Friday, February 24, 2017

Fanikeshwar Nath Siva Temple Fingeshwar (फणिकेश्वर नाथ महादेव मंदिर फिंगेश्वर)

फणिकेश्वर नाथ महादेव का प्रसिद्ध मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर में आता है| यह मंदिर काफी प्राचीन है|
Siva Temple Fingeshwar
फणिकेश्वर नाथ महादेव 

और अपनी बनावट और कलाकृति के अधभुध नज़ारे से भरा हुवा है| जिसे देखने के लिए भक्तो का ताता लगा रहता है|
Siva Temple Fingeshwar Chhattisgarh
फणिकेश्वर नाथ महादेव मंदिर 
भक्त भोले बाबा के दरबार में आते है| और भोले बाबा सब कि मनोकामना पूरी करती है| लोगो कि मान्यता के अनुसार इस स्थान पर राम जी वनवास के समय इस रास्ते से गुजरे थे और माता सीता ने इसी मंदिर में शिव जी का पूजा व शिव जी का जल अभिषेक किया था| इसलिए इन्हें पंचकोसी धाम के नाम से भी जाना जाता है |
Siva Temple Fingeshwar
गणेश जी 
यहाँ पर प्रती वर्ष सावन सोमवारी और महाशिवरात्रि को भारी भीड़ उमड़ती है| सावन में बाबा के दरबार में कावरियो का जमघट लगा रहता है| जिसमे दूर- दूर से भक्त बाबा को जल से अभिषेक करते है|

कहते है कि यह मंदिर राजिम के कुलेश्वर महादेव के काल के ज़माने में बनवाया गया मंदिर है| और यह भी मान्यता है कि, इस मंदिर का निर्माण छः मासी रात को किया गया था मंदिर में अनेक प्राचीन मुर्तिया रखी गयी है इसमें से प्रमुख चतुर्मुखी गणेश जी,भैरव बाबा कि प्रतिमा है| ऐशा लगता है कि सभी मुर्तिया धरती माता के गर्भ से निकली है| कुछ मुर्तिया खंडित अवस्था में है|
Temple of  Fingeshwar
भोले बाबा के शिवलिंग के सामने बाबा कि सवारी नंदी विराज मान है| मंदिर के चारो तरफ अनेक प्रतिमा उकेरी हुई है| जिसमें नृत्य करते हुवे जोड़े और कुछ मिथुन मुर्तिया बनी हुवी है| मंदिर कि पत्थरों में तरास कर नक्कासी कि गयी है जो काफी अधभुद है| मंदिर परिसर के सामने और भी मंदिर है|
इनमे से पांच शिखरों वाला राम मंदिर ,हनुमान मंदिर आदि प्रमुख है| फणीकेश्वर नाथ महादेव मंदिर नागर शैली में बना हुवा है| और यह मंदिर पुरातत्व विभाग द्वार संरक्षित किया गया है|
विशेष :- यह ग्राम छत्तीसगढ़ के प्राचीन 36 गढ़ो में से एक था| यह एक अति प्राचीन नगर है| यदि आप प्राचीन और पुरातन चीजो में खाश रूचि रखते है तो आपको एक ब़ार फिंगेश्वर जरुर आना चाहिये यहाँ पर आप देखोगे कि राजा का महल कैसा होता है उस समय कि कलाकृति कैसी होती है| यह सब आपको एक साथ देखने को मील जायेगा
यहाँ पर आज भी राजा का महल अपनी पुरानी यादो को लेकर उस ग्राम में विद्यमान है|
Rajmahal
, मगर उचित संरक्षण के आभाव मे खंडरो में तब्दील होते जा रहे है| यह एक सोचनीय विषय है| यहाँ पर आप देखोगे कि जमीन के अन्दर किस प्रकार महल का निर्माण किया जाता है| यहा पर मकानों के अंदर बड़े बड़े कमरे और उसमे खास बनावट कैसे होती है|
{ शाही दशहरा फिंगेश्वर  }
temple

