Laxman Temple Sirpur (लक्ष्मण मंदिर सिरपुर )
अंतर्राष्ट्रीय पुरातत्विक स्थल सिरपुरछत्तीसगढ़ के जिवनदायनी नदी के तट पर यह छत्तीसगढ़ की एक प्राचीनतम नगरी थी ५ वी सदी से ८ वी सदी के बीच मे दक्षिण कोसल की राजधानी थी| इस स्थान पर ७ वी सदी चीनी यात्री हेडसम भारत आया था | तब यहाँ पर बौद्ध धर्म सम्पूर्ण विकसीत अवस्था पर थी| यहाँ महारानी वासटा देवी ने अपने पति हर्षगुप्त की याद में | विश्व प्रसिद्ध ईटो से निर्मित (विष्णु मंदिर ) लक्ष्मण मंदिर का निर्माण करवाया था जो आज समूचे भारत की पहचान बन गयी है| महासमुंद से सिरपुर की दुरी 38 कि.मी है |
Sangrahalaya (Museum )- Sirpur -संग्रहालय
लक्ष्मण मंदिर के समीप संग्रहालय का निर्माण पुरातन विभाग के द्वारा करवाया गया है | जिसमे सिरपुर की खुदाई में प्राप्त बेश कीमती मुर्तिया को वहा संरक्षित करके रखा गया है| कुछ प्रतिमा रायपुर के संग्रहालय में देखी जा सकती है|
Sangrahalaya in Front View |
Museumin in sirpur |
Buddha Vihar Sirpur (बुद्ध विहार सिरपुर )
बुद्ध विहार सिरपुर |
आनंद प्रभु कुटी विहार :-सिरपुर Anand Prabhu Kuti Vihar
आनंद प्रभु कुटी विहार |
यहाँ उत्खनन के पश्चात सर्वाधिक मात्र में बौद्ध स्तूप ,बौद्ध प्रतिमा, बौद्ध मंदिर मिले है| यहा के प्रमुख विहार से मिले अभिलेख से ज्ञात होता है की महाशिवगुप्त बालार्जुन के राजत्वकाल में आनंदप्रभु नामक भिक्षु ने इसका निर्माण करवाया था| इस मठ में निवाश के लिए 14 कमरे है|यह विहार दो मंजिला था जो वर्तमान में धश चूका है|
Surang Tila Sirpur- (सुरंग टीला सिरपुर )
सुरंग टीला सिरपुर |
सिरपुर ग्राम के मुख्य मार्ग से बाये तरफ विशाल पत्थरो से निर्मित बहुमंजिला टिला है| जिसमे भगवान शिव ,भगवान गणेश की प्रतिमा रखी हुई है| परिसर पर नाना प्रकार के बौद्ध प्रतिमा उकेरी गयी है| यह, जगा कभी तान्त्रिक क्रिया के रूप में प्रयोग किया जाता रहा होगा, जिसे अब पंचायतन शिव मंदिर भी कहा जाता है| परिसर के बगल में पुजारी के लिए व्यवस्थित कमरों का निर्माण करवाया गया था| बेहद ही सुन्दर व अध्भुद टीला है|
surang teela (सुरंग टीला) |
प्राचीन राम मंदिर परिसर : – सिरपुर Prachin Ram Mandir
लक्ष्मन मंदिर के कुछेक दुरी पर एक भग्न मंदिर के अवशेष है| मंदिर का निर्माण इटो से किया है| शिखर भाग ध्वस्त हो चूका है| मंदिर का निर्माण उची जगती में किया गया है| जिसे राम मंदिर के नाम से जाना जाता है| राम मंदिर परिसर पर भूमिगत कक्ष प्राप्त हुवे है| जो उस समय के गौरव गाथा का बयान कर रही है|
गंधेश्वर महादेव ( चिकना महादेव ):-सिरपुर Gandheshwar Mahdev Mandir Sirpur
गंधेश्वर महादेव (चिकना महादेव)सिरपुर |
