Friday, December 21, 2018

Shree Rajiv Lochan Temple,Rajim - Beautiful Images Collection


Rajiv Lochan Mandir
Rajiv Lochan Temple Rajim

Rajiv Lochan Temple,Rajim - Beautiful Images Collection

राजिव लोचन मंदिर ,सम्पूर्ण दर्शन
राजिव लोचन मंदिर राजिम 

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राजीव लोचन मंदिर राजिम 

rajim old temple

rajim vishnu mandir


the most popular Historical Places in Rajim Chhattisgarh
सीता बाडी राजिम 

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 उत्खनन से प्राप्त सीता बाड़ी 


राजा जगतपाल ,राजिम  

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Rajiv Lochan Temple,Rajim - Beautiful Images Collection
प्रवेश द्वार -राजीव लोचन मंदिर 

Shree Rajiv Lochan Temple,Rajim - Beautiful Images Collection

Monday, December 10, 2018

Vishnu Temple Janjgir - Champa ( विष्णु मंदिर जांजगीर - चांपा,छत्तीसगढ़ )

History of Vishnu Temple in Janjgir 


जांजगीर एक ऐतिहासिक व पुरातत्विक नगरी है| जिसे जाजल्य देव कि नगरी भी कहा जाता है जाजल्य देव ने अपने नाम पर इस जाजल्यपुर नामक नगर बसाया था| जो कि वर्तमान में जांजगीर के नाम से प्रसिद्ध है| जिसे समृद्धि कि नगरी कि संज्ञा दि गयी है| उस समय दक्षिण कोशल,छत्तीसगढ़ का नाम देश में बड़े आदर सम्मान से लिया जाता था,जाजल्यदेव एक पराक्रमी योद्धा था उसने युद्ध के दौरान अनेक राज्य पर विजय पाई मगर उसे हड़पा नहीं बल्कि वार्षिक कर पटाने कि ,व आधीनता के शर्त पर राज्य को वापिश कर देता था वह एक कुशल शाषक था

Vishnu Temple Janjgir
विष्णु मंदिर जांजगीर 

सप्त शैली में निर्मित है यह विष्णु मंदिर

साथ ही वैष्णव धर्म का उपासक था जिस कारण उसने अनेक मंदिर का निर्माण करवाया उसमे से एक छत्तीसगढ़ के ह्रदय स्थल में स्थित जांजगीर जिले में 12 वी सदी में विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया था यह मंदिर स्थापत्य कला का अनुपम उदहारण है|

Vishnu Temple of janjgir Champa

इस मंदिर में वैष्णव परिवार कि प्रतिमाये के साथ-साथ शैव परिवार कि प्रतिमाये देखने को मिलती है जिससे मालूम होता है कि वह शैव परिवार को भी बड़े आदर के साथ पूजता था
यह मंदिर श्री हरी विष्णु को समर्पित है,मंदिर का गर्भ गृह पंचरथ प्रकार का है| व चारो ओर बाह्यभित्तियों में अत्यंत उत्कृष्टकोटि कि मूर्तियो का अंकन किया गया है| ये सभी प्रतिमाये वैष्णव धर्म से सम्बंधित है|
Vishnu Mandir Chhattisgarh

मंदिर का प्रवेश द्वार काफी भव्य बनाया गया है| जिसमे गंगा जमुना व द्वार पाल का मनमोहक प्रतिमा अंकन किया गया है| मंदिर कि जगती व सोपान भित्तियों में रामायण एवं कृष्ण लीला से सम्बंधित कथाओ का अंकन किया गया है| मुख्य मंदिर सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर कि भाती उची जगती पर बनी हुई है जिसकी लम्बाई लगभग 34 मीटर,चौड़ाई 23 मीटर व उचाई 2.77 मीटर है| मंदिर पुर्वाभूमुखी में स्थित है| मंदिर का निर्माण लाल बलुवा पत्थर से किया गया है| मंदिर के पिछले हिस्से पर सूर्य कि प्रतिमा बनी हुई है व मंदिर कि दीवारों पर ना-ना प्रकार के देवी देवताओं अप्सराओ पशु पक्षी यक्ष गन्धर्व किन्नर कि प्रतिमा अंकित है|