यहाँ पर आज भी दशहरा का त्यौहार बड़ी धूम - धाम से मनाया जाता है| जिसे शाही दशहरा कहा जाता है | इसमे राजा के वंसज आते है| और अपने कुल देवी - देवता कि
ram ji
राम जी 




पूजा अर्चना बड़ी विधि विधान के साथ करते है| दशहरा के समय राजा ग्राम कि देवी देवतावो के स्थान पर जाते है| इस शोभा यात्रा में वहा पर कुछ लोग पुराने अस्त्र -शत्र लेकर राजा के शोभा यात्रा में साथ ले के चलते है| जो देखने लायक होता है| और दशहरा के दिन पूरे ग्राम को दुलहन कि तरह सजाया जाता है | वहा का दृश्य विशाल मेले के सामान लगता है इस साही दशहरा को देखने के लिए दूर - दूर से जन सैलाब उमड़ पड़ता है|
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Kodar Dam Ki Khallari Mata (खल्लारी माता कोडार बांध के पास वाली)

आप ने अभी तक भिमखोज खल्लारी ,बेमचा खल्लारी माता के बारे में सुना होगा देखा  होगा मगर आज हम दर्शन करेंगे कोडार बाँध के पास कि खल्लारी माता जिसे सिद्ध शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है |
Khallari Mata Kodar
खल्लारी माता 

यहाँ पर कैसे पहुचे :- यह मंदिर छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिले के अन्दर आता है जो नेशनल  हाइवे  NH 53 मार्ग पर पर  तुमगाव से काफी नजदीक  पर स्थित है तुमगाव से इसकी दूरी कि .मी पर है  माता का मंदिर रोड से थोड़ी  अन्दर पर है जो घने और सघन  वनों  से घिरा हुवा है| यहाँ का नजारा पूरा प्राकृतिक  है|
Mahasamund Tourism sport


मुख्य मंदिर 

यह स्थान पर कोडार बाँध होने के कारण पर्यटन प्रेमियो  का आना जाना बना रहता है | इसी मुख्य मार्ग से सिरपुर का प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर ,छाछान माता,मुंगई  माता ,पतई माता ,कामख्या माता ,सिंघोडा माता का मंदिर जाया जाता है
प्रवेश द्वार 

इसलिए इस रास्ते से गुजरने वाले श्रद्धालु माता के दरबार में जरुर मत्था टेकने आते है| माता का प्रतिमा  स्वयभू है| यहाँ पर खास भीड़ नवरात्रि में देखा जा सकता है| जिसमे दूर -दूर से भक्त जन माता के दरबार में आते है | यहाँ पर साल के दोनों नवरात्रि में भक्तो द्वारा मनोकामना ज्योति जलाई जाती | यहाँ पर नवरात में माता के जसगीत से पूरा परिसर गूंज उठता है

इन्हें भी देखे:- 

इस मंदिर की सभी तस्वीर मूलचन्द निषाद के द्वारा ली गयी है

Patai Mata Temple, Patewa - Mahasamund (पतई माता मंदिर )

पतई माता का मंदिर जिला मुख्यालय से   महज 30  कि.मी कि  दुरी  पर पटेवा मार्ग  NH -53 हाइवे के  पटेवा से महज 4 कि . मी कि दुरी पतईमाता ग्राम में स्थित है।
Patai Mata Temple,Patewa
 माता का मंन्दिर पहाड़ के ऊपर स्थित है। और पहाड़  पर चढ़ने के लिए सीढ़िया बनी  हुई है। माता का भव्य स्वरुप
अदभुद है । जिससे लोग सहज ही माता के दरबार में खिची चली आती  है । पतई  माता को दुर्गा माता का स्वरुप माना जाता  है। यह स्थान प्रकृतिक  सुंदरता  
Patai Mata Temple,mahasamud
से परी  पूर्ण है चारो तरफ हरयाली  छायी हुई  है और  विशाल पर्वत से घिरा हुवा है । यहाँ पर आके माता के दरबार में मन को परम शांति  का अनुभव मिलता है । इसलिए मानव के साथ - साथ पसु पक्षी भी माता के दरबार में आते है 
Maa Patai Temple
पहाड़ के ऊपर अनेक छोटे -छोटे  मंदिर बनी  हुई है साथ ही यहाँ पर निर्माण कार्य चल रहा है  यहाँ पर प्रति वर्ष दोनों नवरात्री में भक्तो 
siddha baba pataimata

