Monday, October 9, 2017

Valmiki Ashram Turturiya,Lavan,Kasdol- Balodabazar-Chhattisgarh

     तुरतुरिया -महर्षि वाल्मीकि आश्रम व लव - कुश की जन्म भूमी

तुरतुरिया मे वाल्मीकी आश्रम के बाई ओर छोटी छोटी दूकानो  के पास से गुजरते हुवे एक नाला को पार करके मातागढ नामक स्थान पहुचा जाता है। मातागढ उचि पहाडि पर स्थीत है। चारो तरफ विषाल वृक्ष बडे-बडे चट्टानो से घिरा हूवा है। पहूचने के लिये सिढी बनी  हूई है। मातागढ से पहले कुछ टुटी फुटि कुटिया दिखाई देति है जिसमे भगवान राम व बुद्ध कि खन्डीत प्रतिमा है। कहते है। कि यहि पर माता सिता कि कुटिया हूवा करती थी। और निचे महर्षि वालमिकी का आश्रम।
turturiya Valmiki ashram
लव कुश 

मातागढ मंदिर मे माता सिता माता काली कि मूर्तिया विराजमान है। यहा नवरात्री मे मनोकमना ज्योति जलायी जाति हैै। 
Valmiki Ashram Turturiya,Lavan,Kasdol- Balodabazar-Chhattisgarh
तुरतुरिया - गोमुख

यहि पर से झरणे कि कलकल कि ध्वनि सुनाई देति है। झरना जो थोडि आगे पर्वत से निचे पर स्थीत है। उसे पार करके  पर्वत कि उचि चोटि पर एक गुफा है।जिसे सेर गुफा (बघवा माडा) भी कहा जाता है। गुफा काफि विषाल है। ईस गुफा के अंदर 100 लोग आराम से घुस सकते है। यदि उस गुफा पर वर्षा हूई तो किसी पर एक भी बुद जल नहि पडेगि ईतना विषाल गुफा है। इस गुफा मे नवरात्री मे मनोकामना ज्योति जलाई जाति है।
turturiya-shivling
शिवलिंग 

Turturiya in Chhattisgarh
भगवान विष्णु की प्रतिमा 

valmiki in Turturiya
विष्णु प्रतिमा 

प्राचीन शिवलिंग 

mata gad Turturiya
माता गढ़ 

baghwa mada Turturiya
बघवा माडा 

तुरतुरिया एक ऐतिहासिक स्थल है। मगर वह अपनी प्राचिनता व विराषत को खोति नजर आ रहि हैै।
इन्हे भी देखे :-

Sunday, October 8, 2017

Kamraud - Siddh Baba Temple - Mahasamund(कमरौद सिद्ध बाबा मंदिर)

कमरौद ग्राम जो बागबाहरा तहसील जिला महासमुंद के अंतरगत आता यहाँ  का सिद्ध बाबा मंदिर आस -पास के लोगो का आस्था का केंद्र बना हुवा वैसे मंदिर तो छोटी है मगर मान्यता बहुत दूर दूर तक फ़ैली हुई है|

Siddh Baba Temple
सिद्ध बाबा मंदिर 


Siddh Baba Temple
सिद्ध बाबा की प्रतिमा 

Kamraud bagbahra
सुन्दर चट्टान 

Kamraud - Chhattisgrh
मंदिर का बाहरी दृष्य 
सिद्ध बाबा का जो डोंगरी है वह बहुत सुन्दर है  बड़े बड़े चट्टान वहा  पर है|  आस पास हरियाली  फैली हुई  है| इस जगह पर देखने से लगता है की काफी एकांत स्थान  है यहा  किसी साधु की तपस्या स्थली रही होगी और शिव जी की आराधना  कि होगी  क्युकी बाबा के प्रतिमा के बगल में  एक शिवलिंग है| जो  काफी प्राचीन मालूम पड़ता  है| यहाँ पर छेरछेरा  के एक दिन बाद मेले का आयोजन ग्रामीणों के द्वारा किया जाता है|जिसमे आस पास के ग्रामीण काफी मात्रा में मेले का आनंद लेने के लिए सहपरिवार पहुंचते है|  कमरौद ग्राम से पहले डोंगरीपाली ग्राम पड़ता है डोंगरीपाली की पहाड़ी पर स्वप्न देवी महामाया का निवास स्थान है|माता गुफा के अंदर निवास करती है | डोंगरीपाली से पहले मामाभांचा ग्राम में मामा भांचा का प्रसिद्ध मंदिर है|         

