Wednesday, September 27, 2017

Turturiya -Valmiki Ashram,Luv Kush-Birth Place(तुरतुरिया -वाल्मीकि आश्रम एवं लवकुश की जन्मभूमि)

यह एक ऐतिहासिक स्थल है। यह स्थान पाहाडो के बिच मे है। जिसमे महर्षि वाल्मीकि तथा श्री राम-लक्ष्मण की मुर्तियां है। उसके सामने एक मंदिर मे लव-कुश की युगल मूर्ति है। वहि पर्वत के उपर एक मंदिर मे वाल्मीकि मुनि तथा सीता जी की मूर्तिया है।

luv kush turturiya
गोमुख -तुरतुरिया 

 किन्तू पर्वत हिंसक पशुओ का भय होने से कम लोग ही जाते है।
मंदिर के पास पर्वत पर एक गोमुख बना है।उससे जल निकलता रहता है। ईस जल से बने नाले को लोग सुरसुरी नदि कहते है। गोमूख के जल श्रोत से तुरतुर की आवाज निकलती रहती है। जिस कारण यह स्थान का नाम तुरतुरिया पडा। गोमूख के पास प्राचिन विष्णु कि दो प्रतिमाये है। और एक शिवलिग भी हैै। यहा पर बौध विहार के अवषेश इस स्थान पर है। प्रतिमाये खण्डित अवस्था मे है। यहा पर अनेक प्राचिन प्रतिमाये देखने को मिलती है।
Valmiki Ashram Turturiya
महर्षि वाल्मीकि  आश्रम -तुरतुरिया 

यहा पर नवरात्री मे भक्तो द्वारा भारी मा़त्रा मे मनोकामना ज्योति जलाये जाति है।मंदिर समिती के द्वारा भण्डारे का आयोजन किया जाता है। यह क्षेत्र को परम पावन व मोक्क्ष दायिनी धाम कहा जाता है। क्योकि इस स्थान पर आदि शक्तिी मां सीता का निवास स्थान था। और परम प्रतापी भगवान राम के पुत्र लव कुश कि जन्म स्थिली है यहि उसने विद्या प्राप्त किया था।
turturiya luv kush
लव -कुश की प्रतिमा 


कथा:- तुरतुरिया के बारे मे कहा जाता है। कि भगवान श्री राम द्वारा परित्याग करने पर वैदेहि सीता को फिगेश्वर के समिप सोरिद अंचल ग्राम के(रमई पाठ )मे छोड गये थे वहि माता का निवास स्थान था सिता कि प्रतिमा आज भी उस स्थान पर है। जब मां सिता के बारे मे महर्षि वालमिकी को पता चला तो माता को अपने साथ तुरतुरिया ले आये और सिता मां यहि आश्रम मे निवास करने लगि वहि लव कुश का जन्म हूवा। 
luv kush Birth Place
माता गढ़ 

ram laxman sita-turturiya
राम लक्ष्मण 



turturiya in chhattisgarh
बुद्ध प्रतिमा 
कैसे पहुचे:- यह सिरपुर से मात्र 35 कि मी कि दूरि पर स्थीत है।यह बलौदा बाजार जिले के लवन परिश्रेत्र के विकासखण्ड कसडोल मे आता है। रायपुर से इसकी दुरी लगभग 140 कि मी के आस पास है।रास्ते पक्की बनि हूई है मगर आश्रम से 5  कि मी के पहले रास्ते कच्ची है और काफि घुमावदार है।यदि तुरतुरिया आना है। तो सुबह आना उचित रहता रास्ते दुर्गम है। साम के समय जंगलि जानवर निकलने का डर बना रहता है।  
यहा पर प्रतिवर्ष पौस पुन्नीमा को विषाल मेला लगता है। जिसमे भारी मात्रा मे जन सैलाब उमडता है। जो देखने लायक रहता है।  
इन्हे भी जरूर देखे :-

7 comments:

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  7. Anonymous16 October

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