos (फोटो के साथ छत्तीसगढ़ पर्यटन स्थल )
छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक स्थल,Historical sites of Chhattisgarh
राजिम
छ. ग. का प्रयाग काहा जाता है| माघपुर्णिमा से महाशिवरात्री तक मेला लगता है| राजिम को पाँच मंदिर कुलेश्वर चम्पकेंष्वर ब्रम्हेंष्वर फिगेंष्वर पटेश्वर के कारण पंचकोषी धाम भी काहा जाता है|
छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थल (Religious sites of Chhattisgarh)
छत्तीसगढ़ के धार्मिक एवं पर्यटन स्थल Chhattisgarh Ke Dharmik Evam Paryatan Sthal
छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दक्षिण कौशल था | महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में उत्तर कोशल व दक्षिण कोसल आ उल्लेख किया गया है| राजा दशरत की भार्या कौशल्या इसी दक्षिण कोसल की राजकुमारी थी |
रायपुर छत्तीसगढ़ की नव गठित राजधानी है| रायपुर ऐतिहासिक महत्व का स्थान है | यहां पर पांचवी सदी में पांडुवंश ने अपनी प्रभुत्व स्थापित किया था | यहाँ पर अनेक धार्मिक एवं पौराणिक स्थल है जिसमे महत्वपूर्ण दुधाधारी मठ ,शीतला माता मंदिर ,महामाया मंदिर ,बुढ़ेश्वर महादेव मंदिर तालाब किनारे भगवान राम का प्राचीन राम मंदिर स्थित है साथ ही बंजारी धाम ,महादेव घाट आदि प्रमुख है |
सिरपुर - लक्ष्मण मन्दिर एवम पुरावशेष
पुरातात्विक धार्मिक ऐतिहासिक स्थल है| सिरपुर कें पाण्डुवष की राजधानी थी प्राचीन नाम चित्रागदपुर था|
पैकेज टूर एवं रिसार्ट में बुकिंग के लिए छत्तीसगढ़
पर्यटन मंडल के काल सेंटर में संपर्क करे
Toll Free No : 18001026415
छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल
प्रधान कार्यालय उद्योग भवन ,द्वितीय तल,रिंग रोड न.1 तेलीबांधा – 492006
फोन: 9107714224600,4224611 फैक्स: 917714066425
ई-मेल: visitcg@gmail.com वेबसाईट: http//www.tourism.cg.gov.in
पुलिस सहायता केंद नं 112
पर्यटक सूचना केन्द्र
नई दिल्ली : चाणक्य भवन,तीसरी मंजिल चाणक्यपुरी,नई दिल्ली -110049
फोन: +91-981170111,011-26116822,ई-मेल: tic.delhi@visitcg.in
कोलकाता: 23,एजीसी बोस रोड,चित्रकूट बिल्डिंग,दूसरी मंजिल
कमरा नंबर 25 कोलकाता -20
फोन: +91-9433773288,033-40662381 फैक्स: 033-40662380
ई-मेल: tic.kolkata@visitcg.in
नागपुर: चेम्बर न.03,टूरिस्ट रिसेप्सन सेन्टर एम.टी.डी.सी.तहसील आफिस (ग्रामीण)
के पास,दक्षिण हाईकोर्ट रोड,सिविल लाईन ,नागपुर
फोन: +91-9370768555 ई-मेल: tcp.nagpur@visitcg.in
महानदी के तट पर स्थित यह छत्तीसगढ़ की प्राचीनतम नगरी व राजधानी थी लक्ष्मण मंदिर का निर्माण महाशिवगुप्त बालार्जुन के काल में उनकी माता वासाटा देवी द्वारा 7 वी सदी मे लाल ईटो द्वारा प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर का निर्माण करवाया औरयह मंदिर नागर शैली प्रयुक्त हुई है जिसमे देवी देवता पशु का कलात्मक चित्रण हुआ है| इसके गर्भगृह में भगवान विष्णु कि प्रतिमा है।
बुद्ध पुर्णिमा को सिरपुर महोत्सव और माघ पुर्णिमा मे मेला लगता है| अवदान शतक के अनुसार महात्मा बुद्ध यहा आये थे 639 ई चीनी यात्री हवेनसांग ने सिरपुर की यात्रा की थी।
आनंदप्रभु कुटीर विहार- सिरपुर
650 ईसवी महाशिवगुप्त बालार्जुन के काल में बौद्ध भिक्षु आंनन्द प्रभु द्वारा निर्मित