Beautiful images of vishnu temple janjgir


Ancient Vishnu temple Janjgir ,Chhattisgarh


Vishnu Bhagwan Temple

Janjgir mandir

Janjgir Chhattisgarh

famous temple in Janjgir

Historical Vishnu Temple Janjgir chhattisgarh

पूर्ण मंदिर बनाने के लिए इसे दो भागो में निर्माण किया गया था लेकिन दोनों भाग को मिलाने का कार्य समय से पूर्ण नहीं हुवा था जिस कारण दोनों भाग आज भी अलग –अलग जमीन पर रखा है| व अभी तक मंदिर पूर्ण नहीं हुवा है|

सड़क के दुसरे पार्श्व में लघु विष्णु मंदिर है| मूल सवरूप तो नवीनीकरण के चलते लुप्तप्राय है| किन्तु इसकी प्रवेश द्वार अभी भी सुरक्षित है| इसमें नंदी व चतुर्भुज शिव गणेश ,नटराज कि प्रतिमा स्थित है|
ये सभी मंदिर अपने समय में काफी भव्य रहा होगा जिसमे बाहरी आक्रमण हुवा होगा जिस कारण मंदिर श्री विहीन हो गया व, मंदिर को नष्ट करने का प्रयास किया मगर भारतीय शिल्पकारी कि अनूठी तकनीक के कारण यह मंदिर अब भी बचा हुवा है|

मंदिर से जुडी कुछ दन्त कथाये प्रचलित है ...

विष्णु मंदिर के निर्माण से सम्बंधित एक दन्त कथा बतायी जाती है,कि शिवरीनारायण मंदिर व जांजगीर के विष्णु मंदिर के बीच प्रतियोगिता कि दन्त कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने एक घोषणा किया कि जो मंदिर पहले बनकर तैयार होगा उसमे मै प्रविष्ट होऊंगा,इस प्रतियोगिता में शिवरीनारायण मंदिर पहले बनकर तैयार हो गया और जांजगीर का विष्णु मंदिर अधुरा रह गया जिस कारण मंदिर आज भी अधुरा है|

भीम और विश्वकर्मा कि प्रतियोगिता?

दूसरी कथाओ के अनुसार पांडवो का वनवास काल के दौरान, यहाँ कुछ समय व्यतीत किये थे जब भीम को जोड़ो से प्यास लगी तब पांच बार फावड़ा के प्रहार से विशाल तालाब का निर्माण कर दिया जिसे भीमा तालाब (भीम तालाब )कहा जाता है| उन्ही दिनों देवशिल्पी विश्वकर्मा व भीम के बीच मंदिर बनाने कि प्रतियोगिता हुई जिसमे यह शर्त रखी गयी कि मंदिर का निर्माण केवल एक रात में 
Laghu  vishnu mandir

किया जाये, भीम को इस मंदिर का मुख्य वास्तुकार कहा जाता है| मंदिर निर्माण के समय जब भीम का छिनी हतौडा गिरता था तो भीम का हाथी उसको लाकर देता था एक बार तीव्र प्रहार के चलते हथौड़ा सरोवर में जा गीरा जिसे हाथी वापस नही ला पाया, मंदिर निर्माण अधुरा था व भोर हो गया जिस कारण महाबली भीम प्रतियोगिता हार गया तब क्रोध वस उस हाथी को भीम ने उसी सरोवर में फेक दिया वर्तमान में हाथी व भीम कि खण्डित प्रतिमा विद्यमान है|

टिप :-कुछ लोगो का मत है कि इस मंदिर पर वज्र प्रहार के कारण यह मंदिर खण्डित हो गया ,कुछ इसे छ:मासी रात में बना मंदिर मानते है?

