चम्पई माता गुफा - ग्राम -मोहन्दी ,अरंड ,बेलर ,तरपोंगी
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Champai Mata |
आदिशक्ति माँ चम्पई | मोहन्दी ग्राम के पहाड़ के ऊपर एक विशाल गुफा के अंदर निवास करती है | माता रानी तीन पिंडियो के रूप में गुफा के अंदर निवास करती है | माँ चम्पई प्राचीन चम्पापुर की कुल देवी है| चम्पई माँ को खल्लारी माता के बहन के रूप में भी पूजा जाता है | माता की गुफा लगभग १०० फिट है जिसे देख भक्त आश्चर्य में पड जाते है | इस स्थान का पठारी मैदान देखने लायक है
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Maa Champai Gufa |
चारो तरफ हरे भरे वन विशाल पर्वत से घिरा हुवा है| यही पठारी रास्ते होते से होते हुवे महादेव पठार ,बाबा डेरा ,रानी खोल गुफा तक पंहुचा जाता है रास्ते बडी दुर्गम है| माँ चम्पई के दर्शन के लिए (मयूर ) भी माता के दरबार में आते है| इस स्थान पर गुप्त खजाने होने की भी बात कही जाती है|
गोधारा दलदली उमरदा (महासमुंद )
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Shiv Mandir Daldali |
गोधारा व् शिव मंदिर ग्राम उमरदा के दलदली मे है| इस स्थान पर जामुन वृक्ष के नीचे से पवित्र जल की धारा फूटी है| जिसे गौधारा कहा जाता है | गोमुख से निरंतर जल की धारा निकलती रहती जिसका जल भीषण गर्मी के दिनों में भी कम नही होता है| जो यहाँ का प्रमुख आकर्सन का केंद्र है| यहाँ पर एक प्राचीन शिव मंदिर है|
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Godhara Daldali Umarda |
साथ ही अनेक निर्माधीन शिव मंदिर है | पूरा मंदिर परिसर प्राकृतिक हरियाली से घिरा हुवा है यहा पर आके बड़ी ही सुखद अनुभव प्राप्त होता है| जिस कारन लोगो का आना जाना लगा रहता है | यहाँ पर सावन सोमवारी को भारी भीड़ देखने को मिलती है| जिसमे दूर दूर से भक्त भोले नाथ को जल अभिषेक करने के लिए आते है | और पवित्र गोमुख के जल को अन्य शिवालय में ले जाते है| यहाँ पर महाशिवरात्री का विशेष महत्व है | यहा प्रति वर्ष छेरछेरा के दिन मेले का आयोजन किया जाता है| जिसमे भारी भीड़ उमड़ती है|
महादेव पठार गौरखेड़ा
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Mahadev Pathar ,ShivLing |
महादेव पठार गौरखेड़ा ग्राम के पठारी मैदान के अंतरगत आता है | इस स्थान पर एक अति प्राचीन शिवलिंग देखने को मिलती है शिवलिंग की स्थापन किसने किया इसकी ठीक जानकारी किसी को नहीं है|
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Mahadev Pathar |
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Parvati Mata Mahadev Pathar |
मगर आस पास के ग्रामवासी बताते है | की इस क्षेत्र पर कभी (चम्पापुर) नामक गढ़ हुवा करता था| उस समय के तात्कालिक राजा ने शिवलिंग की स्थापना करवायी होगी शिवलिंग से थोड़ी आगे आदि शक्ति माँ पार्वती की प्रतिमा है| अब यहाँ पर नवरात्रि में भक्तो द्वारा मनोकामना ज्योति जलाई जाती लोग काफी मात्रा में यहाँ पहुंचते है| मंदिर के समीप एक बारहमासी नाला बहता रहता है|
बाबा डेरा
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Baba Dera Gufa |
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Baba Dera |
बाबा डेरा के बारे में कहा जाता है की कभी यहा किसी तपस्वी साधु ने यहाँ तप किया था | और ज्योति जलाई थी साथ ही उसका निवास स्थान था | इस कारन इसका नाम बाबा डेरा पड़ा | बाबा डेरा को देखने से लगता है की यह गुफा साधना के लिए उचित स्थान है| इस कारन इसको सत्य घटना माना जाता है| यहाँ गुफा का विशाल चट्टान नित-नित बड़ रही है| यहाँ पर आज भी साल के दोनों नवरात्रि में बाबा की याद मनोकामना ज्योति जलाते है| और इस खौफनाक स्थान पर ९ दिनों तक पूजा अर्चना करते रहते है| यह ग्रामवासीयो का परम आस्था का केंद्र है|बाबा डेरा महादेव पठार से लगभग दो किलोमीटर की दुरी पर है| यहाँ बाकि दिनों की अपेक्षा नवरात्रि में मोटर सायकिल के द्वारा पंहुचा जा सकता है| यही से थोड़ी दुरी पर रानी खोल गुफा पड़ता है|
रानी खोल गुफा
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Rani Khol Gufa |
इस गुफा के बारे में कहा जाता है की चम्पापुर के राज्य पर जब आक्रमण हुवा तब रानी लोकप्रभा के सम्मान बचाने के लिए गुप्त स्थान पर सुरंग के मार्ग से रानी को यहाँ रखा गया था जब युद्ध समाप्त हुवा तो राजा ने रानी को बहुत ढूंढा मगर रानी का कही पता नहीं चला रानी लोकप्रभा रहस्य ढ़ग से गायब हो गयी थी| कुछ लोगो का मानना है की| रानी भूख प्यास के कारन मर गयी या किसी जंगली जानवर का शिकार हो गयी | रानी खोल गुफा और चम्पई माता गुफा एक ही गुफा हो सकती है| चम्पई गुफा प्रवेश द्वार और रानी खोल गुफा निर्गम द्वार हो सकता है क्युकी दोनों गुफा एक में ही मिला होगा ऐशा प्रतीत होती है| गुफा से थोड़ी दूर आगे एक झरना है|
टिप :- यहाँ पर चम्पई माता की गुफा को छोड़कर बाकि सभी जैसे रानी खोल गुफा,बाबा डेरा गुफा व महादेव पठार के रास्ते काफी दुर्गम है | व घने जंगलो से घिरा हुवा है| रास्ते भी ठीक नहीं है| साथ में जंगली जानवरो का आना - जाना बना रहता है| इसलिए जब भी यहाँ पधारे अपने साथ अपने दोस्तों व जंगलो के बारे में जानकारी रखने वालो को साथ में जरूर लाये|