जिला मुख्यालय से महज 35 कि.मी की दुरी पर और मुख्य राज मार्ग N H 53 पर पटेवा से 6 कि.मी की दुरी पर बावनकेरा ग्राम के समीप मुगई माता का प्रसिद्ध मंदिर है स्थित है। जो मुख्य मार्ग के बाजु में है। माता रानी का मंदिर उची पहाडी के
ऊपर स्थित है माता रानी छोटी गुफा के अंदर विराज माँन है माता के मंदिर के चारो तरफ से घने जंगलो और उचे पर्वत से घिरा हुवा है। वहां का वातावरण काफी रमणीय है जिसमे श्रद्धालु गण भारी मात्रा में माता के दरबार में आते है । माता की मोहनी सूरत मन मंदिर में बस जाती है। यहाँ पर रास्ते में गुजरने वाले यात्री प्रायह माता के दर्शन कर के ही वहा से
प्रस्थान करते है। मुगई माँ को दुर्गा माता का रूप माना जाता है। माता को स्वप्न देवी के रूप में भी पूजा जाता है । इसी कारन यहाँ पर साल के दोनों नवरात्री में मनोकामना ज्योति जलाई जाती है पूरा नव दिन माता की सेवा जस गीत से गूंज उठता है जिसमे माता के प्रति अटूट भक्ति को देखि जा सकती है ।
नवरात्रि में सप्तमी ,आठे,नवमी को भारी भीड़ देखि जा सकती है।
यहाँ पर पर्वत के ऊपर चढ़कर आस पास के नजारो को देखने का अलग ही अनुभव होता है चारो तरफ हरियाली ही नजर आती है
मंदिर की रूप रेखा - सबसे पहले माता का प्रवेश द्वार मिलता है| उसके बाद निचे वाली माता के भव्य दर्शन होते है| उसके बाद आगे जाने पर भोले बाबा के अर्ध नारिस्वर स्वरुप के दर्शन होते है उसके आस पास अनेक छोटे -छोटे मंदिर बनी हुई है उसके बाद फिर आगे पर्वत पर चढाई करने पर माता के दर्शन एक छोटी गुफा के अंदर होता है यही पर ज्योति कक्ष के समीप एक खौफनाक गुफा मिलता है जिसमे जंगली जानवर होने के सबुद मिलते है उस विशाल पर्वत पर दो हनुमान जी की प्रतिमा माता के रक्षक के रूप में तत्पर दिखाई पड़ता है माता के मंदिर के सामने एक शेर माता के रक्षक के रूप में बनाया गया है फिर उसे रास्ते पर पहाड़ की चोटी पर माता मुगेशसबरी माता का मंदिर स्थापित है
विशेष :- अब यहाँ पर घुंचापाली चण्डी के सामान शाम होते ही माता के दरबार में प्रसाद लेने के लिए भालू आते है। जिसे भक्त जन भालू को नारियल ,प्रसाद ,आदि अपने हातो से खीलाते है । इस ग्राम में उर्फ़ का त्यौहार बड़ी धूम -धाम से मनाया जाता है जिसमे मेले का आयोजन होता है । जिसमे सभी धर्म के लोग इसमें सामिल होते है । यहाँ के लोगो में एकता और भाई चारे की भावना सहज ही देखने को मिलती है ।
सुचना:- मंदिर समिति ने यहाँ पर एक सूचना लगाया है की संध्या होने पर पहाड़ी के ऊपर ना चडे भालू का आना जाना बना रहता है वहा पर कुछ भी अप्रिय घटना होने की चेतावनी दी गई है हमें उनके आदेश का पालन करना चाइये और जंगली जानवर से दुरी बनाये रहना चाइये ।
इसी मुख्य राज मार्ग से पिथौरा की कामख्या मंदिर ,सरायपाली का सिगोड़ा रूद्रेश्वरी मंदिर जाते है।
ऊपर स्थित है माता रानी छोटी गुफा के अंदर विराज माँन है माता के मंदिर के चारो तरफ से घने जंगलो और उचे पर्वत से घिरा हुवा है। वहां का वातावरण काफी रमणीय है जिसमे श्रद्धालु गण भारी मात्रा में माता के दरबार में आते है । माता की मोहनी सूरत मन मंदिर में बस जाती है। यहाँ पर रास्ते में गुजरने वाले यात्री प्रायह माता के दर्शन कर के ही वहा से