Saturday, October 7, 2017

Dongripali - Mahamaya Mata ,Gufa (माँ महामाया ग्राम- डोंगरीपाली -बागबाहरा -महासमुंद )

महाकाल रात्रि सिद्धी दात्री आदि शक्ति महामाया 
प्राकट्य दिवस आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा ) 15 -07 -2011 
सद गुरुओ  की प्रेरणा स्त्रोत से विश्व कल्याण हेतु अखंड ज्योति प्रज्वलित भाद्र शुक्ल पक्ष अनंत चतुर्दशी 11-09 -2011 
माँ जगत जननी की दिव्य ज्योति गुफा के अंदर प्रज्वलित है| 28 -09 -2011  
Mahamaya Mata


Dongripali -Mahasamund-Chhattisgarh




Wednesday, October 4, 2017

Champai Mata Gufa And Godhara Daldali Umarda,Mahadev Pathar,Baba Dera,Rani Khol Gufa (चम्पई माता गुफा ,गोधारा दलदली ,महादेव पठार ,बाबा डेरा ,रानी खोल गुफा )

चम्पई माता गुफा - ग्राम -मोहन्दी ,अरंड ,बेलर ,तरपोंगी  

maa champai
Champai Mata

आदिशक्ति माँ चम्पई | मोहन्दी ग्राम के पहाड़ के ऊपर एक विशाल गुफा के अंदर निवास करती है | माता रानी तीन पिंडियो के रूप में गुफा के अंदर निवास करती  है | माँ चम्पई प्राचीन चम्पापुर की कुल देवी है| चम्पई माँ  को खल्लारी माता के बहन के रूप में भी पूजा जाता है | माता की गुफा लगभग १०० फिट है जिसे देख  भक्त आश्चर्य में पड जाते है |  इस स्थान का पठारी मैदान देखने लायक है

maa champai guffa
Maa Champai Gufa

चारो तरफ हरे भरे वन विशाल पर्वत से घिरा हुवा है| यही पठारी रास्ते होते से होते  हुवे महादेव पठार ,बाबा डेरा ,रानी खोल गुफा तक पंहुचा जाता है रास्ते बडी  दुर्गम है| माँ चम्पई के दर्शन के लिए (मयूर ) भी माता के दरबार में आते  है| इस स्थान पर गुप्त खजाने होने की भी बात कही जाती है|       


गोधारा दलदली उमरदा (महासमुंद )

daldali godhara umarda
Shiv Mandir Daldali

गोधारा व् शिव मंदिर ग्राम उमरदा  के दलदली मे है| इस स्थान पर जामुन वृक्ष के नीचे से पवित्र जल की धारा फूटी है| जिसे गौधारा कहा जाता है | गोमुख से निरंतर जल की धारा निकलती रहती जिसका जल भीषण गर्मी के दिनों में भी कम नही होता  है| जो यहाँ का प्रमुख आकर्सन का केंद्र है| यहाँ पर एक प्राचीन शिव मंदिर है|
godhara(ghaudhara)umarda,mahasamund
Godhara Daldali Umarda

साथ ही अनेक निर्माधीन शिव मंदिर है | पूरा मंदिर परिसर प्राकृतिक हरियाली से घिरा हुवा है यहा  पर आके  बड़ी ही सुखद  अनुभव प्राप्त  होता है|  जिस कारन लोगो का आना जाना लगा रहता है | यहाँ पर सावन सोमवारी को भारी भीड़ देखने को मिलती है|  जिसमे दूर दूर से भक्त भोले नाथ को जल अभिषेक करने के लिए  आते  है | और पवित्र  गोमुख के जल को अन्य शिवालय में ले जाते है| यहाँ पर महाशिवरात्री का विशेष महत्व है | यहा  प्रति वर्ष छेरछेरा के दिन मेले का आयोजन किया जाता है| जिसमे भारी  भीड़ उमड़ती है|        