साईट क्रमांक 15 में खुदाई के पश्चात के 1400 वर्ष पुराना प्राचीन शिवलिंग प्राप्त हुवा है|यह शिवलिग काफी चिकना है| एवं शिवलिंग पर जनेऊ बनी हई है| शिवलिंग की आश्चर्य कर देने वाली बात यह है की इस शिवलिंग में तुलसी के सराखे के सामान सुगंध निकलती है| जिस कारन इसे गंधेश्वर महादेव नाम दिया है| स्थानीय लोग इसे चिकना महादेव के नाम से पुकारते है| Tourist Places of sirpur सिरपुर के पर्यटन स्थल
Swastik Vihar -(स्वस्तिक विहार)
vedh Shala -(वेध शाला)
गंधेश्वर महादेव मंदिर सिरपुर Gandheshwar Shiv Temple
महानदी के तट पर स्थित इस मंदिर का प्राचीन नाम गंधर्वेश्वर था| यह सतत पूजन करने वाला प्राचीन शिव मंदिर है| मंदिर का निर्माण यहाँ के अन्य प्राचीन मंदिर के अवशेष खंडो से किया गया है| मंदिर परिसर पर नाना प्रकार के कलात्मक मुर्तिया रखी गयी है| सबसे सुंदर बुद्ध की ध्यान मुद्रा वाली प्रतिमा है| सावन माश और,सिरपुर महोत्सव के समय भारी संख्या में जनसैलाब उमड़ता है|
राजमहल के अवशेष :- सिरपुर Rajmahl Of Sirpur
सिरपुर ग्राम में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के समीप महानदी के तट पर ( वर्ष २०००-२००२ )में उत्खनन पश्चात विशाल परिषर के पुरावशेस प्राप्त हुवा है| यहा पर भगवान विष्णु लक्ष्मी की प्रतिमाये मिली है | जिसे राजमहल के नाम से जाना जाने लगा है|
धसकुड झरना ग्राम- बोरिद Dhaskud Water Fall Borid
धसकुड़ झरना -बोरिद |
सिरपुर के समीप लगभग १२ कि.मी. के दुरी पश्चात घने जंगलो से घिरा हुवा बोरिद ग्राम विद्यमान है|यहाँ पहाड़ी पर लगभग १०० फिट की उचाई से बेहद दुन्दर झरना गिरता है| झरने की कलकल ध्वनि मन को मोह लेती है|नैसर्गिक सौदर्य से परिपूर्ण मनोरम स्थल अब महत्वपूर्ण पिकनिक स्पॉट बन चूका है| लोग यहाँ आके वाटर फाल का भरपूर आनद लेते है|साल के दोनों नवरात में पहाड़ी ऊपर ग्रामीनो के द्वारा मनोकामना ज्योति प्रज्वलित की जाती है| झरने के ऊपर बाबा का चिमटा रखा हुवा है| यहाँ पहुंचने के लिए कच्ची सड़क का निर्माण किया गया है| प्रायः सिरपुर आने वाले सैलानी इस झरने का आनंद जरुर लेते है| यही के रास्ते से चांदा दाई गोड गुफा पंहुचा जाता है| यह गुफा घने जंगलो के बिच है| केवल स्थानीय निवासी की मदद से वहा पंहुचा जा सकता है| प्राचीन किले के अवशेष आज भी देखे जा सकते है| साल के दोनों नवरात्र में मनोकामना ज्योति प्रज्वलित की जाती है|
पतई माता मंदिर :- ग्राम पतई Patai Mata Temple
पतई माता मंदिर |
महासमुंद से पूर्व दिशा की ओर जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर की दुरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 353 पर ग्राम पटेवा से दक्षिण की ओर 2 किलोमीटर की दुरी पश्चात प्राकृतिक पहाड़ी है | जिसे देखने से ऐशा आभास होता है|की यह विशाल काय पत्थर पर अलग अलग अधर में लटके है|इस पहाड़ी क्षेत्र में स्थित पतई माता की मान्यता क्षेत्र के लोगो में कई वर्षो से है|इस पहाड़ी पर निर्माण कार्य किया जा रहा है| नवरात के समय भारी मात्रा में भक्त माता के दरबार में दर्शन को पहुचते है| लोगो के द्वारा मनोकामना ज्योति प्रज्वलित किया जाता है| पहाड़ी पर स्थित होने के कारन कभी कभी जंगली जानवर के दर्शन भी हो जाते है|