कैसे पहुचे :- रायपुर से इसकी दुरी 167 किलोमीटर है,व जिला मुख्यालय से 3. 07 किलोमीटर है, ट्रेन बस की सुविधा है| व इस जिले में अनेक धार्मिक एवं पर्यटन स्थल देखने लायक स्थल है|                  


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Saturday, October 20, 2018

Khallari Mata Temple History in Hindi ( खल्लारी मंदिर का इतिहास )

खल्लवाटिका(खल्लारी)/राक्षसराज हिडिम्ब की वाटिका.?

माँ खल्लारी मंदिर
निचे वाली माँ (माता राउर)/ (खल्लारी माँ )

खल्लारी माता मंदिर का इतिहास History of Khallari Mata Temple

छत्तीसगढ़ में ऐसे बहुत से ऐतिहासिक व प्राचीन स्थल है। जिसका वर्णन रामायण व महाभारत ग्रन्थ में मिलता है, उन्हीं में से एक स्थल है, खल्लवाटिका जिसे अब खल्लारी के नाम से जाना जाता है।


Khallari Temple
खल्लारी माता 
वारानाव्रत की शिव-पूजा लाक्षागृह की घटना इन्ही स्थान पर घटी थी,यहीं वह स्थान है, जहाँ पर शकुनी के द्वारा पाण्डवों की हत्या करने के लिए एक सुन्दर लाख़ का महल बनाया गया था। जिसमें पाण्डवों के सोने के पश्चात् उसमें आग लगा दिया गया था, पर इस छल भरी योजना का पाण्डवों को पता चला और गुप्त सुरंग के माध्यम से यहाँ से निकल गये ?

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पहाड़ी पर चढ़ने का भव्य प्रवेश द्वार 
खल्लारी में एक किले का अवशेष आज भी दिखाई देता है। व अनेक नक्काशीदार पत्थर के स्तंभ भी देखे गये हैं। खल्लारी में लाक्षागृह से संबंधित एक प्राचीन मंडपनुमा खंडहर है, जिसे लखेसरी गुड़ी के नाम से जाना जाता है, वर्तमान में यह स्थान उपेक्षा के शिकार के चलते अपनी प्राचीनता खोती नजर आ रही है।

Khallari Temple Beautiful Photos
वनवास के समयान्तराल पांचों पाण्डवों व उनकी माता का इस स्थान पर आगमन हुआ, संध्या होने के उपरांत इस स्थान को विश्राम के लिए उचित समझकर विश्राम किया, तभी राक्षसराज हिडिम्ब को मनुष्य के आगमन का आभास हुआ और अपनी बहन हिडम्बनी को बुलाकर सभी को गुफा तक लाने को कहा, हिडम्बनी के मना करने पर भी वह नहीं माना और मजबूरवश वह उन सभी पाण्डवों का वध करने निकली चारों भाई व उनकी माता कुन्ती सोई हुई थी और भीमसेन उसकी पहरेदारी कर रहा था।

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भीम की सुन्दरता को देखकर हिडिम्बनी मंत्रमुग्ध हो गयी और मन ही मन उसे अपना वर चुन बैठी और एक सुन्दर कन्या का वेश धारण कर भीम के पास पहुँची और उससे आग्रह किया कि आप सभी इस स्थान से कही दूर निकल जाये अन्यथा मेरे भाई आप सभी का वध कर देगे ,का निवेदन करती है। उधर हिडम्ब भूख से व्याकुल होकर पाण्डवों के पास पहुँचा तब हिडिम्ब को पता चला कि उसकी बहन अपना दिल भीम को दे बैठी है
भीम व हिडिम्भ का युद्ध 
तो क्रोध वश आकर उसने भीम पर आक्रमण कर दिया और वहाँ पर भीषण युद्ध होने लगा, इस युद्ध में हिडिम्बनी ने कई बार भीम की रक्षा की, युद्ध में पूरा पर्वत हिलने लगा और कई चट्टाने अपने जगह सेखिसकने लगी इस युद्ध में भीम के पांव चट्टान पर धसने लगा, जिससे उसके पैर के निशान बन गये बहुत देर तक युद्ध होने के पश्चात् भीम के हाथों हिडिम्ब का वध हो गया, तब भीम की माता को लगा कि हिडिम्बा अब अकेली हो गयी है व भीम से अत्यधिक प्रेम करती है तो उसने अगले ही दिन उसका खल्लारी माता के समीप गंधर्व विवाह करवा दिया विवाह उपरान्त भीम और हिडम्बनी( हिरबीची कैना )ढेलवा डोगरी मे निवास करने