गंधेश्वर महादेव मंदिर
Gandeshwar Mahadev Sirpur |
खल्लारी - नारायण मंदिर व खल्लारी माता मंदिर
खल्लारी का प्राचीन नाम खल्लवाटिका थी | रायपुर के कलचुरी शासन ब्रमदेव के कार्य काल में देवपाल नामक एक मोची ने अपनी जीवन भर की कमाई से नायब नारायण मंदिर का निर्माण करवाया था |
पहाड़ी के निचे बड़ी खल्लारी माता व पहाड़ के ऊपर छोटी खल्लारी माता विराजमान है | यहाँ पर भीम के पद चिन्न व भीम चूल डोंगा पत्थर व किद्वंती के अनुसार महाभारत कालीन लक्षागृह की घटना यही पर घटित हुई थी
तुरतुरिया महर्षि वाल्मिकी आश्रम- व लव कुश जन्म स्थली
माता सीता का दुसरी वनवास स्थल व लव कुश की जन्म स्थली ,माना गया है | यहाँ पर निरन्तर चट्टानों की दरार से तुरतुर की आवाज के साथ जल की धारा निकलती रहती है जिस कारन इस स्थान को तुरतुरिया कहा जाता है | यहाँ पर अग्रेजो ने इस स्थान की खुदाई करवाई थी जिसमे बौद्ध कालिन भारी मात्रा में मूर्ति प्राप्त हुई थी | यहाँ पर माता गढ़ नामक पवित्र स्थान है |साथ ही विशाल पर्वत के ऊपर सेर गुफा है | यहाँ नवरात्रि में भक्तो द्वारा मनोकामन ज्योति जलाये जाती है | यहाँ पर प्रति वर्ष मेले का आयोजन किया जाता है |
राजीव लोचन मंदिर - छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम
इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है | राजिम नगरी महानदी ,पैरी ,सोंढुर नदी के संगम पर स्थित है | राजिम को प्राचीन काल में कमल क्षेत्र के नाम से जाना जाता था | यहाँ पर कुलेश्वर महादेव मंदिर ,राजेश्वर मंदिर ,दान दानेश्वर मंदिर श्री राजीव लोचन मंदिर ,प्राचीन जगन्नाथ मंदिर ,तेलिन ,माता मंदिर नदी के संगम पर मामा - भांजा मंदिर ,तथा लोमश ऋषि का आश्रम देखने लायक है | यहाँ सबसे प्राचीन मंदिर राजीव लोचन है |इस मंदिर का निर्माण ५ वी सदी में हुवा था | नलवंशीय शासक विलासतुंग एवं कलचुरी शासक जाजल्ल देव प्रथम के समय इस मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया था कुलेश्वर महदेव मंदिर का निर्माण १४ वी १५ वी सदी में हुवा था भगवान राम वनवास के समय इस स्थान पर माता सीता के साथ कुलेश्वर महादेव की पूजा की थी |
मंदिरो की नगरी आरंग (भाण्ड देवल मंदिर )
आरंग एक अति प्रचीन नगरी है आरंग महाभारत कालीन राजा मोरजध्वज की नगरी थी | यहाँ पर अनेक प्राचीन मंदिर विद्यमान है | जिसमे अति प्राचीन भांड देवज (जैन मंदिर )बागेश्वर मंदिर ,पंचमुखी महादेव मंदिर ,हरदेव बाबा मंदिर ,महामाया मंदिर यहाँ अनेक प्राचीन मंदिर भग्न अवस्थ में है जो संरक्षण के आभाव से विलुप होती जा रही है |
चम्पारण - महाप्रभु वल्लभाचार्य जी जन्म स्थली
रायपुर के दक्षिण भाग में चम्पारण स्थित है इसी स्थान पर वैष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्म स्थली है यह एक पावन तीर्थ के रूप में पूजा जाता है तथा दूर दूर भक्त इस स्थान पर आते है | इस स्थान पर चम्पेश्वर नाथ महादेव का प्रसिद्ध मंदिर है |
माता सबरी मंदिर शिवरीनारायण
यह एक धार्मिक एवं पौराणिक महत्व का स्थान है| यही पर भगवान राम ने वनवास के समय भीलनी के जुटे बेर को प्रेम सहित ग्रहण किये थे यह पर अनेक प्राचीन मंदिर है शबरी नारायण मंदिर ,केशवा नारायण मंदिर ,चंद्रचुड़ मंदिर प्रमुख है| यहाँ पर प्रति वर्ष माघ पूर्णिमा में वृहद् १५ दिनों का मेला लगता है |