मुंगई माता मंदिर ग्राम - बावनकेरा Mungai Mata Temple Bawankera
महासमुंद से पूर्व की ओर जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दुरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग NH 353 सराईपाली मार्ग पर लगी हुई मुगई माता पहाड़ स्थित है|जहा धार्मिक भावनावो का जीवान्त सवरूप देखने को मिलता है|मुंगई माता मंदिर इस पहाड़ी पर स्थित है| पहाड़ी पर चड़ने के लिए सीडी का निर्माण किया गया है|मंदिर परिसर में गुफाऐ देखने को मिलते है| मंदिर परिसर में नाना प्रकार के निर्माण कार्य चल रहे है| नवरात्र में भक्तो द्वारा ज्योति कलस प्रज्वलित की जाती है|प्रतिदिन भक्त राज भालू के दर्शन होते है जो माता का प्रसाद ग्रहण करके वापस चले जाता है| किसी को तनिक भी नुकसान नहीं पहुचाता है|
Chhachhan Mata Pahadi Navgaon Tumgaon ( छछान माता पहाड़ी- नवागाँव तुमगांव )
महासमुंद के तुमगाव नगर पंचायत व रास्ट्रीय राजमार्ग 353 के समीप, स्थित शहीद वीर नारायान सिंह बांध, महासमुंद जिले के महत्वपूर्ण सिचाई परियोजना है| इसकी प्राकृतिक सुन्दरता लोगो को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है| पुरातन स्थल सिरपुर में प्रवेश के पूर्व यह पर्यटकों का मुख्य पड़ाव है| यह स्थान पिकनिक स्पॉट के नाम से भी जाना जाता है|कोडार के समीप ही माँ खल्लारी का प्राचीन मंदिर स्थित है| मंदिर का मूल स्वरुप नष्ट हो चूका है| उसकी स्थान पर भव्य, मंदिर का निर्माण किया गया है| दो प्रवेश द्वार बनाये गए है (१ सिंह द्वार २ नाग द्वार ) दोनों ही द्वार बेहद सुन्दर है| साल के दोनों नवरात्र में भक्तो द्वार मनोकामना ज्योति जलाई जाती है| मुख्य मार्ग के समीप होने के कारण भक्तो का आना - जाना बना रहता है|
Badi Khallari Mata Temple Village Bemcha - Mahasamund बड़ी खल्लारी माता मंदिर ग्राम बेमचा - महासमुंद
Khallari Mata Temple Village Bhimkhoj-Khallari खल्लारी माता माता मंदिर भीमखोज )
इसका प्राचीन नाम खल्लवाटिका थी पहाड़ी के ऊपर माँ दुर्गा (खल्लारी माता का मंदिर है |) पहाड़ी पर भीम चूल भीम पाव , डोंगा पत्थर,सिद्ध बाबा ,शेर गुफा विद्यमान है | पहाड़ी के निचे बड़ी खल्लारी(माता राउर ) का मंदिर है खल्लारी में देवपाल नामक (विष्णु भक्त ) ने अपनी जीवन भर की कमाई से नारायण मंदिर का निर्माण करवाया था |साल के दोनों नवरात्र में भक्तो द्वारा मनोकमना प्रज्वलित की जाती है| पुरे नौ दिनों तक भक्तो के लिए भंडारा का आयोजन किया जाता है| प्रतिवर्ष तीन दिनों का भव्य मेला लगता है| यहाँ मोची पारा में खँडहर नुमा एक मंदिर है जिसके आस पास कोयले के अवशेस मिलते है जिसे लाखेशरी गुड़ी कहा जाता है|
khallari mata
प्राचीन नारायण (जगन्नाथ मंदिर) खल्लारी
