Wednesday, January 25, 2017

Nrusinghanath Temple Odisha ( नृसिंहनाथ मन्दिर ओड़िशा )

Nrusinghanath Temple Odisha  नृसिंहनाथ मन्दिर ओड़िशा

ओड़िशा कि पावन धरा पर वैसे तो अनेक प्रसिद्ध मंदिर तीर्थ स्थल है मगर नरसिंह क्षेत्र का अपना हि एक विशेष महत्व रखता है|  यहा पर साल भर देश विदेश से लोग इस पावन धरा  पर पहुचते है प्रकृति कि गोद में विराजमान गंध मादन पर्वत पर  दुर्लभ जड़ी बूटी कि खदान मौजूद है|  यहाँ के घने जंगल, कपिल धारा के झरने देखने योग्य है जो  सभी सैलानी को अपनी ओर आकर्षित करती  है|
Nrusinghanath Temple Odisha
मुख्य द्वार 

यहाँ पर कैसे पहुचे :-
पूर्वी रेल्वे कि रायपुर -विजयानगरम लाईन पर रायपुर से महज़ ७३ मील दूर नवापारा रोड़ स्टेशन है | वहा से २२ मील पर यह तीर्थ है | नवापारा से पाइकमाल तक बस -सर्विस है | आगे केवल देड मील मार्ग रह जाता है | यहाँ धर्मशाला है|  यहाँ मुख्य मंदिर श्री नृसिंह-भगवान है | उसके अतिरिक यहाँ शंकर जी और जगन्नाथ जी का भी मंदिर है | वैशाख पूर्णिमा को यह मेला लगता है जिसमे विशाल जन समुदाय  को देखा जा सकता है|  इस स्थान पर अनेक प्राचीन मंदिर मुर्तिया विद्यमान है| जल धारा के किनारे चट्टानों पर तरासे देवतावो कि प्रतिमा अदभुद है|  

Kapil Dhara
कपिल धारा 

कपिल धारा कि दूरी :-
मंदिर परिसर से ३ से ४ कि मी कि दूरी पर घने पहाड़ो के उपर यह जल धारा है मोटर सायकल या पैदल चलकर यहाँ पंहुचा जा सकता है उसकी जल धारा देखने योग्य है उपर पहाड़ कि छोटी से निर्मल जल कि धारा गिरती रहती है जो कभी भी बंद नहीं होती है, उसमे अपार जल भंडार है और उसी जल में भक्त जन स्नान आदि कार्य करते है|
Nrusinghanath Temple Odisha


वानर राज (लाल मुख  वाले बन्दर )से कोई छेड़छाड़ नहीं करना चाइये घुसैले स्वाभाव होने के कारण  नुकसान पंहुचा सकता सकता है|  यदि उसको कुछ खाने को नहीं दिया गया तो वो भोजन सामान को छीण कर भी भाग जाते है| थोडा सावधान होकर रहना चाइये ,बाकी वानर  के होने से यहा कि रौनकत और अधिक बड जाती है।
Nrusinghanath Temple Odisha

Nrusinghanath Temple Odisha



यहाँ  पहाड़ी के रास्ते हरिशंकर भी जाया जाता है मगर रास्ता थोडा कठिन है| इस स्थान से  पतोरा बाध  काफी नजदिक है| योगेश्वर शिव मंदिर राम मंदिर राजीव उद्यान  देखने योग्य है| 

Tuesday, January 24, 2017

Patora Dam Yogeshwar Shiv Temple Odisha (पतोरा बांध ओड़िशा)

पतोरा बांध  नुआपाड़ा(ओड़िशा )का  योगेश्वर महादेव मन्दिर देश विदेश में अति प्रसिद्ध  है यहाँ पर देश विदेश से भक्त जन भोले बाबा के दर्शन के लिए आते है  यह मंदिर नुआपाड़ा से काफी नजिदक  है यहाँ पहुचने के लिए अति उत्तम सड़क मार्ग  है।  यहाँ पर शावन सोमवारी  तथा महाशिवरात्रि पर भारी  भीड़ देखी  जा सकते है     पुरे सावन मास में बोल बम  के नारे से पूरा परिसर गुज उठता है  यहाँ पर अति सुन्दर कलाकृति  को देखि  जा सकती है यहाँ पर विशाल  हनुमान जी ,नंदी की प्रतिमा ,शिव गनो की प्रतिमा अति मनमोहक है जिसे देखकर मन प्रसन्न  हो जाता  मन्दिर  परिसर पर राम जी का अध्बुध मंदिर है यहाँ पर भक्तो को आकर्षित करने के लिए नाना  प्रकार की प्रतिमा बनाये गए है
(इस मंदिर को बनाने में भारत के टी सीरीज़  कंपनी के श्री गुलशन कुमार ने अपना सहयोग प्रदान किया था)

yogeshwar temple patora
मुख्य मंदिर 

यही पर विशाल पतोरा  बाध है जिसमे हमेशा भरपूर मात्रा में जल रहता है । इस बांध का आनंद लेने के लिए इसमें छोटे नाव भी चलती रहती है
patra dam temple photos