शिवरीनारायण मंदिर |
रामगढ़ की गुफाये
रामगढ कि गुफा |
यह मनोरम स्थान अंबिकापुर के पास सुन्दर सुरम्य वन में स्थित है | चारो तरफ पहाड़ो से घिरा हुवा है रामगढ़ की गुफाये एवं भित्ति चित्र ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक को दृष्टि से बड़ा महत्वपूर्ण है ऐसी किद्वंती व मान्यता है की भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास काल में कुछ समय यहाँ पर व्यतीत किये थे | राम के इस स्थान पर निवास के कारन इसे रामगढ कहा जाता है | पहाड़ी के शिखर पर मौर्य कालीन गुफाये है जिसमे सीता बेगरा ,जोगी मारा गुफा लक्ष्मण बेगरा गुफा प्रसिद्ध है
पुजारीपाली
सरिया के निकट पुजारी पाली ग्राम स्थित है | यहाँ पर जैन धर्म और हिन्दू धर्म सम्बंधित देवी देवताओ की मूर्ति प्राप्त हुई है पुजारी पाली में एक ग्राम में एक प्राचीन मंदिर के अवशेष है जिसे लोग केवटिन मंदिर के नाम से पुकारते है इस मंदिर पर एक शिला लेख है वि सदी का है इसकी लिपि नागरी है |
कबरा पहाड़ - रायगढ़
कबरा में स्थित पगड़ पर शैलाश्रय विद्यमान है | यह स्थल रायगढ़ नगर से ८ की। मी.की दुरी पर स्थित है इस शैलचित्र सिंघणपूर अपेक्षा अधिक रोचक व महत्वपूर्ण है इनमे से एक सूर्यबिम्ब एक वृहद् काय सूअर ,छिपकिली ,नुमा कुछ जीव जंतु की आकृतिया स्पष्ट दिखाई देती है |
गिरौधपूरी- संत गुरु घासीदास बाबा की जन्म स्थलि
यह स्थल महानदी के तट के उत्तर पश्चिम में २० कि. मी. दूर पर स्थित है या वह तीर्थ है स्थल है जहा सतनामी समाज के की करोडो भावनाये जुडी हुई है | यहाँ पर देश विदेश के सभी सतनामी समाज की पुण्य स्थली गिरौध धाम संत गुरु घासी दास का सिद्ध स्थल है | यही उसे छाता पहाड़ पर सत्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी | प्रति वर्ष गुरु बाबा के सम्मान में १८ दिसंबर को वृहद् मेले का आयोजन किया जाता है |
दामाखेड़ा कबीर पंथियो का प्रमुख तीर्थ स्थल
यह स्थान कबीर पंथियो का प्रमुख तीर्थ स्थल है यहाँ प्रति वर्ष माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी से पूर्णिमा तक 'संत समागम मेला 'का आयोजन किया जाता है | जिसमे श्रद्धालु और भक्त आते है | और गुरु के चरणो में श्रद्धा अर्पित करते है |
भोरमदेव मंदिर - कवर्धा छत्तीसगढ़ खजुराहो
यह वर्तमान कवर्धा जिले में जिला मुख्यालय से १८ कि.मी. उत्तर -पश्चिम में स्थित है यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है| प्राचीन काल में यहाँ पर नागवंश का साशन था | यहाँ का भोरम देव मंदिर अपनी उत्कृष्ट
भोरमदेव मंदिर कवर्धा |
शिल्प व् मान्यता की दृस्टि से छत्तीसगढ़ का सर्वाधिक प्रसिद्द प्राचीन मंदिरो में से एक है जिसकी तुलना खजुराहो मंदिर से की जाती है इस मंदिर का निर्माण १०८९ )सम्मत ८४० )में राजा गोपाल देव ने कराया था इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर मिथुन मुर्तिया। हथी ,घोड़े ,नृत्य करती स्त्री -पुरुष ,गणेश ,नटराज आदि की मुर्तिया स्थित है |
रतनपुर - तालाबो की नगरी
कण्ठी देवल मंदिर - रतनपुर |