Mahamaya Mata Mandir Mahasamund (महामाया माता मंदिर महासमुंद )
माँ महामाया सोमवंशी राजावो की कुल देवी हुवा करती थी| वर्तमान में मंदिर का मूल स्वरुप की जगा भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है | माता की आराधना महासमुंद की कुल देवी के रूप में की जाती है| साल के दोनों नवरात में भक्तो द्वारा मनोकामना ज्योति प्रज्वलित किया जाता है| मंदिर में समय समय कई धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है|
Chandi Mata Mandir -Ghunchapali Bagbahra (चंडी माता मंदिर घुंचापाली बागबाहरा )
महासमुंद से इसकी दुरी 38 किलोमीटर है यह बागबाहरा ब्लॉक के घुंचापाली ग्राम में स्थित है | माता की प्रतिमा विशाल व स्वयंभू है यहाँ नवरात्रि के समय मेले का आयोजन किया जाता है | यहां पहाड़ी के ऊपर छोटी चंडी माता विराजमान है जो गुफा के अंदर है |प्रतिदिन संध्या आरती के समय माता के भक्त भालू के दर्शन होते है| भालू प्रसाद खा कर चले जाते है किसी को तनिक भी नुकसान नही पहुचाते | इसे माता का चमत्कार भी कह सकते है|
चण्डी माता घुंचापाली बागबाहरा |
chandi mandir |
Chandi Mata Temple Birkoni Mahasamund (चंडी माता मंदिर बिरकोनी )
इसे सिद्ध शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है | महासमुंद से 14 कि.मी कि दुरी पर बिरकोनी ग्राम पर चंडी माता विराजमान है| माता का मंदिर काफी भव्य है | यहाँ छेरछेरा पुन्नी को विशाल मेले का आयोजन किया जाता है | साल के दोनों नवरात में मनोकामना ज्योति प्रज्वलित किया जाता है | अधिक जाने >>
Ghodhara Shiva Temple Daldali Village - Umarda ( गोधारा शिव मंदिर दलदली , ग्राम उमरदा )
महासमुंद से 11 कि. मी कि दुरी पर यह प्रसिद्द मनोरम धार्मिक स्थल स्थित है| यहाँ जामुन वृक्ष के निचे से अविरल जल की धारा फूटी है | जिसे गौ - मुखी कहा जाता है | गौ मुखी का जल भीषण गर्मी के दिनों में भी नहीं सूखती है अविरल बहती रहती है | पास ही प्राचीन शिव मंदिर है | सावन माश के समय दूर - दूर से भक्त शिव जी को जल अर्पण करने को आते है और यहाँ गोमुखी के जल को अन्य शिवालय में अर्पण को ले जाते है | प्रति वर्ष ११ दिनों का यज्ञ होता है | जिसमे दूर दूर से संत पहुंचते है| व समापन छेरछेरा पुन्नी को होता है उसी दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है |
Shwet Ganga Bamhani ब्रम्ह्नेश्वरनाथ महादेव (श्वेत गंगा बम्हनी )
यह धार्मिक स्थल महासमुंद से ० 8 कि मी की दुरी पर स्थित है इसकी गणना पंचकोसी धाम में की जाती है | यहाँ अति प्राचीन शिवलिंग है| यह देवल ऋषि की तपो भूमि थी यहाँ देवल ऋषि ने अपनी तपस्या के प्रभाव से गंगा का उद्गम किया था जिसे श्वेत गंगा के नाम से जाना जाता है जिसका जल हमेशा गर्म रहता है इस जल से देवल ऋषि ने शिव जी का अभिषेक किया था | मंदिर के आस पास प्राचीन प्रतिमाये रखी हुई है| यहाँ पर सावन में भारी भीड़ देखी जाती है प्रतिवर्ष भव्य मेले का आयोजन किया जाता है |