खल्लारी मंदिर
खल्लारी मंदिर का प्रवेश द्वार 
लगी व अन्य भाई माता समेत खल्लारी आ गये ढेलवा डोंगरी पर भीम व हिरबिची का प्रणय लीला आरंभ हुई, भीम के द्वारा दो बड़े-बड़े चट्टानों से निर्मित ढेवला ( झुला का बाँधने का स्तमभ) का निर्माण किया गया जिसमें हिरबीची कैना को झुला-झुलाया करता था, उसकी झुला महानदी के तट तक जाती थी व पैरों से नदी की रेतिली मिट्टी पर्वत तक आती थी। आज भी इस डोंगरी का अपना की एक प्राचीन महत्व है, उस ढेलवा के अवशेष आज भी विध्यमान हैं। यहाँ पर भीम का गांजा पिने का यंत्र चिलम मौजुद है, एक वर्ष के उपरांत हिडिम्बनी और भीम का एक पुत्र का जन्म हुआ जन्म के उपरांत उसके सिर पर तनिक मात्र केश न होने के कारण उसका नाम
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घटोत्कच 
                                         
घटोत्कच रखा गया, घटोत्कच को भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म से पहले इन्द्रजाल ( कालाजादु ) का वरदान दिया था। जिस कारण वह पैदा होते ही विशालकाय रूप धारण कर लिया, वह महाभारत के युद्ध में अत्यंत वीरता से वीरगति को प्राप्त किया।
पाण्डुपुत्र के साथ विवाह पश्चात् हिडम्बीनी राक्षसी नहीं रही वह मानवीय बन गई व कालान्तर में मानवी देवी बन गई और उसका दैवी करण के पश्चात् मनाली चली गई. वहा आज भी मनाली की प्रमुख आराध्या देवी के रूप में पुजा जाता है

माँ दंतेश्वरी गुफा Ma Danteshwari Gufa Khallari


Ma Danteshwari Gufa Khallari



गंगा भागीरथी दर्शन Ganga Bhagirathi Darshan Khallari


Bhagirathi Darshan Khallari


शेर गुफा Sher Gufa Khallari


sher gufa khallari


भगवान शंकर दर्शन Bhagwan Shankar Darshan


Shiva Darshan Khallari


शीत बाबा दर्शन Shit Baba Darshan Khallari


shit Baba darshan khallari


नारायण मंदिर(जगन्नाथ मंदिर) Narayan Temple Khallari


Khallari Narayan Temple
13 सदी का नारायण मंदिर 

भीम पॉंव, खल्लारी डोंगरी Bhim Pow, Khallari Dongri


Khallari Mountains
पहाड़ी पर भीम के पद चिन्ह 

Panoramic view of the Khallari temple
खल्लारी मंदिर का विहंगम दृश्य 

आज भी इस खल्लारी व आस-पास के क्षेत्रो मे भीम से संबंधित अनेक चीजें देखने मिलती है, जिसमें ढेलवा डोंगरी में भीम का चिलम, भीमखोज की पहाड़ी में भीम के पद-चिन्ह व खल्लारी की डोंगरी में भीम चुल्हा, भीम खोल, डोंगा पत्थर, भीम का हंडा जो आज में भीम का वनवास काल में आगमन की सत्यता को बंया करती हैं। 

खल्लारी माता का पर्वत पर आगमन की कथा ?Story of Kallari Mata's arrival on the mountain?