रतनपुर छत्तीसग़ढ का धार्मिक ऐतिहासिक महत्व का स्थान है इसे तालाबों की नगरी भी कहा जाता है| रतनपुर की स्थापना कलचुरी शासक रत्नदेव प्रथम ने दी थी उसने तुस्मान के स्थान पर इसे राजधानी बनाया था यहाँ पर प्रसिद्द मंदिर महामाया मंदिर ,कंठी देवल मंदिर ,बुद्धेश्वर महादेव ,भैरव बाबा मंदिर ,हनुमान मंदिर सभी कलचुरी कालीन है प्रथम मराठा साशक बिम्बा जी भोसले ने राम टेकरी पहाड़ी पर भगवान राम चंद्र का मंदिर का निर्माण करवाया था
मल्हार एक प्राचीन नगरी
बिलासपुर जिले में मल्हार स्थित है | यह एक बड़ा सा ग्राम है | इस स्थान से प्राप्त प्राचीन मुर्तिया ,मंदिर भग्नअवशेषो तालाबों से इसकी प्राचीनता सिद्ध होती है इस ग्राम पर मिट्टी से निर्मित एक किला है जो चारो तरफ से खाई से घिरा हुवा है | यहाँ पर खुदाई में आकर्सक मुर्तिया प्राप्त हुई है इस मूर्तियों में जैन ,बौद्ध धर्म से संबद्धित मुर्तिया है | सबसे प्राचीन मूर्ति चतुर्भुज विष्णु प्रतिमा है यहाँ पर कई मंदिर के अवशेष मिले है जिसमे सा सर्वाधिक प्रसिद्ध पातालेश्वर केदार मंदिर है | और दूसरा डिंडेश्वरी देवी का है जो काले ग्रेनाईट पत्थर से बनी है |
छत्तीसगढ़ का काशी - खरौद
यह एक अति प्राचीन स्थली है | आम्र वृक्षो से घिरा हुवा एक सुन्दर नगरी है खरौद अपनी ऐतिहासिकता के कारण प्रसिद्ध है | यहाँ पर अनेक मंदिर व तालाब है | खरौद में प्रसिद्ध मंदिर में ईटो से निर्मित शबरी मंदिर ,इंदल देवल मंदिर शिव जी का लक्ष्मणेश्वर मंदिर सर्वाधिक प्रसिद्ध है
अड़भार - अष्ट भुजी देवी महिसासुर मर्दनी का मंदिर
जांजगीर - चांपा जिले का महत्वपूर्ण प्राचीन स्थल है यहाँ पर कई पुराणी तालाब तथा चारो तरफ से खाई से घिरा हुवा किले के अवशेष है | अड़भार में बौद्ध धर्म ,जैन से सम्बंधित अनेको मूर्तिया प्राप्त हुई है | इसका प्राचीन नाम "अष्टद्वार" था यहाँ पर अष्ट भुजी देवी महिसासुर मर्दनी का मंदिर है | मंदिर के सम्मुख देगन गुरु के नाम से तीन तीर्थकार पार्शवनाथ की प्रतिमा है | साथ ही चंद्रहासिनी मंदिर नाथल दाई मंदिर भी देखने लायक स्थल है |
पाली , जिला - कोरबा ,छत्तीसगढ़
वर्तमान कोरबा जिले में पाली स्थित है | इस ग्राम में उत्तरपूर्व में लम्बा चौड़ा तालाब है जिसके किनारे अनेक मंदिर के भग्न अवशेष है| एक मंदिर को छोड़कर शेष सभी मंदिर खण्डहर में बदल चुके है | पाली में प्रसिद्ध भगवान शिव मंदिर है इसका निर्माण वानवंश के किसी साशक काल में हुवा होगा जिसका जीर्णोद्वार ११ वी सदी में जाजल्ल देव ने करवाया था| मंदिर की दीवारों पर ना ना प्रकार की मुर्तिया अंकित है |
शिव मंदिर पाली |
नगपुरा -प्रसिद्ध जैन मंदिर
यह स्थान जैन समुदाय के प्रमुख तीर्थ स्थल | यहाँ पर २४ तीर्थकार की मंदिर बनी हुई है |मंदिर काफी भव्य है जिसे देखने के लिए दूर दूर से भक्त आते है साथ ही यहाँ अनेक प्राचीन मंदिर भी है|
लाफ़ागढ
लाफ़ागढ एक प्राचीन ऐतिहासिक महत्व का स्थान है| प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण स्थल है इस स्थल की पाहडी पर चतुरगढ़ का किला है इस किले के द्वार ,मंदिर ,मुर्तिया ,डिंडाद्वार ,मनका दृष्टि द्वार ,महिशासुर का वध करती हुई दुर्गा की मुर्तिया प्राकृतिक गुफा ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल है |
माँ दन्तेश्वरी मंदिर- दंतेवाड़ा