प्रस्थान करते है। मुगई माँ को दुर्गा माता का रूप माना जाता है। माता को स्वप्न देवी के रूप में भी पूजा जाता है । इसी कारन यहाँ पर साल के दोनों नवरात्री में मनोकामना ज्योति जलाई जाती है पूरा नव दिन माता की सेवा जस गीत से गूंज उठता है जिसमे माता के प्रति अटूट भक्ति को देखि जा सकती है ।
नवरात्रि में सप्तमी ,आठे,नवमी को भारी भीड़ देखि जा सकती है।
यहाँ पर पर्वत के ऊपर चढ़कर आस पास के नजारो को देखने का अलग ही अनुभव होता है चारो तरफ हरियाली ही नजर आती है
मंदिर की रूप रेखा - सबसे पहले माता का प्रवेश द्वार मिलता है| उसके बाद निचे वाली माता के भव्य दर्शन होते है| उसके बाद आगे जाने पर भोले बाबा के अर्ध नारिस्वर स्वरुप के दर्शन होते है उसके आस पास अनेक छोटे -छोटे मंदिर बनी हुई है उसके बाद फिर आगे पर्वत पर चढाई करने पर माता के दर्शन एक छोटी गुफा के अंदर होता है यही पर ज्योति कक्ष के समीप एक खौफनाक गुफा मिलता है जिसमे जंगली जानवर होने के सबुद मिलते है उस विशाल पर्वत पर दो हनुमान जी की प्रतिमा माता के रक्षक के रूप में तत्पर दिखाई पड़ता है माता के मंदिर के सामने एक शेर माता के रक्षक के रूप में बनाया गया है फिर उसे रास्ते पर पहाड़ की चोटी पर माता मुगेशसबरी माता का मंदिर स्थापित है
विशेष :- अब यहाँ पर घुंचापाली चण्डी के सामान शाम होते ही माता के दरबार में प्रसाद लेने के लिए भालू आते है। जिसे भक्त जन भालू को नारियल ,प्रसाद ,आदि अपने हातो से खीलाते है । इस ग्राम में उर्फ़ का त्यौहार बड़ी धूम -धाम से मनाया जाता है जिसमे मेले का आयोजन होता है । जिसमे सभी धर्म के लोग इसमें सामिल होते है । यहाँ के लोगो में एकता और भाई चारे की भावना सहज ही देखने को मिलती है ।
सुचना:- मंदिर समिति ने यहाँ पर एक सूचना लगाया है की संध्या होने पर पहाड़ी के ऊपर ना चडे भालू का आना जाना बना रहता है वहा पर कुछ भी अप्रिय घटना होने की चेतावनी दी गई है हमें उनके आदेश का पालन करना चाइये और जंगली जानवर से दुरी बनाये रहना चाइये ।
इसी मुख्य राज मार्ग से पिथौरा की कामख्या मंदिर ,सरायपाली का सिगोड़ा रूद्रेश्वरी मंदिर जाते है।
Jai mata mungae ...
ReplyDeleteA great place to find religious and natural peace. Bears come here occasionally in the evening (basically 6pm). It is developing and turning to be a more beautiful place to visit. The best thing is: it is situated on NH53, so it is very easy to reach here
ReplyDeleteThis temple is situated on highway NH 53.
ReplyDelete80 km from Raipur towards sambalpur.
Very nice place for visits. This temple is on hill top approx 70 meter hight
Jai Mungai Maa
If you're lucky, you might see wild bear's visiting the temple and eating food directly from your hand
ReplyDeleteMaa ki leela aprampar hai. Jai mata rani.
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