माता का खल्लारी में आगमन से संबंधित अनेक कथायें प्रचलित हैं, जिससे माँ खल्लारी सोडसी का रूप धारण कर बाजार भ्रमण करने जाया करती थी, माता के रूप लावन्य पर एक बंजारा मोहित होकर माता का पीछा करने लगा माता के मना करने के उपरान्त वह बंजारा नहीं माना, तब माता ने क्रोध वस उसे पत्थर का बना दिया और माता उसी खल्लारी डोगरी की गुफा मे निवास स्थान बना लिया वैसे तो माता का मूल निवास बेमचा ग्राम में बताया जाता है। माता के द्वारा खल्लारी के जमींदार को स्वप्न दिया कि मैं पहाड़ी के ऊपर जन-कल्याण के लिए आयी हूँ इसलिए वहीं पर मेरा मंदिर बनवा दिया जाय, तब माता के आदेश पर एक मंदिर का

महाकाली दर्शन खल्लारी Mahakali Darshan Khallari


Khallari ka manoram drshy
काली माता 
निर्माण किया गया, माता का निवास स्थान अत्यन्त ऊँचाई व सघन वन होने के कारण असहाय लोग माता के दरबार तक नही पहुँच पा रहे थे, तब माता ने फिर स्वप्न दिया और बोली मैं अपनी कटार नीचे फेंक रही हूँ, वह जिस स्थान पर गिरेगी वहाँ पर मेरी शक्ति पीठ बनेगा और वहाँ पर मैं निवास कर भक्तों का कल्याण करूँगी, तब से नीचे वाली व ऊपर वाली दोनों माताओं की पूजा-अर्चना प्रारम्भ हुआ, खल्लारी माता को लोग समृद्धि का प्रतीक मानते हैं और माता के दरबार में मनोकामना ज्योति जलाते हैं, वर्तमान मे मंदिर काफी भव्य को चुका है। जिसकी सुन्दरता पर्यटको को मंत्रमुग्ध कर देती है।

महाबली भीम का डोंगा ?पत्थर की नाव Mahabali Bhima's canoe? Stone boat

यहाँ पर सबसे आकर्षण का केन्द्र पहाड़ी की चोटी पर स्थित पत्थर का नाव जिसे डोंगा पत्थर कहा जाता है। पास जाने पर ऐसा लगता है कि धक्का देने के उपरान्त वह गिर जायेगा, मगर उस पत्थर की संतुलन बड़ी ही आश्चर्यचकित कर देने वाली है। पर्यटकों को आकर्षण करने के लिए नाना-प्रकार की निर्माणाधीन प्रतिमा का निर्माण किया गया है। यह एक उत्तम पर्यटन स्थल है प्रकृति-प्रेमियों के लिए मनोरम स्थल है।
Khallari_Mata_Mandir_Bhimkhoj_Mahasamund
डोंगा पत्थर 

खल्लारी में अद्वितीय डोंगा पत्थर
भीम का डोंगा पत्थर 
    

खल्लारी मेला Khallari Fair

 प्रत्येक वर्ष चैत्र मास में पूर्णिमा के अवसर पर माँ खल्लारी के सम्मान में यहाँ 7 दिनों का मेला लगता है।

खल्लारी माता मंदिर तक कैसे पहुंचे How to reach Khallari Mata Temple

महासमुंद जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर व बागबाहरा से 12किलोमीटर व रायपुर से 79 किलोमीटर की दूरी पर भीमखोज खल्लारी स्थित है।नियमित रूप से ऑटो ,बस की सुविधा है व नजदीक ही भीमखोज रेलवे स्टेसन है ।