बस्तर में लम्बे समय अवधि तक नागवंश का शासन रहा है | दंतेवाड़ा में नागवंशीय शासको ने अपनी इष्ट देवी मणि केशरी देवी का मंदिर स्थापित किया था ,यह मंदिर आज भी स्थित है | यह छत्तीसगढ़ का प्रमुख पर्यटन स्थल माना जाता है | दंतेश्वरी मंदिर ,भुनेश्वरी मंदिर ,चित्रकूट जलप्रपात ,तीरथ गढ़ जल प्रपात ,अभुज मार क्षेत्र आस पास के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है बस्तर अपनी शिल्प कला अपने रीती रिवाजो के कारन पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है |
बारसूर -बत्तीसा मंदिर ,मामा भांजा ,चन्द्रादित्य ,गणेश प्रतिमा
जुड़वा गणेश प्रतिमा बारसूर |
बत्तीसा मंदिर बारसूर |
यह एक प्राचीन स्थल है यहाँ पर ११ वी १२ वी शताब्दी के देवरली मंदिर ,चन्द्रादित्य मंदिर ,मामा भांजा मंदिर ,बत्तीस खम्भों से टिका बत्तीसा मंदिर ,मंदिर प्रांगण में दो जुड़वाँ विशाल गणेश प्रतिमा विराज मान है| यह की मंदिर की स्थापत्य कला फाफी प्रसिद्ध है |
गरियाबंद -जतमई ,घटारानी -भूतेश्वर महादेव
जतमई घटारानी मंदिर |
जतमई घटारानी जलप्रपात |
छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल संपर्क सूत्र
भ्रमण स्थल के बारे में अधिक जानकारी तथापैकेज टूर एवं रिसार्ट में बुकिंग के लिए छत्तीसगढ़
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पुलिस सहायता केंद नं 112
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नई दिल्ली : चाणक्य भवन,तीसरी मंजिल चाणक्यपुरी,नई दिल्ली -110049
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कोलकाता: 23,एजीसी बोस रोड,चित्रकूट बिल्डिंग,दूसरी मंजिल
कमरा नंबर 25 कोलकाता -20
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नागपुर: चेम्बर न.03,टूरिस्ट रिसेप्सन सेन्टर एम.टी.डी.सी.तहसील आफिस (ग्रामीण)
के पास,दक्षिण हाईकोर्ट रोड,सिविल लाईन ,नागपुर
फोन: +91-9370768555 ई-मेल: tcp.nagpur@visitcg.in
भोपाल: म.प्र. पर्यटन भवन,भदभदा रोड भोपाल मध्यप्रदेश
फोन: +91-9893458861,9893656445 ई-मेल: tic.bhopal@visitcg.in
फोन: +91-9893458861,9893656445 ई-मेल: tic.bhopal@visitcg.in
Tuesday, May 15, 2018
Tourist places in Chhattisgarh ( छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल )
Tourist places in Chhattisgarh with photos
Tourist places in Chhattisgarh with photos
Introduction to Chhattisgarh
Chhattisgarh is located in the heartland of India, 27 districts which are divided into 5 divisions. There is 7 districts in Bastar division. Dandakaranya area is an important place in India due to its archaeological tourism religious cultural character.
Ramayan period
In this period, the name of G.G. was Southern Kaushal and Bastar's name was Dandakaranya, in Bastar, Lord Rama spent some time during his exile. Mata Sita was defeated in the place called Panchavati.
Major tourist destination of Bastar district
Jagdalpur
The district headquarter is located in Chhattisgarh, 30, is a city inhabited by Kakatiy Rajyavash, it is also a human museum museum.
India's widest waterfall is. Located on the Indravrati river, the pedestal is 300 feet in length 90 fit in terms of fit tourism.