Patora Dam,nuapada- odisha


patra dam shiv temple photos




yogeshwar temple patora
राम जी 
                             

 यहाँ पर एक अति सुन्दर उद्यान (गार्डन)  है जिसमे नाना  प्रकार के सुन्दर सुन्दर फूल पौधे लगे हुवे है जो देखने लायक है  

yogeshwar temple patora



हनुमान जी 


Patora Dam Nuapada Odisha
मुख्य द्वार 



नंदी 
विशेष - यहाँ पर मंदिर परिसर पर अनेक भगवन शिव के भक्त बन्दर (वानर ) को देखा जा सकता है इन वन्य प्राणी से ज्यादा छेड़ छाड़ नहीं करना चाहिए नहीं तो वो क्रोधित हो जाते है और नुकसान भी पंहुचा सकते है।

इन्हें और  देखे:- 

Thursday, January 5, 2017

बड़ी खल्लारी माता मंदिर बेमचा (badi khallari mata temple bemcha mahasamund)

बड़ी खल्लारी माता मंदिर महासमुंद से महज़ ४ कि. मी की दुरी पर तुमगांव रोड पर ग्राम बेमचा मे स्थित है यह स्थान पर माता खल्लारी का प्रथम निवास स्थान माना जाता है सबसे पहले माता यही पर प्रकट हुई थी
bemcha khallari mata
बड़ी खल्लारी माता 

उसके बाद माता भीमखोज की खल्लारी ग्राम के  पहाड़ के ऊपर अपना  एक और निवास स्थान बना लिया और माता दोनो जगा भक्तो  का कल्याण करने लगी और  सदा -सदा के लिए पूजनीय हो गई इस प्रकार माता दो रूपो में भक्तो का कल्याण करने लगी?
 यदि भीमखोज की  खल्लारी की माता में कुछ धार्मिक कार्य होता है तो पहले  बेमचा की खल्लारी माता की पहली पूजा अर्चना  की जाती है फिर भीमखोज की माता की पूजा की जाती है नवरात्री  में भी पहला ज्योति बेमचा में जलाया जाता है उसके बाद भीमखोज खल्लारी में ज्योति जलाई जाती है

किवंदती-पुरानी मान्यताओ के अनुशार  माँ खल्लारी 
महासमुन्द से निकट ग्राम -बेमचा से हुवा था इस सम्बन्ध में ऐसे किवंदती प्रचलित है कि ग्राम बेमचा से माता सोडसी का रूप धारण कर बाज़ार आया करती थी उसके रूप लावण्य से वशीभूत होकर एक बंजारा खल्लारी माता  के पीछे पड़ गया बंजारा माता खल्लारी का पिछा करते हुवे पहाड़ी मंदिर तक गया उसके बाद माता क्रोध  वस् उस बंजारा को पाषाण का बना दिया  देवी माता खल्लारी में विलोपित हो गई और उसी पहाड़ी में माता निवाश करने लगी तब से देवी माँ खल्लारी में निवास करने लगी साथ -साथ अपना एक अंश बेमचा में भी छोड़ आई  तब से माता दोनों जगा  पूजी  जाती है 
मुख्य मन्दिर 

खल्लारी माता की प्रसिद्धि को देखते हुवे यहाँ पर दूर दूर से भक्त गण माता के दरबार में अपनी मुराद लेके आती है और माता सभी भक्तो की मनोकामना पूरी करती है
यहाँ पर दोनों पक्ष  की नवरात्री में भारी मात्रा में मनोकामना ज्योति भक्तो के द्वारा जलायी  जाती है पुरे नव दिन देखने लायक रहता है माता की भजन आरती से पूरा वातावरण भक्ति मई हो जाता है

वही मंदिर के समीप ज्योति कक्ष है और सामने भैरो बाबा की निर्माधीन प्रतिमा है ,और माता का प्राकट्य स्थल वही पर है  थोड़े से आगे भगवान राम जानकी  ,और माता कर्मा का मंदिर है जो की  पूरी मंदिर परिसर को चार -चार लगा देती है  भगवान  राम लक्ष्मन सीता और केवट राज की मूर्ति से निगाहे नहीं हटती और उसके स्वरुप आखो में बस जाती   है यहा  पर राम नवमी को विशेष रूप धूम -धाम से  मनाया जाता है यहाँ पर  प्रतिवर्ष मेले का आयोजन किया जाता है
मंदिर से निकलते हुए थोड़ी सामने वेद माता गायत्री और मंदिर का दर्शन करके  प्रस्थान  करना चाहिए

इन्हें और देखे :-