सिंघोड़ा मंदिर से जुडी कुछ रोचक जानकारी
अगर आप सरायपाली से सम्बलपुर राजमार्ग क्रमांक 53 में सफर कर रहे है तो सिंघोडा के पहाडों और चट्टानो के बिच मां रुद्रेश्वरी का दर्शन कर सकते है|
सिंघोड़ा मन्दिर |
सरायपाली से सम्बलपुर जाने वाले रसिया राजमार्ग क्रमांक 53 में सरायपाली से 20 किलोमीटर दूर ओडिसा सीमा से लगे ग्राम सिंघोडा में स्थित है| ....... माता रुद्रेश्वरी का मंदिर पहाडों और चट्टानो को काटकर बनाया गया है| माता रुद्रेश्वरी देवी का भव्य मंदिर स्वर्गीय स्वामी शिवानंद जी महाराज के द्वारा....... तीन दशक पहले, सन 1977 में आसाम से द्वारीकापुर की तीर्थ यात्रा पैदल जा रहे थे और यात्रा के दौरान इसी पहाडी और यहां के शांत वातावरण ने उन्हे कुछ देर रूकने पर विवश कर दिया, उन्हे विश्राम के दौरान माता की भव्य मंदिर बनाने की आत्म प्रेरणा मिली।
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उस समय यहां मा भगवती घंटेष्वरी देवी का एक छोटा सा जीर्ण-शीर्ण स्थान था। राष्ट्रिय राजमार्ग पर चलने वाले अधिकांश ट्रक और कई वाहन मंदिर के सामने रूकते और मां के दर्शन कर कुछ देर विश्राम करते और फिर अपनी मंजिल की ओर निकल पड़ते। मानो लंबी यात्रा के लिए यह कोई पडाव हो। यहां की प्राक्रितिक सौंदर्य और चारो ओर घनी पहाडियां लोगों को अपनी ओर आकर्शिक करते हैं, सड़क के दूसरे किनारे सरकार द्वारा बनाया गया बांध और एक छोटा नाला जिसके निकट वन विभाग की नर्सरी स्थित है, मंदिर के समीप एक खतरनाक मोड भी है। स्वामी शिवानंद जी महाराज कुछ वर्षो बाद द्वारिका धाम से वापस आकर यहीं रूक गए और भव्य मंदिर निर्माण का विचार देखते ही देखते माता की कृपा और आशिर्वाद से बिना किसी से चंदा लिए धर्मप्रेमी जन स्वतः ही मंदिर निर्माण में अपना सहयोग देने आगे आते गए और मंदिर बनना सुरु हो गया। जानकार बताते है कि मंदिर को पूरा बनने में लगभग 18 वर्ष लग गए,
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राष्ट्रीय राजमार्ग से लगकर पहाडी पर 81 फुट उंचे भव्य मंदिर का निर्माण सम्पन्न हुआ। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 53 से इसकी उंचाई 131 फुट है, सवा 5 फुट उंची संगमरमर से बनी मां रुद्रेश्वरी देवी की प्रतिमा स्थापित की गई, मंदिर दक्षिणमुखी है और सड़क से करीब 65 सीढीयां जो 60 फुट चैंडी है, को चढ़कर माता के दर्शन को जाया जाता है, विशाल 20 खंभों पर बना माता के इस मंदिर के चारो ओर मां दुर्गा के 9 अवतारों के भित्ती चित्र बने हुए है। मंदिर के मुख्य द्वारा चौकट दरवाजे व अन्य दरवाजों पर काष्ट शिल्प का बेहतरीन उपयोग किया गया है, मांरुद्रेश्वरी की स्थिापित प्रतिमा पर 10 फुट गोलाई का ऐक गुंबद है, मंदिर के उपरी हिस्से में भी एक
गुंबद बना है जिसका व्यास 140 फुट तथा उंचाई करीब 65 फुट के भीतरी भाग में चारों ओर संगमरमर लगा हुआ है। मंदिर के कुछ ही दूरी पर दोनो तरफ ज्योति प्रज्जवलित कक्ष, हवनकुंड आकर्शक बनाया गया है। मां रूद्रेष्वरी देवी मंदिर में 12 माह 24 घंटे श्रधालुओं की चहल-पहल रहती है, दोनो नवरात्र पर्व में अन्य तीज त्यौहारों की अपेक्षा ज्यादा रहती है। मां रूदे्रष्वरी देवी ट्रस्ट के द्वारा प्रतिवर्ष नेत्र शिविर व अन्य सामाजिक धार्मिक जनहित के कार्य लगातार किए जाते है, 12 बजे अन्न प्रसाद लगता है, मां घंटेष्वरी देवी की प्राचिन प्रतिमा वर्तमान मंदिर के सामने बने बांध के पास कुंभी वृक्ष के नीचे स्थापित है
माता रुद्रेश्वरी मंदिर |
उस स्थान पर अनेकों मंदिर बनाने एवं माता जी की प्रतिमा को कहीं और स्थापित करने की अनेको बार कोशिस की गई परन्तु माता ने स्वप्न में आकर मना कर दिया कि मुझे कहीं और नही जाना और इसी स्थान पर मंदिर बनाना है। बाबा स्वर्गीय शिवानंद जी महाराज को माता का आर्षिवाद प्राप्त था और उन्ही के अथक परिश्रम से माता का मंदिर बनकर तैयार हुआ जहां दूर दराज से भक्त अपनी मन्नतों को लेकर यहां पहुंच रहे है।
संकलन
वृन्दावन पटेल ग्राम - दर्रीपाली(सराईपाली)
अतिसुन्दर लेखन
ReplyDeleteजय माता की
माताजी की ही कृपा से मूर्ति की प्राण प्रतिस्ठा के अनुस्ट्ठान में सपत्नीक यजमान बनने का मुझे सोभाग्य प्राप्त हुवा ,माताजी का के ही आशिर्वाद से मुझे 6 कन्या के बाद इस महान अनुस्ट्ठान पश्चात 1पुत्र की प्राप्ति हुई आज 23 वर्ष की आयु है ।बाबाजी की कृपा एवम माताजी रुद्रेश्वरी जी की कृपा हमारे पूरे परिवार को सदा प्राप्त हो रही है ।जी माता जी की ।
ReplyDeleteAti sundar manniya Devendra Chandrakar ji
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