माता कौशिल्या कि इस
जन्म भूमि, ग्राम चंदखुरी में विद्यमान है,प्राचीन शिव मंदिर
जिसे छ:माशी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है|
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Shiva Temple Chandkhuri |
माता कौशिल्या मंदिर से लगभग आधा किलोमीटर
कि दुरी पर चंदखुरी ग्राम के बाये किनारे पर पतली सडको को पार करके पटेल पारा में
यह प्राचीन स्मारक अवस्थित है|पुरातत्व विभाग के अनुसार इस मंदिर का निर्माण लगभग
10 – 11 वी शती ईस्वी के बीच कलचुरी कालीन राजावो के द्वारा कराया गया था|किन्तु
इस मंदिर का अलंकृत द्वार तोरण किसी दुसरे विनष्ट हुवे सोमवंशी मंदिर (काल 8 वी
शती ईस्वी )का है|
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Shiv Mandir Chandkhuri |
मंदिर कि द्वार शाखावो पर गंगा एवं यमुना नदी देवियो का बेहद
सुन्दर ढंग से मुर्तिया, पत्थरो में
तराशा गया है|सिरदल पर ललाट बिम्ब में गजलक्ष्मी बैठी हुई है|जिसके एक ओर बाली –
सुग्रीव के मल्ल युद्ध एवं मृत बाली का सिर गोद पर रखकर विलाप करती हुई तारा का
करुण दृश्य प्रदर्शित है|
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शिव मंदिर द्वार शाखा |
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Mata Kaushalya -Chandkhuri |
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प्राचीन शिव मंदिर चन्दखुरी |
गर्भगृह में किसी भी प्रकार कि कोई प्रतिमा नहीं है|नागर
शैली में निर्मित यह पचरथ मंदिर है|इसमें मण्डप नहीं है|मंदिर परिसर में कुछ
खण्डित प्रतिमा को रखा गया है व कुछ मूर्ति सामने
पेड़ के निचे है|इस ग्राम के चौक चौराहों में कुछ खण्डित प्राचीन प्रतिमा देखने को
मिलती है सम्भवतह इशी मंदिर के अवशेष मालूम पड़ती है|यह स्मारक पुरातत्व विभाग
द्वारा संरक्षित स्मारक है|इसके बावजूद शाषण प्रशासन व
ग्रामवासियों कि उदासीनता के चलते, मंदिर अपनी
प्राचीनता खोती नजर आ रही है|यदि ऐशी ही
लापरवाही रही तो कुछ वर्षो के उपरांत यह मंदिर पूरी तरह ध्वस्त हो जायेगा|
कुल मिलाकर देखा
जाये तो यह क्षेत्रिय मंदिर का अनुपम उदहारण है|
इन्हें भी जरुर देखे :-
- माता कौशल्या मंदिर चन्दखुरी
- प्राचीन शिव मंदिर - देवबलोदा
- शिवरीनारायण मंदिर जांजगीर चाम्पा
- ईटो से निर्मित लक्ष्मन मंदिर –सिरपुर
नवरात्रि में माता कौशल्या मंदिर के दर्शन करने चंदखुरी गया था तब इस छ मासी मंदिर के दर्शन करने गया था मंदिर एकदम बस्ती के बीच में है मंदिर काफी प्राचीन है।मगर संरक्षण के आभाव में जर्जर होती जा रही है।बच्चे मंदिर प्रांगण का उपयोग खेल मैदान की तरह कर रहे थे।
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