तिरथगढ जलप्रपात-
छत्तीसगढ का सबसे ऊंचा चा जलप्रपात उचाई 300 फिट कांकेर की सहायक नदी मुनगाबाहर बस्तर जिले में स्थित है।
कांकेर घाटी नेशनल पार्क-राज्य का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान स्थापना 1982 प्रमुख पशु,पहाडी मैना राजकिय पछी उडन गिलहरी भैसादरहा नामक स्थान पर प्राकृतिक रूप से मगरमच्छ पाये जाते है ।नवीनतम परियोजना तितली पार्क निर्माण किया जाएगा।कुटुमसर गुफा
जगदलपुर से 40 कि.मी की दुरी पर हैं काकेंर घाटी में स्थित हैं। इसकी खोज शकंर तिवारी नें कि थी। भारत की सबसे गहरी गुफा हैं लम्बाई 4500 फिट हैं ।जल द्वारा निर्मित गुफा स्टेलेमाइट औंर स्लेटराइट पत्थर से निर्मित अमेरिका के कार्ल्सवार आफ केव गुफा(दुनिया की सबसे लम्बा गुफा ) सें इसकी तुलना की गई है।यहा अन्धी मछली पायी जाती है।गुफा के अन्दर छोटी- छोटी नदिया बहती है| जिसके कारण बरसात मेें जाने कि मनाही होता है | नवम्बर से मई का समय भ्रमण हेतु उपयुक्त होता है।
कैलास गुुफा
चुने पत्थर सें निर्मित प्राकृतिक गुफा है| जो काकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित हैं।गुफा में शिवलिंग कि आकृतिया बनी हुई है।
दंन्तेवाडा जिला
जगदलपुर सें रा राजमार्ग 63 में स्थित है।
दन्तेश्वरी मंदिर निर्माण 14 वी शताब्दी में डंकनी शंखनी नदी के संगम पर निर्माणकर्ता अन्नमदेव काकतीय वंश के शासक निर्माण किया है |
विषेश :- मां दन्तेश्वरी की छ: भुजाओ वाली ग्रेनाइट की प्रतिमा है| यह मंदिर वास्तुकला का उदाहरण है यहा के दिपक में काजल नही केसर बनता है|
सामने मां भुनेश्वरी देवी का मंदिर है। दोनो देवी की पुजा एक साथ होती है|
बारसुर छिन्दलनाग वंश कि राजधानी संस्थापक नृपति भूषण है|
विषेश :- मां दन्तेश्वरी की छ: भुजाओ वाली ग्रेनाइट की प्रतिमा है| यह मंदिर वास्तुकला का उदाहरण है यहा के दिपक में काजल नही केसर बनता है|
सामने मां भुनेश्वरी देवी का मंदिर है। दोनो देवी की पुजा एक साथ होती है|
बारसुर छिन्दलनाग वंश कि राजधानी संस्थापक नृपति भूषण है|
दर्षनीय स्थल :-
सरगुजा जिला 5 जिले सरगुजा कोरिया सुरजपुर बलरामपुर जशपुर जिले में बटा हुआ है मौर्यकालिन से संवन्घित एंव भगवान ने यहा कुछ समय यहा व्यतित किया हैं।
रामगढ की पहाडी में स्थित गुफा जेागी मारा की गुफा
छ ग का शिमला एकमात्र हिल स्टेशन उचाई 1152 मीटर 1962 में तिब्बत शरणार्थियो को यहा बसाया गया था
जलप्रपात रक्सगंडा रिहन्द नदी पर स्थित हैं।सरभंजा मांड नदी पर स्थित हैं।रायपुर संभाग
इस संभाग कें अंर्तगत 5 जिले - रायपुर ,महासमुन्द, गरियाबंन्द, धमतरी ,बलैादाबजार आते है| महासमुन्द जिला
- मामा भाजा मंदिर
- बत्तीसा मंदिर
- चंन्द्रकदित्य मंदिर
- इसकें प्रागण सें गणेश जी की विषाल मुर्ति प्राप्त हुई हैें|
सरगुजा जिला 5 जिले सरगुजा कोरिया सुरजपुर बलरामपुर जशपुर जिले में बटा हुआ है मौर्यकालिन से संवन्घित एंव भगवान ने यहा कुछ समय यहा व्यतित किया हैं।
रामगढ की पहाडी में स्थित गुफा जेागी मारा की गुफा
मौर्यकालिन अशोक के अभिलेख है।अभिलेख की भाषा पाली लिपि ब्राम्ही है| अंजता मौर्य काल कें समकालिन है|| इसमें नर्तक देवदत्त औंर नृत्यिका सुतनिका कें प्रेमगाथा का वर्णन है|
