Monday, November 14, 2016

chandi mata temple birkoni mahasamund चण्डी माता मंदिर बिरकोनी महासमुन्द

जिला महासमुन्द  से महज  १० कि.मी कि  दुरी पर  बिरकोनी  नामक  ग्राम पर  चण्डी  माता   का  मंदिर  स्थित है  जिसे सिद्ध शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है  यहाँ जाने के लिए उत्तम  सड़क मार्ग निर्मित है 

chadi mata birkoni
चण्डी  माता 



यहा छत्तीसगढ़ मे मनाये जाने वाले पर्व छेरछेरा पुन्नी मे विशाल मेले का आयोजन होता है। जिसमे भारी मात्रा में लोग यहाँ आते है यहाँ पर चैत्र पक्ष और क्वार पक्ष की नवरात्री पर भक्तो द्वार मनोकामना ज्योति जलायी जाती है पूरा नव दिन मेले के सामान प्रतीत होता है


chandi mandir birkoni mahasamund
चण्डी मंदिर 
चण्डी  माता से जुडी किदवन्ती:-
माता जी का इस स्थान पर प्राकट्य होने का एक कथा प्रचलीत है| स्थानीय निवासी और बड़े बुजुर्ग बताते है| कि कभी यह स्थान राजा-महाराजावो का गड हुवा करता था यहा पर अनेक राजा इस स्थान पर साशन कर चुके थे | धीरे -धीरे इस स्थान पर जमीदारी प्रथा का आरम्भ हो गया था। उसी समय यह ग्राम छोटे -छोटे बस्ती ( टुकडो ) में बटा हुवा था| तब यह स्थान (मंदिर परिसर ) चारो तरफ से सुन्दर वन से घिरा हुवा करता था चारो तरफ पठारी मैदान व महुवा का जंगल हुवा करता था इस स्थान पर बड़े बड़े चट्टान पाये जाते थे| वहाँ का राजा अपनी हाथी को रखने के लिये बड़े बड़े खोल का निर्माण करवाया करते थे यहा का आस पास स्थान जिसे हाथी का गोडा भी कहा जाता था |उसी समय बिरकोनी के समीप एक लालपुर नामक छोटा सा ग्राम हुवा करता था |और उस गाव में भीषन हैजा का प्रकोप छाया था लोग तिल-तिल कर मर रहे थे लोग अपने प्राणों कि रक्षा के लिये कोई दैवीय चमत्कार होने कि कल्पना कर रहे थे और अपने कुल देवी देवतावो कि पूजा पाठ कर रहे थे (क्युकी हैजा का कोई इलाज नहीं था )तभी उसी समय उस ग्राम में एक घटना घटी लालपुर ग्राम कि एक महिला और उसकी दो संतान कि हैजा के चपेट से मृत्यु हो गयी ? उस समय अंतिम क्रिया

chandi maa mandir birkoni
माँ चंडी 

करने वाले लोगो कि कमी थी क्युकी सभी लोग एक- एक करके हैजा से मरते जा रहे थे|तभी बड़ी मुश्किल से लाश की अंतिम क्रिया करने के लिए चार आदमी मिला | चारो लोग उसकी लास कि क्रिया कर्म करने के लिये लास को गाव से बहार ले जा रहे थे तभी रास्ते में भीषन जंगल पड़ा और जाते जाते साम भी हो चुकी थी दिन ढलने लगी थी अधेरा होने को आ गया था एक दुसरे कि सक्ल ठीक से नहीं दिख रही थी तबी उसमे से एक ने बोला कि अधेला हो चूका है लालटेन को जलवो | तब लालटेन को वो जलाने के लिए अपने सामान में ढूंढने लगे तब पता चला कि लालटेन को तो घर पर ही भूल आ गए है| तब एक ने बोला तो हम में से कोई एक घर जाकर लालटेन लाये और कुछ छुटी जरुरी सामग्री को भी ला ले तब एक ने मना कर दिया मै अकेले नहीं जा पाउँगा क्युकी रास्ता भी ठीक नहीं है और अधेला भी है|जंगली जानवरो का भी खतरा है| तब चारो ने कहा हम चारो एक साथ लास को कुछ समय के लिए यहा पर छोड़ देते है| हम एक साथ चले जाते है | ऐसा कहकर व लास को उसी स्थान पर छोड़ के चले जाते है |तभी उसी समय एक हैरत कर देने वाली घटना घटी चारो लोग जैसे ही वापस आते है तो देखते है कि वो लाश उठ कर खड़ी हो चुकी थी| उसका अधभूध स्वरूप सोला सृंगार किये हुवे तेज आभा लिए खड़ी थी ऐसा नजारा देख कर चारो डर के मारे वहा से भागने ही वाले
प्रांगण में स्थित दो मंदिर