महादेव पठार गौरखेड़ा  

mahadev pathar ghaur kheda
Mahadev Pathar ,ShivLing

महादेव पठार गौरखेड़ा ग्राम के पठारी मैदान के अंतरगत आता है | इस स्थान पर एक अति प्राचीन शिवलिंग देखने को मिलती है शिवलिंग की  स्थापन किसने किया इसकी ठीक जानकारी किसी को नहीं  है| 
mahadev pathar
Mahadev Pathar

maa parvati mahadev pathar
Parvati Mata Mahadev Pathar

 मगर आस पास के ग्रामवासी बताते है | की इस क्षेत्र पर कभी (चम्पापुर) नामक गढ़  हुवा करता था| उस समय के  तात्कालिक राजा ने  शिवलिंग की स्थापना करवायी  होगी शिवलिंग से थोड़ी आगे आदि शक्ति माँ पार्वती की प्रतिमा है| अब यहाँ पर नवरात्रि में भक्तो द्वारा मनोकामना ज्योति जलाई जाती लोग काफी मात्रा में यहाँ पहुंचते है| मंदिर के समीप एक बारहमासी  नाला बहता रहता है|      



बाबा डेरा
mahadev pathar,baba dera
Baba Dera Gufa

BABA DERA GUFA
Baba Dera


बाबा डेरा के बारे में कहा जाता है की कभी यहा  किसी तपस्वी साधु ने यहाँ तप किया था | और ज्योति जलाई थी साथ ही उसका निवास स्थान था | इस कारन इसका नाम बाबा डेरा पड़ा | बाबा डेरा को देखने से लगता है की यह गुफा साधना के लिए उचित स्थान है| इस कारन इसको सत्य घटना माना जाता है| यहाँ गुफा का विशाल चट्टान नित-नित बड़ रही है| यहाँ पर आज भी साल के दोनों नवरात्रि में बाबा की याद मनोकामना ज्योति जलाते है| और इस खौफनाक स्थान पर ९ दिनों तक पूजा अर्चना करते रहते है| यह ग्रामवासीयो का परम आस्था का केंद्र है|बाबा डेरा महादेव पठार से लगभग दो किलोमीटर की दुरी पर है| यहाँ बाकि दिनों की अपेक्षा नवरात्रि में मोटर सायकिल के द्वारा पंहुचा जा सकता है| यही से थोड़ी दुरी पर रानी खोल गुफा पड़ता है|      

रानी खोल गुफा 

RANI KHOL MAHADEV PATHAR
Rani Khol Gufa

इस गुफा के बारे में कहा जाता है की चम्पापुर के राज्य पर जब आक्रमण हुवा तब रानी लोकप्रभा के सम्मान बचाने के लिए गुप्त स्थान पर सुरंग के मार्ग से रानी को यहाँ रखा गया था जब युद्ध समाप्त हुवा तो राजा ने रानी को बहुत ढूंढा मगर रानी का कही पता नहीं चला रानी लोकप्रभा रहस्य ढ़ग से गायब हो गयी थी| कुछ लोगो का मानना है की| रानी भूख प्यास के कारन मर गयी या किसी जंगली जानवर का शिकार हो गयी | रानी खोल गुफा और चम्पई माता गुफा एक ही गुफा हो सकती है| चम्पई गुफा प्रवेश द्वार और रानी खोल गुफा निर्गम द्वार हो सकता है क्युकी दोनों गुफा एक में ही मिला होगा ऐशा प्रतीत होती है| गुफा से थोड़ी दूर आगे एक झरना है|


टिप :-  यहाँ पर चम्पई माता की गुफा को छोड़कर बाकि सभी जैसे रानी खोल गुफा,बाबा डेरा गुफा व महादेव पठार के रास्ते काफी  दुर्गम है | व घने जंगलो से घिरा हुवा है|  रास्ते भी ठीक नहीं है| साथ में जंगली जानवरो का आना - जाना बना रहता है| इसलिए जब भी यहाँ पधारे अपने साथ अपने दोस्तों व जंगलो के बारे में जानकारी रखने वालो को साथ में जरूर लाये|