लक्ष्मण बेगरा की गुफा
सीता बेंगरा की गुफा
यहा भरत मुनि नें अपनी नाटय शाला कि रचना की विश्व की प्राचीनतम नाटय शाला स्थित हैं। यही पर कालीदास जी ने अपनी मेंघदुत की रचना की हैं।
मैनपाटछ ग का शिमला एकमात्र हिल स्टेशन उचाई 1152 मीटर 1962 में तिब्बत शरणार्थियो को यहा बसाया गया था
जलप्रपात रक्सगंडा रिहन्द नदी पर स्थित हैं।सरभंजा मांड नदी पर स्थित हैं।रायपुर संभाग
इस संभाग कें अंर्तगत 5 जिले - रायपुर ,महासमुन्द, गरियाबंन्द, धमतरी ,बलैादाबजार आते है| महासमुन्द जिला
भीमखोज खल्लारी महासमुन्द सें 22 किमी कि दुरी पें नेशनल हाइवे 353 में स्थित हैं पर्वत उपर मां खल्लारी का भव्य मंन्दिर जिसमें 900 सीडिया है| निर्माण कल्चुरी शासक ब्रम्हदेव कें शासन काल मे देवपाल मोची ने 1415 ई में करवाया था । चैत्र नवरात्रि मेे यहा मेला लगता है|
Presented By - Manish Tiwari
Sunday, May 6, 2018
Mama Bhanja Mandir Barsur (मामा भांजा मंदिर बारसूर - दंतेवाडा- छत्तीसगढ़ )
Mama Bhanja Temple History
दंतेवाडा जिले में वैसे तो अनेक प्राचीन
पुरातात्विक दार्शनिक स्थलो से भरा पड़ा है|
मगर हम आज बारसूर ग्राम के
मामा भांजा मंदिर कि बात करते है| यह मदिर काफी सुन्दर व अधभुद है| मगर ठीक से
रखरखाव ना होने के कारण जर्जर अवस्था में है फिर भी आस पास के मदिर कि तुलना में
यह मदिर ठीक है|
मामा भांजा मंदिर बारसूर |
इसका श्रेय भारत के पुरातात्विक विभाग को जाता है जिसके वजह से आज
वर्तमान पीढ़ी इस प्राचीन मंदिर के दर्शन कर लाभ ले रहे है|
इस मामा भांजा मंदिर को
बनाने में विशेष प्रकार के बलुई पत्थरो का प्रयोग किया गया है | छत्तीसगढ़ के
अधिकतर मंदिर जैसे खल्लारी का नारायण मंदिर फिंगेश्वर का फनिकेश्वर नाथ मंदिर
भोरमदेव मंदिर ,जांजगीर का विष्णु मंदिर आदि मंदिर कि बनावट एक ही प्रकार के नजर आती है| यह मंदिर
काफी उची है| इस मंदिर कि दीवारों पर कलात्मन शैल चित्रों को उकेरा गया है| जो उस
समय कि अधभुद कलाकारी को आज भी दर्शाता है| मंदिर के शीर्ष के थोड़े निचे अगल – बगल
में दो शिल्पकार मामा व भांजा कि मुर्तिया है| इस मंदिर परिसर पर अन्य मंदिरे भी
है सभी अब भग्न अवस्था में है| शेष में देखे तो
दो प्राचीन गणेश प्रतिमा ही बची हुई है|
बारसूर के अन्य मंदिर के
लिये यहाँ क्लीक करे
वैसे यह मामा भांजा मदिर
मुख्य रूप से शिव मंदिर है| मगर इस मंदिर के नाम करण के पीछे अजब गजब कथा किद्वंती
सुनने को मिलती है| स्थानीय निवासियों व कुछ इतिहास कारो के अनुसार यह बताया जाता
है कि उस समय का तात्कालिक राजा परम शिव भक्त हुवा करता था तथा शिव के प्रति अपनी
सच्ची आस्था स्वरुप व भगवान को प्रसन्न करने व लोक कल्याण के लिए एक ऐसा नायाब शिव
मंदिर निर्माण करवाने का का स्वप्न देखा जिसे महज एक दिन में निर्माण किया जाये
जिससे राजा का यश कीर्ति चारो दिशा में फैले साथ ही उसके कुल का नाम हो अपनी इसी
अधूरी इच्छा को पूरी करने के लिए अपने राज्य के दो प्रसिद्ध शिल्पकार को बुलाया
(स्थानीय निवासियों के अनुसार वह शिल्पी
