Monday, December 10, 2018

Vishnu Temple Janjgir - Champa ( विष्णु मंदिर जांजगीर - चांपा,छत्तीसगढ़ )

History of Vishnu Temple in Janjgir 


जांजगीर एक ऐतिहासिक व पुरातत्विक नगरी है| जिसे जाजल्य देव कि नगरी भी कहा जाता है जाजल्य देव ने अपने नाम पर इस जाजल्यपुर नामक नगर बसाया था| जो कि वर्तमान में जांजगीर के नाम से प्रसिद्ध है| जिसे समृद्धि कि नगरी कि संज्ञा दि गयी है| उस समय दक्षिण कोशल,छत्तीसगढ़ का नाम देश में बड़े आदर सम्मान से लिया जाता था,जाजल्यदेव एक पराक्रमी योद्धा था उसने युद्ध के दौरान अनेक राज्य पर विजय पाई मगर उसे हड़पा नहीं बल्कि वार्षिक कर पटाने कि ,व आधीनता के शर्त पर राज्य को वापिश कर देता था वह एक कुशल शाषक था

Vishnu Temple Janjgir
विष्णु मंदिर जांजगीर 

सप्त शैली में निर्मित है यह विष्णु मंदिर

साथ ही वैष्णव धर्म का उपासक था जिस कारण उसने अनेक मंदिर का निर्माण करवाया उसमे से एक छत्तीसगढ़ के ह्रदय स्थल में स्थित जांजगीर जिले में 12 वी सदी में विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया था यह मंदिर स्थापत्य कला का अनुपम उदहारण है|

Vishnu Temple of janjgir Champa

इस मंदिर में वैष्णव परिवार कि प्रतिमाये के साथ-साथ शैव परिवार कि प्रतिमाये देखने को मिलती है जिससे मालूम होता है कि वह शैव परिवार को भी बड़े आदर के साथ पूजता था
यह मंदिर श्री हरी विष्णु को समर्पित है,मंदिर का गर्भ गृह पंचरथ प्रकार का है| व चारो ओर बाह्यभित्तियों में अत्यंत उत्कृष्टकोटि कि मूर्तियो का अंकन किया गया है| ये सभी प्रतिमाये वैष्णव धर्म से सम्बंधित है|
Vishnu Mandir Chhattisgarh

मंदिर का प्रवेश द्वार काफी भव्य बनाया गया है| जिसमे गंगा जमुना व द्वार पाल का मनमोहक प्रतिमा अंकन किया गया है| मंदिर कि जगती व सोपान भित्तियों में रामायण एवं कृष्ण लीला से सम्बंधित कथाओ का अंकन किया गया है| मुख्य मंदिर सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर कि भाती उची जगती पर बनी हुई है जिसकी लम्बाई लगभग 34 मीटर,चौड़ाई 23 मीटर व उचाई 2.77 मीटर है| मंदिर पुर्वाभूमुखी में स्थित है| मंदिर का निर्माण लाल बलुवा पत्थर से किया गया है| मंदिर के पिछले हिस्से पर सूर्य कि प्रतिमा बनी हुई है व मंदिर कि दीवारों पर ना-ना प्रकार के देवी देवताओं अप्सराओ पशु पक्षी यक्ष गन्धर्व किन्नर कि प्रतिमा अंकित है|

Beautiful images of vishnu temple janjgir


Ancient Vishnu temple Janjgir ,Chhattisgarh


Vishnu Bhagwan Temple

Janjgir mandir

Janjgir Chhattisgarh

famous temple in Janjgir

Historical Vishnu Temple Janjgir chhattisgarh

पूर्ण मंदिर बनाने के लिए इसे दो भागो में निर्माण किया गया था लेकिन दोनों भाग को मिलाने का कार्य समय से पूर्ण नहीं हुवा था जिस कारण दोनों भाग आज भी अलग –अलग जमीन पर रखा है| व अभी तक मंदिर पूर्ण नहीं हुवा है|

सड़क के दुसरे पार्श्व में लघु विष्णु मंदिर है| मूल सवरूप तो नवीनीकरण के चलते लुप्तप्राय है| किन्तु इसकी प्रवेश द्वार अभी भी सुरक्षित है| इसमें नंदी व चतुर्भुज शिव गणेश ,नटराज कि प्रतिमा स्थित है|
ये सभी मंदिर अपने समय में काफी भव्य रहा होगा जिसमे बाहरी आक्रमण हुवा होगा जिस कारण मंदिर श्री विहीन हो गया व, मंदिर को नष्ट करने का प्रयास किया मगर भारतीय शिल्पकारी कि अनूठी तकनीक के कारण यह मंदिर अब भी बचा हुवा है|

मंदिर से जुडी कुछ दन्त कथाये प्रचलित है ...

विष्णु मंदिर के निर्माण से सम्बंधित एक दन्त कथा बतायी जाती है,कि शिवरीनारायण मंदिर व जांजगीर के विष्णु मंदिर के बीच प्रतियोगिता कि दन्त कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने एक घोषणा किया कि जो मंदिर पहले बनकर तैयार होगा उसमे मै प्रविष्ट होऊंगा,इस प्रतियोगिता में शिवरीनारायण मंदिर पहले बनकर तैयार हो गया और जांजगीर का विष्णु मंदिर अधुरा रह गया जिस कारण मंदिर आज भी अधुरा है|

भीम और विश्वकर्मा कि प्रतियोगिता?

दूसरी कथाओ के अनुसार पांडवो का वनवास काल के दौरान, यहाँ कुछ समय व्यतीत किये थे जब भीम को जोड़ो से प्यास लगी तब पांच बार फावड़ा के प्रहार से विशाल तालाब का निर्माण कर दिया जिसे भीमा तालाब (भीम तालाब )कहा जाता है| उन्ही दिनों देवशिल्पी विश्वकर्मा व भीम के बीच मंदिर बनाने कि प्रतियोगिता हुई जिसमे यह शर्त रखी गयी कि मंदिर का निर्माण केवल एक रात में 
Laghu  vishnu mandir

किया जाये, भीम को इस मंदिर का मुख्य वास्तुकार कहा जाता है| मंदिर निर्माण के समय जब भीम का छिनी हतौडा गिरता था तो भीम का हाथी उसको लाकर देता था एक बार तीव्र प्रहार के चलते हथौड़ा सरोवर में जा गीरा जिसे हाथी वापस नही ला पाया, मंदिर निर्माण अधुरा था व भोर हो गया जिस कारण महाबली भीम प्रतियोगिता हार गया तब क्रोध वस उस हाथी को भीम ने उसी सरोवर में फेक दिया वर्तमान में हाथी व भीम कि खण्डित प्रतिमा विद्यमान है|

टिप :-कुछ लोगो का मत है कि इस मंदिर पर वज्र प्रहार के कारण यह मंदिर खण्डित हो गया ,कुछ इसे छ:मासी रात में बना मंदिर मानते है?

कैसे पहुचे :- रायपुर से इसकी दुरी 167 किलोमीटर है,व जिला मुख्यालय से 3. 07 किलोमीटर है, ट्रेन बस की सुविधा है| व इस जिले में अनेक धार्मिक एवं पर्यटन स्थल देखने लायक स्थल है|                  


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1 comment:

  1. बहुत रोचक जानकारी व सुंदर तस्वीर ,इसे नकटा मंदिर भी कहा जाता है।
    ओम नमो नारायनमः

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