Shwet Ganga - Bamhni
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swet ganga bamhini |
shiv temple bamhani |
dewal rishi |
Champai Mata Gufa Mohadi ( चम्पई माता गुफा - मोहदी )
यह स्थान दलदली से काफी नजदीक है महासमुंद से 14 कि। मी की दुरी पर स्थित है यहाँ विशाल गुफा के अंदर माँ चम्पई विराज मान है| मोहंदी छत्तीसगढ़ के ३६ गढो में से एक गढ हुवा करता था जिसे चम्पापुर कहा जाता था| माता चम्पई कुल देवी हुवा करती थी | आस पास का स्थल काफी मनोरम है | दूर दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन को आते है | नवरात में मनोकामन ज्योति प्रज्वलित किया जाता है | प्रतिवर्ष मेले का आयोजन किया जाता है| पहाड़ी के रास्ते से महादेव पठार बाबा डेरा रानी गुफा तक पंहुचा जाता है| रास्ता दुर्गम है| किसी स्थानीय सलाहकार के माध्यम से ही इस रास्ते का प्रयोग करना चाहिए| जंगली जानवर के दर्शन भी होते है|
कनेश्वर महादेव – कनेकेरा - महासमुंद Kaneshwar Matadev Temple Kanekera
शिव भक्तो का आस्था का केंद यह कनेकेरा जिसमे विराजे है स्वयंभू महादेव जिसके दर्शन मात्र से सब मनोकामना की पूर्ति हो जाती है| मंदिर की बनावट व साज सज्जा काफी सुन्दर है|तालाब के किनारे यह मंदिर स्थित है| मंदिर परिसर में शनि मंदिर, बस्तरहिन माता,विष्णु मंदिर निषाद समाज का राम मंदिर, सिन्हा समाज का दुर्गा मंदिर देखने योग्य है| यहा प्रतिवर्ष मांघ पूर्णिमा एवं श्रावण पूर्णिमा को मेला लगता है|
महासमुंद से इसकी दुरी ११ कि.मी.,राजिम ,फिंगेश्वर मार्ग पर सुखा नदी के किनारे यह मंदिर स्थित है|
Mata Rudreshwari Temple Singhoda Ghati - Saraipali (माता रुद्रेश्वरी मंदिर सिंघोड़ा घाटी - सराईपाली )
नेशनल हाइवे पर स्थित यह मंदिर शक्ति के उपासको का प्रमुख आस्था केंद्र है| महासमुंद सी इसकी दुरी 132 कि.मी है तथा सराईपाली से मात्र 22 कि.मी की दुरी पर यह सिंघोड़ा घाटी है| शिवानंद बाबा ने आने जाने वाले लोगो से दान मांगकर इस मंदिर का निर्माण करवाया था| अधिक जाने >>>
सिंघोड़ा मंदिर -सराईपाली |
शिशुपाल पर्वत :- बुढा – डोंगर
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के सराईपाली तहसील मुख्यालय से 20 कि.मी. की दुरी पर दक्षिण पूर्व दिशा पर शिशुपाल पर्वत है| जिसे बुढा – डोंगर भी कहा जाता है| ऐतिहासिक मान्यतावो के अनुसार यह राजा शिशुपाल की राजधानी हुवा करती थी| बुढा डूंगर के निचे साय वंशीय राजधानी बस्ती पालित स्थित है| बुढा डूंगर में भुईया बिल ,घोडाधार,सती धार आदि पुरातन स्थल आज भी देखे जा सकते है|