कार कोई आम मानव नहीं थे वह कोई देवलोक से भेजे गए कोई देव थे अथवा यक्ष गंधर्व
थे| कुछ लोक तो दोनो को देव शिल्पी विश्वकर्मा के वंशज बताते है| मगर इन सबका कोई
साक्ष्य प्रमाण नहीं है| )
मामा भांजा मंदिर बारसूर - दंतेवाडा |
और राजा ने आदेश दिया एक
शिव मंदिर का निर्माण किया जाये जिसे केवल एक ही दिन में पूर्ण किया जाने कि शर्त रखी
| तब दोनों शिल्पकार राज्य आज्ञा स्वरुप अपनी ऐसे कारीगरी दिखाई जो आज के वर्तमान
युग के लिए किसी स्वप्न से कम नहीं है| उन दोनों ने महज एक ही दिन में भव्य मंदिर
का निर्माण कर दिया जो किसी चमत्कार से कम नहीं था| {सोचनीय विषय यह है कि उस समय कोई आज कि तरह साधन
नहीं हुवा करता था मगर उन लोगो ने कैसे इतने मोटे मोटे चट्टानों को इतनी उचाई पर
कैसे पहुचाया कैसे चट्टानों को खोदकर नक्कासी किया कैसे उसके पत्थरो के जोड़ का पता
नहीं चलता है | शायद उस समय कोई विद्या जानते थे या सिद्धि प्राप्त किये रहे होंगे
जिससे चट्टानों को हवा में तैराया जाता रहा होगा यह सभ अधभुद कारनामे भारत में ही
नहीं अन्य देशो में भी देखा जा सकता है|}
मंदिर पूर्ण होने के पश्चात
राजा ने यहाँ शिवलिंग व गणेश कि प्रतिमा का स्थापना कि
तब राजा ने उन शिल्पकारो को बुलाकर उनका आभार व्यक्त किया और उनका मेहनताना दिया और बोला कि यह मंदिर आज से तुम दोने मामा
भांजा के नाम से जाना जायेगा तब से लेकर
आज तक उस मंदिर को मामा भांजा के नाम से जाना जाता है|
टिप :- इस लेख के माध्यम से हम मंदिर से जुडी कुछ जानकारी आपके सामने रख रहे है हमारा
उद्येश किसी धार्मिक कथा व इतिहास को छेड़छाड़ करना नहीं है अपितु अपनी बात आपके
सामने रखना है | यदि आपके कुछ सुछाव है| निचे दिए गए कमेंट बाक्स पर अपनी राय जरुर दे| आपके
सुझाव ही हमें सुधार हेतु प्रेरित करेंगे|
प्रस्तुती - cgdekho1.blogspot.com
फोटो - गिरिश कुमार श्रीवास
Saturday, May 5, 2018
Chandradity Temple Barsur (चन्द्रादित्य मंदिर बारसूर )
CHANDRADITYA TEMPLE,BARSUR
Geo-coordinates-Lat.19008’16”N;Long.82022’57”E Location-Village-Barsur,Tehsil- Dantewada District-Dantewada(Chhattisgarh)
Geo-coordinates-Lat.19008’16”N;Long.82022’57”E Location-Village-Barsur,Tehsil- Dantewada District-Dantewada(Chhattisgarh)
Chandradity Temple Barsur |
The temple located near Chandradityesvara tank in Bhumij Style dedicated chief (Mahamandalesvara) under a Chhindaka
Nagavamshi King Jagdev Bhushan,as evident from a Telugu inscription of samvat 983 (1061 AD) found at Barsoor.
Barsur Chandradity Temple |
Barsur Chhattisgar |
Garbhagriha is pancharatha on plan and atteched with a square pillared mandapa in front.The exterior walls of jungha portion contain image of Brahma,incarnations,of Vishnu, Prajapati Daksha, Uma-Maheshvara and also few worth mentioning excellence.The temple seems to be constructed during 11th century AD
All photos have been drawn by Girish Kumar Shrivas
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