थी तभी उस दिव्य युवती ने बोला कि मुझसे डरने कि कोई बात नहीं है मै तुम्हार कुछ नुकसान नही करुँगी मेरी बात को सुनो तब लोग डरते हुवे रुके | तब माता ने बोला कि मै अपनी इच्छा से इस महिला के सरीर में प्रकट हुवी हु मै अपनी सभी भक्तो का दुःख दूर करने तथा सभी कि कल्याण करने उसकी रक्षा करने के लिए अपना यह रूप धारण किया हु तुम लोग व सभी ग्रामवासी मेरी विधि वत पूजा अर्चन करो और इस स्थान पर एक छोटी सी चबूतरा व छोटी मंदिर का निर्माण करवावो ऐसा कहकर माता अंतर ध्यान हो गई ?तब चारो लोग इस बात को वापस अपने ग्राम में जाकर सभी को बताया तो उसकी बात पर किसी ने विस्वास नहीं किया व उनकी बातो पर ग्रामवासी हसने लगे|तभी उसी दौरान बिरकोनी ग्राम के एक गौटीया को माता ने सपने में आकार बोला कि उन चारो कि बात सत्य है| मै उस स्थान पर प्रकट हुवी हु तथा सभी को अपनी सेवा करने का सौभाग्य प्रदान कर रही हु| वहा पर मेरा एक छोटा सा मंदिर का निर्माण किया जाये| माँ ऐशा आदेश देती है|

chandi mata birkoni
मनोकामना वट वृक्ष

तब अगले दिन सपने वाली बात को लोंगो को बताया तब सपने कि बात तथा उन चारो कि बातो कि सत्यता जानकर सभी उस स्थान पर गए तथा माँ कि विधि वत पूजा अर्चना कर तथा अपनी गलती कि क्षमा मागी और उस स्थान पर एक चबूतरा व एक छोटी सी मंदिर का निर्माण किया और माता को ग्राम कि प्रमुख देवी के रूप में उस दिन से पूजा गया|धीरे- धीरे आस पास के सभी ग्रामों कि हैजा का प्रकोप माता रानी कि कृपा से समाप्त हो गया|सभी लोग खुशहाली से जीवन यापन करने लगे और सभी का दुःख समाप्त हो गया तब से लोंगो के मन में माता के प्रती और अटूट श्रधा बड गयी तभी सभी ग्रामवासी माता कि मंदिर को और अधिक भव्य बनाने कि तैयारी में लग गए और एक बड़ा सा मंदिर का निर्माण किया गया उसी समय कुछ चोर मंदिर में लुट कि फ़िराक से माता के गहने चडावे के पैसे को ले जाने लगे तब माता ने क्रोध वस् सभी चोरो को पत्थर का बना दिया उसके पत्थर को आजभी कुछ अवसेष को देखा जा सकता है वर्तमान में पत्थर विलोपन के कगार पर है इस प्रकार माता के नित नए नए चमत्कार को देखते हुवे दूर - दूर से लोग माता के दरबार में अपनी मुरादे ले कर आते है| और माता सभी भक्तो कि मु मागी मुराद पूरी करती है और माँ चंडी नीसंतानों को सहज ही संतान सुख कि प्राप्ति का वरदान देती है |तभी से माता को प्रसन्न करने के लिए तथा माता के सम्मान तथा माता कि यसो गान करने के लिए भक्तो के द्वारा मेले का आयोजन किया जाता है |वर्तामान मन्दिर काफी भव्य है उसकी बनावट देखते ही बनती है| मंदिर के उपर माता के अनेक रूप कि मुर्तिया के दर्शन होते है| मंदिर का ज्योति कक्ष व यज्ञ कक्ष सभागार देखने योग्य है अभी वर्तमान में एक भव्य ज्योति कक्ष का निर्माण कार्य चल रहा है|
(नोट :- दोपहर 1 बजे से 2 बजे के बीच माँ चण्डी को प्रशाद का भोग लगाने व विश्राम के लिए मंदिर के पट बंद रहते है। )

4 comments:

  1. Haiiii
    Every information is all right

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  2. One of best place in mahasamund. U will feel blessed and peaceful here. Very Devin place

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  3. माता तेरे चरणों मे
    भेंट हम चढ़ाते हैं
    कभी नारियल तो
    कभी फूल चढ़ाते हैं
    और झोलियाँ भर भर के
    तेरे दर से लाते हैं

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  4. बहुत बढ़िया व रोचक जानकारी, मा चंडी के बारे में

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