बस्तीपाली ग्राम में गोड वंशीय साय नरेश ने जिस भवन संकुल का निर्माण किया था उसके जीर्ण शीर्ण अवशेष वर्तमान में भी देखे जा सकते है| दो मंजिला निर्माण में 16-16 कमरे,प्रत्येक मंजिल में बने है| ऊपर चड़ने के लिए सीडियो का निर्माण किया गया है|किले के उत्तर में राजा देवाला है| साय वंशीय राजावो की समाधी आज भी देखी जा सकती है|यहाँ प्राचीन रियासत का गढ़ था,जिसकी राजधानी बस्तीपाली जो शिशुपाल पर्वत के निचे उत्तर पश्चीम में बसा हुवा है| यह पर्वत प्राकृतिक सुंदरता से भरा पड़ा है जिस कारण भारी मात्रा में सैलानी का आगमन यहाँ होता है|इसी के समीप ग्राम जारिपाली के पास एक प्राकृतिक झरना आकर्सन का केंद बिंदु है| |
गढ़फुलझर ( प्राचीन किला )
गढ़फुलझर के जमीदार पटना राज्य के १८ गढ़जाट में से एक थे| जहा हैहयवंशी राज्यकाल से लेकर १८ पीढियों तक गोंड राजावो का शासन था| यहाँ के शासक “चांदा” राज्यवंश के वंशज माने जाते है|१६०८ ई में इस गोंडवंश के हरराजसाय ने यहाँ के शासक को युद्ध में हराकर अपना राज्य स्थापित किया था|इस वंश के चतुर्थ राजा त्रिभुवन साय के समय इस वंश की कनिष्ट शाखाये सारंगढ ,रायगढ़, सक्ती और सुवरमार में स्थापित हुई| यहाँ राजा अनंतसाय के द्वारा १७०८ ई. में सामरिक दृष्टी से महत्वपूर्ण भव्य किला बनाया था| जिसके खंडहर आज भी अपनी गौरव गाथा एवं पुराणी महता की कहानी सुनाती है| पुराने किले के अवशेस आज भी विद्यमान है| ऐतहासिक दृष्टी से देखा जाये तो जिले में यह पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र है
राम चंडी मंदिर – गढ़फुलझर
रामचण्डी मंदिर गढ़फूलझर |
माता का यह मंदिर पहाड़ी पर विद्यमान है गर्भ गृह तक पहुचने के120 सीढिया का निर्माण किया गया है| कोलता समाज के लोग माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है || माता का मंदिर बेहद सुन्दर है| साल के दोनों नवरात के अवसर पर भक्तो द्वारा मनोकामना ज्योति प्रज्वलित की जाती है समय समय में अनेक प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान कार्य किया जाता है|
महासमुंद जिले के धार्मिक एवं पर्यटन स्थल Religious and tourist places of Mahasamund district
(१ ) वन विभाग का विश्रामालय
(२ ) राम जानकी मंदिर बस्ती पारा महासमुंद
(३ ) सोनई रुपई माता खट्टी
(४ ) चिल्हूर डोगरी
(५ ) करिया धुर्वा
(७ ) कामाख्या मंदिर पिथौरा
(7 )सिद्ध बाबा कोसरंगी
(८ ) महादेव पठार गौरखेड़ा
(9 )गढ़सिवनी -लज्जा देवी (मूर्ति )
(२ ) राम जानकी मंदिर बस्ती पारा महासमुंद
(३ ) सोनई रुपई माता खट्टी
(४ ) चिल्हूर डोगरी
(५ ) करिया धुर्वा
(७ ) कामाख्या मंदिर पिथौरा
(7 )सिद्ध बाबा कोसरंगी
(८ ) महादेव पठार गौरखेड़ा
(9 )गढ़सिवनी -लज्जा देवी (मूर्ति )
(१० )चांदा दाई गुफा ) गोड़ गुफा (नागार्जुन गुफा)
(११ ) (छेरकिन गोधनी)
(११ ) (छेरकिन गोधनी)
(१२ )देव दरहा जलप्रपात एवं शिव मंदिर
(१३ )सुवरमारगढ़
(१४ )केशवा नाला जलाशय
(१५ )महादेव पठार - बाबा डेरा
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भोपाल: म.प्र. पर्यटन भवन,भदभदा रोड भोपाल मध्यप्रदेश
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