के  द्वारा मनोकामना ज्योति जलाई जाती है लोग भारी मात्रा में यहा पर माता के दरबार में अपनी उपस्थति देने के लिए दूर दूर से आते है । माता सभी भक्तो की मनोकामना पूरी करती है 


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Chachhan Mata Temple Nawagaon (छछान माता मंदिर नवागाँव तुमगांव महासमुन्द)

छछान माता रानी का मंदिर महासमुन्द जिले के अंतर गत  आता है
जिला मुख्याल  से इसकी दूरी महज 30 कि .मी है

यह मंदिर मुख्य राज मार्ग NH 53 पर रोड के किनारे उची पहड़ी पर स्थित है | यह पहाड़  नवागाँव के समीप है| माता रानी एक गुफा के अन्दर विराजमान है माता को स्वप्न देवी भी कहा जाता है|
माता रानी कि पूजा अर्चना करने के लिए दूर दूर से भक्त जन आते है | मुख्य  मार्ग पर मंदिर स्थित होने के कारन भक्तो का आना जाना बना रहता है | इस मंदिर में मंदिर निर्माण कार्य प्रगति पर है |

यहाँ पर सामान्य दिनों कि अपेक्षा नवरात में काफी ज्यादा भीड़ देखी जाती  है | यहाँ पर दोनों नवरात पर भक्तो के द्वारा बड़ी श्रधा के भाव के साथ मनोकामना ज्योति जलाई जाती है | और माता रानी किसी को नीरास नहीं करती है और सभी कि
मनोकामना सहज ही पूरी कर देती है | माता के दर्शन मात्र से सभी कास्ट दूर हो जाते है |
इस पहाड़ पर चढ़ कर वहा के नजारों को देखने का अपना ही एक अलग ही अनुभव होता है | चारो तरफ विसाल चट्टान ,से घिरा हुवा बड़ी -बड़ी पेड,उस स्थान को और अधिक रमणीय बनाते है जिसके कारन रास्ते में गुजरने वाले यात्री सहज ही इस स्थाण कि ओर  खीचि  चले जाते है  यहाँ पर आके और  माता के दर्शन कर  सुकून अनुभव करते है
मंदिर कि रुपरेखा :- सर्व प्रथम प्रवेश द्वार मिलता है उसके बाद आगे जाने से शिव जी कि प्रतिमा पृथ्वी के उपर नृत्य करते हुवे विराज मान है फिर पहाड़ कि चढाई होती है | रास्ते में  शिव लिंग   के दर्शन होते है फिर आता है

माता का मंदिर मंदिर से पहले आगन में माँ दुर्गा और माँ काली कि प्रतिमा बनी हुई है उसके बाद इक छोटी सी गुफा के अन्दर माता विराजमान है | जिसमे माता के मोहनी
सूरत के दर्शन होते है | गुफा के समीप माता का ज्योति कक्ष बना हुवा है | मंदिर के परिसर पर गुफा के अन्दर काली माता विराज मान है |


निवेदन ;- सभी भक्त जानो से निवेदन है कि मंदिर परिसर पर कोई तोड़ फोड़ ना करे धार्मिक जगा है भजन कीर्तन करे  तथा  पर्यावरण को स्व्छ  बनाये रखने  में अपना सहयोग प्रदान करे और कोई भी यदि  कोई अनुचित कार्य करता है| तो  उसे  रोकने का प्रायस करे|माता आपकी मनोकामना जरुर पूरी करेगी ||जय माता दी ||